ঋগ্বেদ, যজুর্বেদ, অথর্ব বেদের ১৫০ টি শ্লোকে বিমানের বর্ণনা রয়েছে। ভারতীয় বিজ্ঞান কংগ্রেসে ক্যাপ্টেন আনন্দ জে বোদাস এই দাবি করেছেন। যদিও রাইট ব্রাদার্সের নাম ইতিহাসে রেকর্ড করা হয়েছে বিশ্বের প্রথম বিমান বিমান, যারা ১৯০৪ সালে প্রথম বিমানটি উড়েছিল। তবে ভারতে বিমানগুলি 7০০০ বছর আগেও উড্ডয়ন করত। এই বিমানগুলি কেবল এক দেশ থেকে অন্য দেশে যেতে সক্ষম ছিল না, তবে তাদের একটি গ্রহ থেকে অন্য গ্রহে যাওয়ার ক্ষমতাও ছিল।
Bharadwaaja thus defines the word Vimaana:
☞ Vega-Saamyaat Vimaano Andajaanaam. Sootra 1.
"Owing to similarity of speed with birds, it is named Vimaana."
अ॒न॒श्वो जा॒तो अ॑नभी॒शुरु॒क्थ्यो॒३॒॑ रथ॑स्त्रिच॒क्रः परि॑ वर्तते॒ रजः॑।
म॒हत्तद्वो॑ दे॒व्य॑स्य प्र॒वाच॑नं॒ द्यामृ॑भवः पृथि॒वीं यच्च॒ पुष्य॑थ ॥
-(ऋग वेद 4.36.1)
पदार्थान्वयभाषाः -हे (ऋभवः) बुद्धिमानो ! (वः) आप लोगों के लिये (अनश्वः) घोड़ों से रहित (अनभीशुः) जिसने किसी का दिया नहीं लिया वह (उक्थ्यः) प्रशंसा करने योग्य (त्रिचक्रः) तीन पहियों से युक्त (रथः) वाहनविशेष (जातः) उत्पन्न हुआ (यत्) जो (महत्) बड़े (रजः) लोकसमूह के (परि) सब ओर (वर्तते) वर्त्तमान है (तत्) वह (देव्यस्य) विद्वानों में उत्पन्न कर्म का (प्रवाचनम्) उपदेश सब ओर वर्त्तमान है, उससे (द्याम्) प्रकाश (च) और (पृथिवीम्) अन्तरिक्ष वा भूमि को आप लोग (पुष्यथ) पुष्ट करो ॥
भावार्थभाषाः -हे मनुष्यो ! तुम लोग अनेक प्रकार के अनेक कलाचक्रों तथा पशु घोड़ा के वाहन से रहित, अग्नि और जल से चलाये गये विमान आदि वाहनों को बना पृथिवी, जलों और अन्तरिक्ष में जा आकर और ऐश्वर्य्य को प्राप्त होकर पूर्ण सुखवाले होओ ॥ [he manushyo ! tum log anek prakaar ke anek kalaachakron tatha pashu ghoda ke vaahan se rahit, agni aur jal se chalaaye gaye vimaan aadi vaahanon ko bana prthivee, jalon aur antariksh mein ja aakar aur aishvaryy ko praapt hokar poorn sukhavaale hoo .]--स्वामी दयानन्द सरस्वतीঋগ্বেদে প্রাচীন বিমান প্রযুক্তির কথা বলা হয়েছে। মহর্ষি ভরদ্বাজ সাত হাজার বছর আগে এ জাতীয় বিমানের অস্তিত্ব সম্পর্কে কথা বলেছিলেন, যা এক দেশ থেকে অন্য দেশে যেতে পারে। শুধু তাই নয়, তিনি এক মহাদেশ থেকে অন্য মহাদেশে, এমনকি একটি গ্রহ থেকে অন্য গ্রহেও যেতে পেরেছিলেন। তিনি বিমান প্রযুক্তিতে 97 টি বই লিখেছিলেন। ইতিহাসে কেবল এটি লিপিবদ্ধ আছে যে রাইট ভাইয়েরা ১৯০৪ সালে প্রথমবারের মতো বিমানটি উড়েছিলেন। বোদাস বলেছিলেন যে মহর্ষি ভরদ্বাজ 'বিমান সংহিতা' নামে একটি বই লিখেছিলেন, যাতে বিমান তৈরির জন্য প্রয়োজনীয় ধাতুর উল্লেখ ছিল। বিমান তৈরি করতে এখন আমাদের ধাতু আমদানি করতে হবে।
