ईश्वर क्या, क्यों, कैसे ? - ধর্ম্মতত্ত্ব

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স্বাগতম

08 February, 2018

ईश्वर क्या, क्यों, कैसे ?

ईश्वर क्या, क्यों, कैसे ? सभी प्रश्नो के जवाब All information about god in Hindi

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भगवान के बारे में लोग अनेकों सवाल लोग पूछते ही रहते हैं और इन सवालों में कुछ सवाल जो सबसे ज्यादा पूछे जाते हैं उन सभी सवालों के एक साथ जवाब हम इस लेख में देने का प्रयास करेंगे |
ये सवाल हमें google से पता चले यानि की google search engine पर लोग कौनसे सवाल अधिक पूछ रहे हैं यह हमने पता किया और उन्ही सवालों के short लेकिन सटीक जवाब देने का प्रयास हम यहाँ करेंगे |
तो आइये हम देखते हैं की वे सवाल क्या है ?
ईश्वर से सम्बंधित मुख्य सवाल नीचे दिए गए है
  1. क्या ईश्वर है ?

  2. भगवान को किसने बनाया ?

  3. ईश्वर और भगवान में अंतर क्या है ?

  4. क्या किसी ने भगवान को देखा है ?

  5. भगवान को क्यों मानते हैं ?

  6. क्या वैज्ञानिक भगवान को मानते है ?

  7. भगवान क्या चाहता है ?

  8. भगवान कहाँ मिलेंगे ?

  9. भगवान से कैसे मिले ?

  10. भगवान से प्रार्थना कैसे करे ?

  11. असली भगवान कौन है ?

  12. भगवान एक है या अनेक ?

ये सभी सवाल हमें google से जानने को मिले तो आइये अब हम इन सब सवालों का जवाब देखते हैं ?

क्या ईश्वर है ?

ईश्वर का अस्तित्व है या नहीं , इस विषय पर हमारी Website आपको अनेकों लेख मिल जायेंगे इसलिए इसका जवाब हमें विस्तार से देने की आवश्यकता नहीं |
किसी भी निर्मित वस्तु का कोई न कोई निर्माता अवश्य होता है , ब्रम्हांड एक निर्मित रचना है इसलिए इसका कोई रचनाकार भी है |
कोई भी नास्तिक कभी भी ये दावा नहीं कर सकता कि उसके द्वारा नास्तिकता पर लिखे गए लेख के शब्दों ने अपने आप आपस में संयोजन कर लिया और एक लेख तैयार हो गया |
जहाँ गति होती है वहां गति देने वाला भी होता है , गति कभी नित्य नहीं हो सकती और ब्रम्हांड में गति अनित्य है , इसलिए गति की शुरुआत किसी ने की है और उसे निरंतर बनाये रखने वाला भी कोई है , इस बारे में हमने यह सिद्ध किया है उसे हमारे अन्य लेखों में आप पढ़ सकते हैं |
तर्क की कसौटी पर ईश्वर का अस्तित्व सिद्ध होता है जिसे आप हमारे अन्य लेखों में जरूर पढ़े |
इन्हे भी पढ़े 

भगवान को किसने बनाया ?

एक स्वाभाविक सवाल उठता है कि क्या ईश्वर को भी किसी ने बनाया है ?
नहीं |
ईश्वर को किसी ने नहीं बनाया क्यों कि बनाया उसे जाता है जिसमे बनावट हो , ईश्वर निराकार है उसमे कोई बनावट नहीं है , वह अनादि है |
जो वस्तु निर्मित है उसे कोई बनाने वाला है , ईश्वर कोई निर्मित वस्तु नहीं है |
इसलिए उसे बनाने वाला कोई नहीं , इस विषय पर भी आप हमारे अन्य लेख पढ़कर अधिक जान सकते हैं |
इस विषय पर अनेकों तर्कों से जवाब दिया जा सकता है |
हम प्रयास करेंगे कि कभी कोई और लेख इस विषय पर लिखा जाये |
जिस तरह ऊर्जा/ पदार्थ न कभी बनती और नष्ट होती है उसी तरह ईश्वर न कभी बनता है न नष्ट होता है |
एक बात ध्यान रखें ईश्वर ऊर्जा नहीं है |
इसे भी पढ़ें 

ईश्वर और भगवान में अंतर क्या है ?


