देवता: मित्रादयो लिङ्गोक्ताः ऋषि: दीर्घतमा औचथ्यः छन्द: विराट्त्रिष्टुप् स्वर: धैवतः
न वा उ॑ ए॒तन्म्रि॑यसे॒ न रि॑ष्यसि दे॒वाँ इदे॑षि प॒थिभि॑: सु॒गेभि॑:।
हरी॑ ते॒ युञ्जा॒ पृष॑ती अभूता॒मुपा॑स्थाद्वा॒जी धु॒रि रास॑भस्य ॥
ऋग्वेद मण्डल:1 सूक्त:162 मन्त्र:21
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
na vā u etan mriyase na riṣyasi devām̐ id eṣi pathibhiḥ sugebhiḥ | harī te yuñjā pṛṣatī abhūtām upāsthād vājī dhuri rāsabhasya ||
पद पाठ
न। वै। ऊँ॒ इति॑। ए॒तत्। म्रि॒य॒से॒। न। रि॒ष्य॒सि॒। दे॒वान्। इत्। ए॒षि॒। प॒थिऽभिः॑। सु॒ऽगेभिः॑। हरी॑ इति॑। ते॒। युञ्जा॑। पृष॑ती॒ इति॑। अ॒भू॒ता॒म्। उप॑। अ॒स्था॒त्। वा॒जी। धु॒रि। रास॑भस्य ॥ १.१६२.२१
पदार्थान्वयभाषाः -हे विद्वान् ! यदि जो (ते) तुम्हारे मन वा आत्मा यथायोग्य करने में (युञ्जा) युक्त (हरी) धारण और आकर्षण गुणवाले (पृषती) वा सींचनेवाले जल का गुण रखते हुए (अभूताम्) होते हैं उनका जो (उपास्थात्) उपस्थान करे वा (रासभस्य) शब्द करते हुए रथ आदि की (धुरी) धुरी में (वाजी) वेग तुल्य हो तो (एतत्) इस उक्त रूप को पाकर (न, वै म्रियसे) नहीं मरते (न, उ) अथवा तो न (रिष्यसि) किसी को मारते हो और (सुगेभिः) सुखपूर्वक जिनसे जाते हैं उन (पथिभिः) मार्गों से (इत्) ही (देवान्) विद्वानों वा दिव्य पदार्थों को (एषि) प्राप्त होते हो ॥ २१ ॥
[he vidvaan ! yadi jo (te) tumhaare man va aatma yathaayogy karane mein (yunja) yukt (haree) dhaaran aur aakarshan gunavaale (prshatee) va seenchanevaale jal ka gun rakhate hue (abhootaam) hote hain unaka jo (upaasthaat) upasthaan kare va (raasabhasy) shabd karate hue rath aadi kee (dhuree) dhuree mein (vaajee) veg tuly ho to (etat) is ukt roop ko paakar (na, vai mriyase) nahin marate (na, u) athava to na (rishyasi) kisee ko maarate ho aur (sugebhih) sukhapoorvak jinase jaate hain un (pathibhih) maargon se (it) hee (devaan) vidvaanon va divy padaarthon ko (eshi) praapt hote ho .]
भावार्थभाषाः -जो योगाभ्यास से समाहित चित्त दिव्य योगी जनों को अच्छे प्रकार प्राप्त हो धर्म-युक्त मार्ग से चलते हुए परमात्मा में अपने आत्मा को युक्त करते हैं, वे मोक्ष पाये हुए होते हैं ॥ २१ ॥
{jo yogaabhyaas se samaahit chitt divy yogee janon ko achchhe prakaar praapt ho dharm-yukt maarg se chalate hue paramaatma mein apane aatma ko yukt karate hain, ve moksh paaye hue hote hain .}
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