বিদ্যা বাচস্পতি পন্ডিত মধুসূদন সরস্বতী "ইন্দ্রবিজয়" গ্রন্থে ঋগ্বেদের মন্ত্রের অর্থ লেখার সময় বলেছিলেন যে ঋষিগন এমন তিন চাকার রথ তৈরি করেছিলেন যা মহাশূন্যে উড়তে পারে। তিনটি অসুর ভাই মহাশূন্যে তিনটি অদম্য শহর তৈরি করেছিলেন, যা পৃথিবী, জল এবং আকাশে আসতে পারে, এবং ভগবান শিব তাদের ধ্বংস করেছিলেন। রামায়ণে পুষ্পক বিমানের বর্ণনা রয়েছে। মহাভারতে শ্রীকৃষ্ণ, জরাসন্ধ ইত্যাদি বিমানের বর্ণনা রয়েছে।
বেধানন্দ, যিনি বিমানশাস্ত্রের ভাষ্য লিখেছিলেন- তিনি টীকাতে লিখেছেনঃ
निर्मथ्य तद्वेदाम्बुधिं भरद्वाजो महामुनिः ।
नवनीतं समुद्घृत्य यन्त्रसर्वस्वरूपकम् ।
प्रायच्छत् सर्वलोकानामीप्सिताज्ञर्थ लप्रदम् ।
तस्मिन चत्वरिंशतिकाधिकारे सम्प्रदर्शितम् ॥
नाविमानर्वैचित्र्यरचनाक्रमबोधकम् ।
अष्टाध्यायैर्विभजितं शताधिकरणैर्युतम ।
सूत्रैः पञ्चशतैर्युक्तं व्योमयानप्रधानकम् ।
वैमानिकाधिकरणमुक्तं भगवतास्वयम् ॥
-अर्थात - भरद्वाज महामुनि ने वेदरूपी समुद्र का मन्थन करके यन्त्र सर्वस्व नाम का ऐसा मक्खन निकाला है , जो मनुष्य मात्र के लिए इच्छित फल देने वाला है । उसके चालीसवें अधिकरण में वैमानिक प्रकरण जिसमें विमान विषयक रचना के क्रम कहे गए हैं । यह ग्रंथ आठ अध्याय में विभाजित है तथ्ज्ञा उसमें एक सौ अधिकरण तथा पाँच सौ सूत्र हैं तथा उसमें विमान का विषय ही प्रधान है । ग्रंथ के बारे में बताने के बाद भ्ज्ञरद्वाज मुनि विमान शास्त्र के उनसे पपूर्व हुए आचार्य उनके ग्रंथों के बारे में लिखते हैं वे आचार्य तथा उनके ग्रंथ निम्नानुसार हैं।
[bharadvaaj mahaamuni ne vedaroopee samudr ka manthan karake yantr sarvasv naam ka aisa makkhan nikaala hai , jo manushy maatr ke lie ichchhit phal dene vaala hai . usake chaaleesaven adhikaran mein vaimaanik prakaran jisamen vimaan vishayak rachana ke kram kahe gae hain . yah granth aath adhyaay mein vibhaajit hai tathgya usamen ek sau adhikaran tatha paanch sau sootr hain tatha usamen vimaan ka vishay hee pradhaan hai . granth ke baare mein bataane ke baad bhgyaradvaaj muni vimaan shaastr ke unase papoorv hue aachaary unake granthon ke baare mein likhate hain ve aachaary tatha unake granth nimnaanusaar hain]
(१) नारायण कृत - विमान चन्द्रिका (२) शौनक कृत न् व्योमयान तंत्र (३) गर्ग - यन्त्रकल्प (४) वायस्पतिकृत - यान बिन्दु + चाक्रायणीकृत खेटयान प्रदीपिका (६) धुण्डीनाथ - व्योमयानार्क प्रकाश
এই বইটিতে ভারদ্বজ মুনি বিমানের সংজ্ঞা, বিমানের পাইলট, যাকে মরমী অফিসার, আকাশের পথ, বৈমানিকের পোশাক, বিমানের অংশ, শক্তি, যন্ত্রাদি এবং বিভিন্ন ধাতু তাদের তৈরি করতে বর্ননা দিয়েছেন।
यो वा॑मश्विना॒ मन॑सो॒ जवी॑या॒न्रथ॒: स्वश्वो॒ विश॑ आ॒जिगा॑ति।
येन॒ गच्छ॑थः सु॒कृतो॑ दुरो॒णं तेन॑ नरा व॒र्तिर॒स्मभ्यं॑ यातम् ॥
-ऋग्वेद १.११७.२[1,117,2]