ईश्वर और भगवान दोनों शब्दों में अंतर् है |
अनेकों लोग इन दोनों शब्दों का एक ही अर्थ लेते हैं इसलिए ये जान लेना जरुरी है इसका पृथक पृथक अर्थ क्या है ?
वैसे तो एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं ,हम यहाँ पर एक मुख्य अर्थ बताएँगे |
ईश्वर का शाब्दिक अर्थ है स्वामी, राजा और ऐश्वर्यवान |
भगवान् का शाब्दिक अर्थ है – भग – ऐश्वर्य और वान – यानि धारण करने वाला
ऐश्वर्य को धारण करने वाला , यानि ऐश्वर्यवान व्यक्ति भगवान कहलाता है |
ऐश्वर्य कि दृष्टि से दोनों शब्दों का अर्थ एक है लेकिन ये दोनों शब्द परमात्मा के लिए भी प्रयुक्त होते हैं और महान लोगों के लिए भी |
हमारे देश , श्री राम , श्री कृष्ण , महादेव शिव आदि अनेकों महापुरुष हुए जिनके लिए भगवान उपाधि प्रयोग कि जाती है , वास्तव में ये परमात्मा नहीं बल्कि महान पुरुष और महान ऐश्वर्य संपन्न होने से भगवान कहलाये |
इसी तरह कपिल , कणाद वालमीकि आदि ऋषियों को भी भगवान् कहा गया है |
हमारे देश एक दुष्ट पापी व्यक्ति हुआ जिसका नाम था रजनीश ओशो , वह भी खुद को भगवान् कहता था |
उस व्यक्ति ने इस भगवान् शब्द का बहुत घृणित अर्थ किया |
उस मूर्ख को यह नहीं पता था कि एक शब्द के अनेकों अर्थ होते हैं |
जहाँ जिस अर्थ कि आवश्यकता हो वहां वही अर्थ लिया जाता है , इसलिए ओशो नामक धूर्त द्वारा बताये अर्थ को मानना अनुचित है |

क्या किसी ने भगवान को देखा है ?

अनेकों लोग ये पूछते हैं कि अगर ईश्वर है , तो क्या किसी ने ईश्वर को देखा है ? अगर नहीं देखा तो क्यों माने ?
वे लोग भूल जाते हैं कि किसी वस्तु कि सिद्धि उसके दिखने मात्र से नहीं होती |
उदाहरण के लिए मैं आपको पूछूँ कि क्या आपने कभी गानों , गीतों को देखा है ?
तो आप कहेंगे कि नहीं , हमने देखा नहीं लेकिन सुना है ?
तो मैं कहूंगा कि जिस वस्तु में जो गुण होता है , वह उसी गुण को प्रकट करता है , इसलिए गीत संगीत में रूप गुण न होने से उसे हम नहीं देख पते , इसी तरह ईश्वर में रूप गुण नहीं है , वह दिखाई देने वाली वस्तु ही नहीं तो भला हम उसे कैसे देख पाएंगे ?
वास्तव में देखने का अर्थ जानना भी लिया जाता है , अतः जानने कि दृष्टि से हम उसे देख सकते है |
उदाहरण के लिए आप इस लेख को पढ़ रहे हैं तो आप इस लेख को पढ़कर मेरे बारे में कुछ कुछ जान पाएंगे कि मैं कैसा व्यक्ति हु ?
इसी तरह सृष्टि को देख और समझ कर हम ईश्वर को देख यानि जान पाएंगे |
सृष्टि को देखने पर हमें पता चलता है कि सृष्टि में हर जगह पूर्ण वैज्ञानिकता है , पूर्णता है , इस से हमें पता चलता है कि इसे बनाने वाला ईश्वर भी पूर्ण है , सर्वज्ञ भी है | अल्पज्ञ यानि अल्प ज्ञान वाला नहीं है |
सृष्टि में सर्वत्र गति है , इसे देखने पर हमें पता चलता है है कि सृष्टिकर्त्ता कर्म से खाली नहीं रहता है , निरंतर कर्म करता रहता है |
इस तरह हम ईश्वर को देख यानि समझ सकते हैं |

भगवान को क्यों मानते हैं ?