पदार्थान्वयभाषाः -हे (नरा) न्याय की प्राप्ति करानेवाले (अश्विना) विचारशील सभा सेनाधीशो ! (यः) जो (सुकृतः) अच्छे साधनों से बनाया हुआ (स्वश्वः) जिसमें अच्छे वेगवान् बिजुली आदि पदार्थ वा घोड़े लगे हैं, वह (मनसः) विचारशील अत्यन्त वेगवान् मन से भी (जवीयान्) अधिक वेगवाला और (रथः) युद्ध की अत्यन्त क्रीड़ा करानेवाला रथ है, वह (विशः) प्रजाजनों की (आजिगाति) अच्छे प्रकार प्रशंसा कराता और (वाम्) तुम दोनों (येन) जिस रथ से (वर्त्तिः) वर्त्तमान (दुरोणम्) घर को (गच्छथः) जाते हो (तेन) उससे (अस्मभ्यम्) हम लोगों को (यातम्) प्राप्त हूजिये ॥
अन्वय: हे नराश्विना सभासेनेशौ यः सुकृतः स्वश्वो मनसो जवीयान् रथोऽस्ति स विश आजिगाति वा युवां येन रथेन वर्त्तिर्दुरोणं गच्छथस्तेनास्मभ्यं यातम् ॥
भावार्थभाषाः -राजपुरुषों को चाहिये कि मन के समान वेगवाले, बिजुली आदि पदार्थों से युक्त, अनेक प्रकार के रथ आदि यानों को निश्चित कर प्रजाजनों को सन्तोष देवें। और जिस-जिस कर्म से प्रशंसा हो उसी-उसी का निरन्तर सेवन करें, उससे और कर्म का सेवन न करें ॥ -स्वामी दयानन्द सरस्वती
[raajapurushon ko chaahiye ki man ke samaan vegavaale, bijulee aadi padaarthon se yukt, anek prakaar ke rath aadi yaanon ko nishchit kar prajaajanon ko santosh deven. aur jis-jis karm se prashansa ho usee-usee ka nirantar sevan karen, usase aur karm ka sevan na karen ]
अ॒न॒श्वो जा॒तो अ॑नभी॒शुरु॒क्थ्यो॒३॒॑ रथ॑स्त्रिच॒क्रः परि॑ वर्तते॒ रजः॑।
म॒हत्तद्वो॑ दे॒व्य॑स्य प्र॒वाच॑नं॒ द्यामृ॑भवः पृथि॒वीं यच्च॒ पुष्य॑थ ॥
-RigVed 4.36.1
पदार्थान्वयभाषाः -हे (ऋभवः) बुद्धिमानो ! (वः) आप लोगों के लिये (अनश्वः) घोड़ों से रहित (अनभीशुः) जिसने किसी का दिया नहीं लिया वह (उक्थ्यः) प्रशंसा करने योग्य (त्रिचक्रः) तीन पहियों से युक्त (रथः) वाहनविशेष (जातः) उत्पन्न हुआ (यत्) जो (महत्) बड़े (रजः) लोकसमूह के (परि) सब ओर (वर्तते) वर्त्तमान है (तत्) वह (देव्यस्य) विद्वानों में उत्पन्न कर्म का (प्रवाचनम्) उपदेश सब ओर वर्त्तमान है, उससे (द्याम्) प्रकाश (च) और (पृथिवीम्) अन्तरिक्ष वा भूमि को आप लोग (पुष्यथ) पुष्ट करो ॥
अन्वय: हे ऋभवो ! वोऽनश्वोऽनभीशुरुक्थ्यस्त्रिचक्रो रथो जातः सन् यन्महद्रजः परिवर्त्तते तद्देव्यस्य प्रवाचनं परिवर्त्तते तेन द्यां पृथिवीं च यूयं पुष्यथ ॥
भावार्थभाषाः -हे मनुष्यो ! तुम लोग अनेक प्रकार के अनेक कलाचक्रों तथा पशु घोड़ा के वाहन से रहित, अग्नि और जल से चलाये गये विमान आदि वाहनों को बना पृथिवी, जलों और अन्तरिक्ष में जा आकर और ऐश्वर्य्य को प्राप्त होकर पूर्ण सुखवाले होओ ॥--स्वामी दयानन्द सरस्वती
[he manushyo ! tum log anek prakaar ke anek kalaachakron tatha pashu ghoda ke vaahan se rahit, agni aur jal se chalaaye gaye vimaan aadi vaahanon ko bana prthivee, jalon aur antariksh mein ja aakar aur aishvaryy ko praapt hokar poorn sukhavaale hoo]
यास्ते॑ पूष॒न्नावो॑ अ॒न्तः स॑मु॒द्रे हि॑र॒ण्ययी॑र॒न्तरि॑क्षे॒ चर॑न्ति।
ताभि॑र्यासि दू॒त्यां सूर्य॑स्य॒ कामे॑न कृत॒ श्रव॑ इ॒च्छमा॑नः ॥
-(ऋग वेद 6.58.3)
पदार्थान्वयभाषाः -हे (कृत) किये हुए विद्वन् ! (पूषन्) भूमि के समान पुष्टियुक्त ! (याः) जो (ते) आपकी (हिरण्यययीः) तेजोमयी सुवर्णादिकों से सुभूषित (नावः) प्रशंसनीय नौकायें (समुद्रे) समुद्र वा (अन्तरिक्षे) अन्तरिक्ष में (अन्तः) भीतर (चरन्ति) जाती हैं (ताभिः) उनसे (कामेन) कामना करके (श्रवः) अन्नादिक की (इच्छमानः) इच्छा करते हुए (सूर्यस्य) सूर्य्य के (दूत्याम्) दूत की क्रिया के समान कामना को (यासि) प्राप्त होते हो, इससे धन्य हो ॥
भावार्थभाषाः -जो मनुष्य सुदृढ़ नावें और भूविमानों को भूमि और अन्तरिक्ष में चलनेवाले यानों को अन्तरिक्ष में चलने को रचते और उनसे देश-देशान्तरों को जाय आकर अपनी इच्छा को पूरी करते हैं, वे ही सूर्य्य के समान प्रकाशित कीर्तिवाले होते हैं ॥ {jo manushy sudrdh naaven aur bhoovimaanon ko bhoomi aur antariksh mein chalanevaale yaanon ko antariksh mein chalane ko rachate aur unase desh-deshaantaron ko jaay aakar apanee ichchha ko pooree karate hain, ve hee sooryy ke samaan prakaashit keertivaale hote hain .}-स्वामी दयानन्द सरस्वती
अ॒ना॒र॒म्भ॒णे तद॑वीरयेथामनास्था॒ने अ॑ग्रभ॒णे स॑मु॒द्रे।
यद॑श्विना ऊ॒हथु॑र्भु॒ज्युमस्तं॑ श॒तारि॑त्रां॒ नाव॑मातस्थि॒वांस॑म् ॥
-ऋग्वेद १.११६.५ [rig1.116.5]
पदार्थान्वयभाषाः -हे (अश्विनौ) विद्या में व्याप्त होनेवाले सभा सेनापति ! (यत्) तुम दोनों (अनारम्भणे) जिसमें आने-जाने का आरम्भ (अनास्थाने) ठहरने की जगह और (अग्रभणे) पकड़ नहीं है उस (समुद्रे) अन्तरिक्ष वा सागर में (शतारित्राम्) जिसमें जल की थाह लेने को सौ वल्ली वा सौ खम्भे लगे रहते और (नावम्) जिसको चलाते वा पठाते उस नाव को बिजुली और पवन के वेग के समान (ऊहथुः) बहाओ और (अस्तम्) जिसमें दुःखों को दूर करें उस घर में (आतस्थिवांसम्) धरे हुए (भुज्यम्) खाने-पीने के पदार्थ समूह को (अवीरयेथाम्) एक देश से दूसरे देश को ले जाओ, (तत्) उन तुम लोगों का हम सदा सत्कार करें ॥
अन्वय: हे अश्विनौ यद्यौ युवामनारम्भणेऽनास्थानेऽग्रभणे समुद्रे शतारित्रां नावमूहथुरस्तमातस्थिवांसं भुज्युमवीरयेथां विक्रमेथां तत् वयं सदा सत्कुर्याम ॥
भावार्थभाषाः -राजपुरुषों को चाहिये कि निरालम्ब मार्ग में अर्थात् जिसमें कुछ ठहरने का स्थान नहीं है वहां विमान आदि यानों से ही जावें। जबतक युद्ध में लड़नेवाले वीरों की जैसी चाहिये वैसी रक्षा न की जाय तबतक शत्रु जीते नहीं जा सकते, जिसमें सौ वल्ली विद्यमान हैं वह बड़े फैलाव की नाव बनाई जा सकती है। इस मन्त्र में शत शब्द असंख्यातयाची भी लिया जा सकता है, इससे अतिदीर्घ नौका का बनाना इस मन्त्र में जाना जाता है। मनुष्य जितनी बड़ी नौका बना सकते हैं, उतनी बड़ी बनानी चाहिये। इस प्रकार शीघ्र जानेवाला पुरुष भूमि और अन्तरिक्ष में जाने-आने के लिये यानों को बनावे ॥ -स्वामी दयानन्द सरस्वती