आज दुनिया में करोड़ों लोग ईश्वर को मानते हैं लेकिन वे लोग ईश्वर को जानते नहीं इसीलिए पाखंड में फंसे रहते है |
जब तक हम किसी वस्तु को जानेंगे नहीं तब तक पाखंड में फंसते रहेंगे , कोई न कोई हमें ठग लेगा |
इसलिए पहले जानो फिर मानो |
अगर किसी व्यक्ति को नहीं पता कि किसी bank में पैसे जमा करने का तरीका क्या है तब कई लोग उसके पैसे ठगने के लिए उसे पागल बनाकर अपने बैंक में पैसे डलवा लेंगे |
इस तरह अनेकों बाबा ,मौलवी आदि लोग ईश्वर के नाम पर जनता को लूट लेते हैं , इसलिए ये जानना चाहिए कि ईश्वर कौन है , तब जाकर हम यह जानेंगे कि उस ऐसे ईश्वर को हमें क्यों मानना चाहिए ? उसके होने का हमें क्या फायदा है ?
जैसे यदि आप Albert Einstein को जानते हैं तो आप उसके होने का फायदा उठा सकते है , आज अल्बर्ट Einstein तो नहीं है लेकिन एक समय उनका अस्तित्व था |
आप उनके होने का फायदा उठा सकते है , आप उनको अपना आदर्श मानकर चल सकते है और उनके अच्छे गुणों को अपनाकर खुद भी अपने आप को जीवन में आगे ले जा सकते है |
Einstein में अनेकों अच्छे गुण थे लेकिन कुछ बुरे गुण भी किसी न किसी व्यक्ति में होते हैं इसलिए हमें ऐसी सत्ता को आदर्श बना चाहिए कि जिस से हम अच्छे गुण ही अपना पाए और बुरे गुण छोड़ पाएं |
सिर्फ ईश्वर ही ऐसा है जो शुद्ध है , पूर्ण है , इसलिए उसे जानकर हम अपने आप ऊपर उठा सकते हैं उसे जानकर स्वयं भी जीवन में आगे बढ़ सकते हैं |
जैसे आपके पास mobile फ़ोन है लेकिन आप उसका कभी उपयोग ही नहीं करते तो आपके लिए mobile का होना ,और न होना दोनों बराबर है |
अगर ईश्वर का अस्तित्व है , ऐसा जानकर भी आप उसका उपयोग न ले तो उसका होना , न होना एक जैसा है |
ईश्वर का उपयोग आप किस प्रकर ले सकते है आइये जानते है |
  1. आप ईश्वर के गुणों को जानकर के , जैसा ईश्वर महान वैसा स्वयं भी श्रीराम , श्रीकृष्ण आदि महापुरषों की तरह खुद को महान बना सकते हैं |
  2. ईश्वर को जानने पर ही आप सृष्टि विज्ञानं को जान सकते हैं , बिना ईश्वर को जाने सृष्टि विज्ञानं को पूरी तरह कभी नहीं जान सकते | इसलिए ईश्वर और सृष्टि दोनों का अध्ययन एक साथ जरुरी है |
  3. ईश्वर का वास्तविक वैज्ञानिक स्वरूप जानकर आप पाखंड से बच सकते है और अन्य पाखंडी मौलवी , बाबों का पर्दाफाश करके दुसरो को बचा सकते हैं |
  4. जब भी हम कोई गलत काम करते हैं तो हमरे हृदय में भय , शंका और लज्जा उत्पन्न होती है और अच्छा काम करने पर हमारे हृदय में उत्साह उत्पन्न होता है , ये प्रेरणा ईश्वर की और से ही होती है , हम ईश्वर की इस प्रेरणा को follow करके अपनी life में सही रस्ते पर ले जा सकते हैं |
  5. ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को जानकर हम दुनिया में शांति की स्थापना कर सकते हैं , ईश्वर को जानकर ही सृष्टि विज्ञानं को पूरी तरह से जान सकेंगे और उस पर आधारित ऐसी टेक्नोलॉजी बना सकेंगे जिसका पर्यावरण पर कोई बुरा प्रभाव न हो |
  6. ईश्वर को जानने पर हम पाप कर्म नहीं करेंगे क्यों की जैसे हम ाग्नि के बारे में जानते हैं की उसमे हाथ डालने पर हाथ जल जायेगा यानि की अग्नि अपना स्वाभाव नहीं छोड़ती उसी तरह ईश्वर सर्वव्यापक है , दुष्टों को दंड देना उसका स्वाभाव है , ईश्वर को सर्वव्यापक जानकर हम बुरे काम से बचेंगे , अन्यथा दंड मिलना स्वाभाविक है |
इस तरह ईश्वर नामक सत्ता के आप अनेकों उपयोग ले सकते हैं |
ईश्वर का उपयोग लेकर हम अपनी life को अच्छा बन सकते हैं इसलिए ईश्वर को मानते हैं |