[raajapurushon ko chaahiye ki niraalamb maarg mein arthaat jisamen kuchh thaharane ka sthaan nahin hai vahaan vimaan aadi yaanon se hee jaaven. jabatak yuddh mein ladanevaale veeron kee jaisee chaahiye vaisee raksha na kee jaay tabatak shatru jeete nahin ja sakate, jisamen sau vallee vidyamaan hain vah bade phailaav kee naav banaee ja sakatee hai. is mantr mein shat shabd asankhyaatayaachee bhee liya ja sakata hai, isase atideergh nauka ka banaana is mantr mein jaana jaata hai. manushy jitanee badee nauka bana sakate hain, utanee badee banaanee chaahiye. is prakaar sheeghr jaanevaala purush bhoomi aur antariksh mein jaane-aane ke liye yaanon ko banaave .]
यु॒वं न॑रा स्तुव॒ते कृ॑ष्णि॒याय॑ विष्णा॒प्वं॑ ददथु॒र्विश्व॑काय।
घोषा॑यै चित्पितृ॒षदे॑ दुरो॒णे पतिं॒ जूर्य॑न्त्या अश्विनावदत्तम् ॥
- ऋग्वेद १.११७.७[1/117/7]
पदार्थान्वयभाषाः -हे (नरा) सब कामों में प्रधान और (अश्विनौ) सब विद्याओं में व्याप्त सभासेनाधीशो ! (युवम्) तुम दोनों (कृष्णियाय) खेती के काम की योग्यता रखने और (स्तुवते) सत्य बोलनेवाले (पितृषदे) जिसके समीप विद्या विज्ञान देनेवाले स्थित होते (विश्वकाय) और जो सभों पर दया करता है उस राजा के लिये (दुरोणे) घर में (विष्णाप्वम्) जिस पुरुष से खेती के भरे हुए कामों को प्राप्त होता उस खेती रखनेवाले पुरुष को (ददथुः) देओ (चित्) और (जूर्य्यन्त्यै) बुड्ढेपन को प्राप्त करनेवाली (घोषायै) जिसमें प्रशंसित शब्द वा गौ आदि के रहने के विशेष स्थान हैं, उस खेती के लिये (पतिम्) स्वामी अर्थात् उसकी रक्षा करनेवाले को (अदत्तम्) देओ ॥
अन्वय: हे नराश्विनौ युवं युवां कृष्णियाय स्तुवते पितृषदे विश्वकाय दुरोणे विष्णाप्वं पतिं ददथुः। चिदपि जूर्यन्त्यै घोषायै पतिमदत्तम् ॥
भावार्थभाषाः -राजा आदि न्यायाधीश खेती आदि कामों के करनेवाले पुरुषों से सब उपकार पालना करनेवाले पुरुष और सत्य न्याय को प्रजाजनों को देकर उन्हें पुरुषार्थ में प्रवृत्त करें। इन कार्य्यों की सिद्धि को प्राप्त हुए प्रजाजनों से धर्म के अनुकूल अपने भाग को यथायोग्य ग्रहण करें ॥ -स्वामी दयानन्द सरस्वती
[raaja aadi nyaayaadheesh khetee aadi kaamon ke karanevaale purushon se sab upakaar paalana karanevaale purush aur saty nyaay ko prajaajanon ko dekar unhen purushaarth mein pravrtt karen. in kaaryyon kee siddhi ko praapt hue prajaajanon se dharm ke anukool apane bhaag ko yathaayogy grahan karen]
आ होता॑ म॒न्द्रो वि॒दथा॑न्यस्थात्स॒त्यो यज्वा॑ क॒वित॑मः॒ स वे॒धाः।
वि॒द्युद्र॑थः॒ सह॑सस्पु॒त्रो अ॒ग्निः शो॒चिष्के॑शः पृथि॒व्यां पाजो॑ अश्रेत्॥
(ऋग वेद 3.14.1)
पदार्थान्वयभाषाः -हे मनुष्यो ! जो (मन्द्रः) अच्छे और प्रसन्न कराने (सत्यः) श्रेष्ठ पुरुषों का आदर करने (यज्वा) मेल करने और (होता) सब विद्या का देनेवाला (कवितमः) अत्यन्त विद्वान् (वेधाः) बुद्धिमान् पुरुष है (सः) वह (विदथानि) विज्ञानों को (आ) (अस्थात्) प्राप्त होकर उत्पन्न करे (विद्युद्रथः) बिजुली से रथ चलानेवाला (सहसः) बलयुक्त वायु के (पुत्रः) सन्तान के सदृश (शोचिष्केशः) केशों के सदृश तेजों को धारणकर्त्ता (अग्निः) अग्नि के तुल्य तेजस्वी इस (पृथिव्याम्) पृथिवी में (पाजः) बल का (अश्रेत्) आश्रय करे, उससे विमानरचना और शिल्पविद्या में निपुण होइये ॥
अन्वय: हे मनुष्या यो मन्द्रः सत्यो यज्वा होता कवितमो वेधा अस्ति स विदथान्यास्थात् विद्युद्रथः सहसस्पुत्रः शोचिष्केशोऽग्निः पृथिव्यां पाजोऽश्रेत्तस्मादेव युष्माभिः शिल्पविद्या सङ्ग्राह्या ॥
भावार्थभाषाः -जो मनुष्य पदार्थविद्या में कुशल होकर हाथ की कारीगरी से यन्त्रकला सिद्ध करके बिजुली से चलाने योग्य वाहनों को रचें, तो वे अत्यन्त सुख को प्राप्त होवें ॥ [jo manushy padaarthavidya mein kushal hokar haath kee kaareegaree se yantrakala siddh karake bijulee se chalaane yogy vaahanon ko rachen, to ve atyant sukh ko praapt hoven]--स्वामी दयानन्द सरस्वती
यम॑श्विना द॒दथु॑: श्वे॒तमश्व॑म॒घाश्वा॑य॒ शश्व॒दित्स्व॒स्ति।
तद्वां॑ दा॒त्रं महि॑ की॒र्तेन्यं॑ भूत्पै॒द्वो वा॒जी सद॒मिद्धव्यो॑ अ॒र्यः ॥
-१.११६.६[1.116.6]
पदार्थान्वयभाषाः -हे (अश्विना) जल और पृथिवी के समान शीघ्र सुख के देनेहारो सभासेनापति ! तुम दोनों (अघाश्वाय) जो मारने के न योग्य और शीघ्र पहुँचानेवाला है उस वैश्य के लिये (यम्) जिस (श्वेतम्) अच्छे बढ़े हुए (अश्वम्) मार्ग में व्याप्त प्रकाशमान बिजुलीरूप अग्नि को (ददथुः) देते हो तथा जिससे (शश्वत्) निरन्तर (स्वस्ति) सुख को पाकर (वाम्) तुम दोनों की (कीर्त्तेन्यम्) कीर्त्ति होने के लिये (महि) बड़े राज्यपद (दात्रम्) और देने योग्य (इत्) ही पदार्थ को ग्रहण कर (पैद्वः) सुख से ले जानेहारा (वाजी) अच्छा ज्ञानवान् पुरुष उस (सदम्) रथ को कि जिसमें बैठते हैं रच के (अर्यः) वणियाँ (हव्यः) पदार्थों के लेने योग्य (भूत्) होता है (तत्, इत्) उसी पूर्वोक्त विमानादि को बनाओ ॥
अन्वय: हे अश्विना युवामघाश्वाय वैश्याय यं श्वेतमश्वं भास्वरं विद्युदाख्यं ददथुर्दत्तः। येन शश्वत् स्वस्ति प्राप्य वा कीर्त्तेन्यं महि दात्रमिदेव गृहीत्वा पैद्वो वाजी तत् सदं रचयित्वाऽर्यश्च हव्यो भूद् भवति तदिदेवं विधत्ताम् ॥
भावार्थभाषाः -जो सभा और सेना के अधिपति वणियों (=वणिकों) की भली-भाँति रक्षा कर रथ आदि यानों में बैठाकर द्वीप-द्वीपान्तर में पहुँचावें, वे बहुत धनयुक्त होकर निरन्तर सुखी होते हैं ॥--स्वामी दयानन्द सरस्वती
[jo sabha aur sena ke adhipati vaniyon (=vanikon) kee bhalee-bhaanti raksha kar rath aadi yaanon mein baithaakar dveep-dveepaantar mein pahunchaaven, ve bahut dhanayukt hokar nirantar sukhee hote hain .]