क्या वैज्ञानिक भगवान को मानते है ?

अनेकों वैज्ञानिक ईश्वर का अस्तित्वस्वीकार करते है और अनेकों वैज्ञानिक ईश्वर की सत्ता को नहीं मानते |
लेकिन अगर हम बात करे की विज्ञानं ईश्वर को मानते है या नहीं , तब हम कहेंगे की वर्तमान विज्ञानं न तो ईश्वर के विरोध में है न ही ईश्वर के समर्थन में , क्यों कि वर्तमान विज्ञान अपूर्ण है , फिर भी वर्तमान विज्ञानं से ही ईश्वर का होना प्रूफ हो जाता है |
प्रसिद्द वैज्ञानिक Richard P. Feynman अपनी पुस्तक Lecture on Physics में ये स्वीकार करते है कि सृष्टि के सभी नियम ईश्वर द्वारा बनाये गए है जिनसे यह सृष्टि चल रही है |
इस विषय में आप हमारे लेख को पढ़ सकते हैं जहाँ ईश्वर को मानने वाले वैज्ञानिको के Quotes दिए गए है |

भगवान क्या चाहता है ?


भगवान यानि ईश्वर क्या चाहता है ?
यदि ईश्वर नामक किसी चेतन सत्ता का अस्तित्व है तो उसकी भी कोई इच्छा होगी ?
आखिर वह भगवान क्या चाहता है ? ये प्रश्न उठना स्वाभाविक है |
ईश्वर में इच्छा नहीं होती , ईश्वर में ईक्षण होता है |
जिसकी कोई इच्छा होती है , उसमे कोई न कोई कमी होती है जिसकी पूर्ति के लिए वह इच्छा करता है , ईश्वर पूर्ण होने से उसमे कोई इच्छा नहीं होती |
ईश्वर में ईक्षण होता है यानि उसमे संकपल्प शक्ति होती है , क्यों ईश्वर सर्वज्ञ है इसलिए उसमे ईक्षण होता है , जो संकल्प स्वयं के स्वार्थ पूर्ति के लिए होता है उसे हम इच्छा कहते है लेकिन जो संकल्प परोपकार के लिए होता है उसे हम ईक्षण कह सकते है |
यदि ये पूछा जाये कि ईश्वर क्या चाहता है |
तो इसका जवाब है कि ईश्वर सबकी भलाई चाहता है |
क्यों कि ईश्वर का स्वभाव पवित्र है इसलिए इसलिए वह चाहता है कि सभी जीवात्मा उसके आदेश के अनुसार चले जिस से उनका भला हो , पाप से दूर रहकर पुण्य का कार्य करे ताकि सभी जीवों कि उन्नत्ति हो , यह ईश्वर का ईक्षण है |

भगवान कहाँ मिलेंगे ?

लोग पूछते है कि ईश्वर कहाँ रहता है या भगवान कहाँ मिलेंगे वगैरह वगैरह |
इसका जवाब है ईश्वर का कोई address पता नहीं है की वह कहाँ रहता है |
क्यों की ईश्वर किसी एक जगह नहीं रहता है , वह सर्वव्यापक होने से हर जगह है , हमारे अंदर भी है |
इसलिए ईश्वर हमारे अंदर मिलेगा |

भगवान से कैसे मिले ?