বিমান শাস্ত্র সংস্কৃত শ্লোকে রচিত একটি পাঠ্য, যেখানে বিমান সম্পর্কিত তথ্য দেওয়া হয়েছে। এই লেখায় বলা হয়েছে যে প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থগুলিতে বর্ণিত বিমানগুলি রকেটের মতো উড়ন্ত উন্নত বায়ুবিদ্যুৎবাহী যান ছিল।
এটিতে মোট আটটি অধ্যায় এবং ৩০০০ শ্লোক রয়েছে। পণ্ডিত সুব্বারায় শাস্ত্রীর মতে এই গ্রন্থের প্রধান পিতা ছিলেন রামায়ণের মহর্ষি ভরদ্বাজ।
ভরদ্বাজ 'বিমান' সংজ্ঞায়িত করেছেন-
বেগ-নিয়ন্ত্রিত বিমানগুলি
(পাখির মতো গতির কারণে এটিকে 'বিমান' বলা হয়।)
- वृहद विमानशास्त्र (सम्पादक एवं भाषानुवादक : स्वामी ब्रह्ममुनि परिब्राजक, गुरुल कांगड़ी, हरिद्वार)
20 টিরও বেশি প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থে বিমানের উল্লেখ রয়েছে। এই গ্রন্থগুলির মধ্যে প্রাচীনতমটি বেদ, সংকলিত, সংখ্যাগরিষ্ঠ ইন্ডোলজিস্টদের মতে খ্রিস্টপূর্ব 2500 এর পরে নেই। ঙ। (জার্মান প্রাচ্যবিদ জি.জি. জ্যাকোবি এগুলি খ্রিস্টপূর্ব ৪০০০০ অবধি, এবং ভারতীয় গবেষক ভি.জি. তিলক এমনকি খ্রিস্টপূর্ব 000০০০ অবধি)।
এই "ঘোড়া ছাড়া উড়ন্ত এয়ার রথগুলির মধ্যে একটি" ঈশ্বরিক গুরু রিবু তৈরি করেছিলেন।
"... আকাশের পাখির মতো একটি রথ চিন্তার চেয়ে দ্রুত গতিতে চলল, সূর্য ও চাঁদে উঠল এবং জোরে গর্জন করে পৃথিবীতে নেমেছিল ..."