अगर address पता होता तो किसी को ये सवाल पूछने की जरूरत नहीं पड़ती की भगवन से कैसे मिले , अब तक सब लोग address पर जाकर पता कर लेते लेकिन जैसा की हमने कहा ईश्वर सर्वव्यापक है उसका कोई address नहीं है | वह हमारे अंदर ही है |
इसलिए ईश्वर से मिलना है तो अपने अंदर मिलो |
लेकिन कैसे ?
ईश्वर से मिलने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी |
किसी पीर , बाबा , मौलवी ,के पास तो बिलकुल भी नहीं जाना है |
जैसे UPSC exam pass करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है , तो ईश्वर से मिलने के लिए भी उस से कई गुना अधिक मेहनत करनी पड़ेगी |
ईश्वर से मिलने के लिए आपको बहुत पढाई करनी पड़ेगी |
हाँ ! सच में |
यजुर्वेद के मन्त्र “अन्धं तमः प्रविशन्ति……. | “ में कहा गया है कि
जो लोग सिर्फ प्रकृति कि उपासना करते है वे अंधकार में प्रविष्ट करते हैं लेकिन जो लोग सिर्फ ईश्वर कि ही उपासना करते है नवे और भी गहरे अंधकार में प्रविष्ट करते हैं |
मतलब ये हैं कि आपको एक साथ दोनों को जानना पड़ेगा |
क्यों कि वेदों के अनुसार अपरा विद्या का उत्तम फल ही पारा विद्या है यानि कि प्रकृति के विज्ञानं को जानने के बाद ही अध्यात्म विज्ञानं को हम अधिक समझ पते हैं |
अपरा विद्या का मतलब है सम्पूर्ण सृष्टि विज्ञान
परा विद्या का मतलब है अध्यात्म विज्ञान
बिना अपरा विद्या को जाने परा विद्या को नहीं जाना जा सकता है |
जितना सृष्टि को जानते है उतना ही ईश्वर को हम समझते जाते हैं | इसलिए इन दोनों का एक साथ अध्ययन और विचार करते रहना चाहिए |
जो व्यक्ति सृष्टि को जनता रहता है उसके स्वाभाव में परिवर्तन आता है , वह पहले कि अपेक्षा अधिक शांत , काम गुस्से वाला , काम भाव से रहित , लोग लालच से दूर हो जाता है |
यानि कि योगी बन जाता है |
योगी बनकर ही व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त कर सकता है , इसलिए सबसे पहले सृष्टि को जानना पड़ेगा और साथ साथ ईश्वर विद्य पर चिंतन करना होगा तभी आप ईश्वर से मिल सकते हैं यानि कि ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं |
इसलिए ईश्वर से मिलने के लिए आपको निम्न कार्य करने होंगे |
  1. सम्पूर्ण सृष्टि के विज्ञान को जानना होगा |
  2. ईश्वर तत्व के विज्ञान को जानना होगा |
  3. जीवात्मा के विज्ञान को जानना होगा |
  4. जितना सृष्टि विज्ञान जानते है उसके साथ साथ अध्यात्म विज्ञान पर विचार करते रहना होगा , यानि परा और अपरा विद्या दोनों को एक साथ जानते रहना होगा |
  5. किसी बाबा , पीर ,फ़कीर के चक्कर में पड़ना नहीं होगा | इनको न सिर्फ avoid करना होगा बल्कि इनका प्रबल खंडन करते रहना चाहिए ताकि अन्य लगो को पाखंड में न फंसा सके |
  6. कर्म फल के विज्ञान को जानते हुए पुण्य कर्म करते रहना होगा , परोपकार के कार्य यानि मानवता के कार्य करते रहना होगा ताकि आपका स्वभाव परिवर्तित होकर आप अंतर्मुखी बन पाए |
  7. वास्तविक योग को अपनाना होगा यानि कि पतंजलि मुनि प्रणीत योग शास्त्र के अनुसार योगी बनाने का प्रयास करना होगा | सृष्टि को जानना भी योग का एक अंग है |
यह ईश्वर को प्राप्त करने का course है , इसे अपनाने पर किसी पाखंड में नहीं फंस पाएंगे |
वेदों के अनुसार सृष्टि को जाने बिना कभी ईश्वर को प्राप्त नहीं किया जा सकता है |
कोई भी बाबा , मौलवी , पादरी सृष्टि को जानने कि बात नहीं करते हैं क्यों जिस दिन वे ऐसा करेंगे उनका पाखंड कभी चल नहीं पायेगा |

भगवान से प्रार्थना कैसे करे ?

अनेकों लोग सोचते हैं कि कोई भी काम बिना मेहनत के करके भगवन से ही सीधे मांग लेने से हो जायेगा , इसलिए वे असंख्य प्रार्थनाये करते रहते है |
अगर उन्हें प्रार्थना शब्द का अर्थ पता चल जाये तो वे लोग ईश्वर से रोज नयी नयी demand करना छोड़ देंगे |
प्रार्थना का मतलब होता है
किसी उचित कार्य के लिए अपने पूर्ण प्रयास के बाद स्वयं से अधिक बलवान से बल की सहायता मांगना , धनवान से धन की , बुद्धिमान से बुद्धि की , ज्ञानवान से ज्ञान की सहायता मांगना ही प्रार्थना है |
इस तरह पूर्ण प्रयास के बाद किसी भी प्रकार की सहायता की याचना करना ही प्रार्थना कहलाती है |
इसलिए सबसे पहले हमेशा उचित कार्य करें और फिर उस पर अपना पूर्ण प्रयास लगा दे , यदि इसके बाद में भी सफलता न मिले तब जाकर आप ईश्वर से सहायता की याचना करे तो यह प्रार्थना कहलायी जाएगी |
इसलिए ऐसी सच्ची प्रार्थना ही करें |

असली भगवान कौन है ?

आजकल नकली भगवानों का दौर चल रहा है |
कुछ भगवान तो अपने आप को कल्कि अवतार घोषित किये हुए है तो वहीँ कुछ अपने आप को सीधे भगवान यानि ईश्वर ही घोषित किये हुए है , उनमे से कुछ जेल की सलाखों के पीछे बैठे है |
ऐसे में असली भगवान की पहचान कर लेना काफी जरुरी हो गया है |
कोई भी मनुष्य कभी भी ईश्वर नहीं हो सकता है , यदि कोई मनुष्य अपने आप को ईश्वर या उसका पैगंबर घोषित करे तो समझ लजिए वो महा पाखंडी है , उस से दुरी बनाये रखें और उसका प्रबल खंडन करें |
असली भगवान आपके लिए आपके माता, पिता है , आपको कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं होगी |
इसके अलावा ईश्वर के बारे वेदादि शास्त्रों से आप जानते रहे , वह ईश्वर निराकार , सर्वज्ञ सर्वांतर्यामी , अजर , अम्र , अभी , नित्य , पवित्र और सृष्टिकर्त्ता है , उसे जानने के लिए सृष्टि को जानने का प्रयास करते रहे |

भगवान एक है या अनेक ?


ईश्वर एक ही ही है अनेक नहीं |
दुर्भाग्य से आज हिन्दुओं ने अनेक ईश्वर मान लिए है , और 33 करोड़ तक पहुँच गए है जबकि वेद कहता है |
स एष एक-एक वृदेक एव
इस मन्त्र में ईश्वर को एक बताया है यानि ईश्वर सृष्टि की शुरुआत से लेकर अंत तक एक ही है ऐसा कहा गया है |
हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत् |
वेद मंत्र कहता है की इस सम्पूर्ण भूमंडल का स्वामी एक ही है |
इसलिए ईश्वर एक है, अनेक नहीं |
इस तरह हमने इन सवालों के जवाब आपके सामने रखें , अगर आपके मन और भी सवाल है तो आप कमेंट करके जरूर बताये , हम उनका जवाब देने का प्रयास करेंगे |

निवेदन

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