রথটি তিনটি পাইলট চালিত করেছিলেন; তিনি --৮ জন যাত্রী চলাচল করতে সক্ষম হন; তিনি স্থল ও জলে অবতরণ করতে পারতেন।
প্রাচীন লেখক রথের প্রযুক্তিগত বৈশিষ্ট্যগুলিও উল্লেখ করেছেন: একটি তিন তলা ত্রিভুজাকার আকারের যন্ত্রপাতি, যার দুটি ডানা এবং তিন চাকা ছিল, বিমান চলাকালীন প্রত্যাহার করা হয়েছিল, বিভিন্ন ধরণের ধাতব দ্বারা তৈরি এবং মধু, জাতি এবং আনা নামক তরলগুলিতে কাজ করেছিল। এটি এবং অন্যান্য সংস্কৃত গ্রন্থ বিশ্লেষণ করে অধ্যাপক-সংস্কৃতবিদ ডি.কে. প্রাচীন ভারতের বিমানের লেখক কঞ্জিলাল এই সিদ্ধান্তে পৌঁছেছিলেন যে জাতি পারদ, মধু মধু বা ফলের রস থেকে তৈরি একটি অ্যালকোহল, আনা খাঁটি ভাত বা উদ্ভিজ্জ তেল থেকে অ্যালকোহল।
বৈদিক গ্রন্থে বিভিন্ন ধরণের ও আকারের আকাশের রথের বর্ণনা দেওয়া হয়েছে: "অগ্নিহোত্রভিমান" দুটি ইঞ্জিন সহ "হাতি-বিমান" এবং আরও অনেক ইঞ্জিন সহ "কিংফিশার", "আইবিস", এবং অন্যান্য প্রাণী রয়েছে। রথের বিমানের উদাহরণও দেওয়া হয় (দেবতা এবং কিছু নশ্বর তাদের দিকে উড়ে এসেছিলেন)। উদাহরণস্বরূপ, মারুটের অন্তর্ভুক্ত রথের বিমানের বর্ণনা এখানে দেওয়া হয়েছে:
"... ঘরবাড়ি এবং গাছ কাঁপছে, এবং ছোট গাছগুলি ভয়াবহ বাতাসের সাথে উপড়ে ফেলা হচ্ছে, পর্বতমালার গুহাগুলি দুর্ঘটনায় ভরা ছিল, এবং আকাশটি টুকরো টুকরো হয়ে গেছে বা বিমানের ক্রুর অসাধারণ গতি এবং শক্তিশালী দুর্ঘটনায় পড়েছিল ..."
মহাভারত এবং রামায়ণে বিমান
ভারতীয় জনগণ মহাভারত ও রামায়ণের মহাকাব্যে বায়ু রথের অনেকগুলি উল্লেখ (বিমান এবং অগ্নিহোত্রহ) পাওয়া যায়। দুটি কবিতাই বিমানের উপস্থিতি এবং কাঠামো সম্পর্কে বিশদ বর্ণনা করে: "লোহার মেশিনগুলি, মসৃণ এবং চকচকে, একটি গর্জনকারী শিখা তাদের থেকে উদ্ভূত হয়"; "ছিদ্র এবং একটি গম্বুজযুক্ত ডাবল ডেকার্ড গোল জাহাজ"; "অনেকগুলি জানালার সাথে দ্বিতল আকাশের রথগুলি একটি লাল শিখার সাথে স্ফীত হয়," যা "যেখানে উঠে এসেছিল যেখানে সূর্য এবং তারা উভয়ই দৃশ্যমান" " এটি এটিও ইঙ্গিত করে যে ডিভাইসগুলির ফ্লাইটটি মেলোডিক বেজে ওঠে বা উচ্চতর শব্দ সহ, উড়ানের সময় আগুন প্রায়শই দেখা যেত। এগুলি বাতাসে ঘুরে বেড়াতে, উপরের দিকে এবং নীচে, পিছনে এবং পিছনে, বাতাসের গতিতে দৌড়ঝাঁপ করতে বা "চিন্তার গতিতে" "কোনও সময়ই" বিশাল দূরত্ব ভ্রমণ করতে পারে "
প্রাচীন গ্রন্থগুলির বিশ্লেষণ থেকে আমরা উপসংহারে পৌঁছাতে পারি যে, বিমানগুলি দ্রুততম এবং সর্বনিম্ন কোলাহলপূর্ণ বিমান; অগ্নিহোট্রসের বিমানটি একটি গর্জন, আগুনের শিখা বা শিখা (স্পষ্টতই, তাদের নাম "অগ্নি" - আগুন) থেকে আসে।
প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থগুলিতে দাবি করা হয়েছে যে "সূর্য মন্ডলা" এবং "নক্ষত্র মন্ডাল" -এর মধ্যে বিচরণের জন্য বিমান ছিল। সংস্কৃত এবং আধুনিক হিন্দিতে "সূর্য" অর্থ সূর্য, "মন্ডাল" - গোলক, অঞ্চল, "নক্ষত্র" - একটি তারা। সম্ভবত এটি সৌরজগতের মধ্যে এবং তার বাইরে উভয় ফ্লাইটেরই একটি ইঙ্গিত।
এখানে একটি বিশাল বিমান ছিল যা সেনা এবং অস্ত্র বহন করতে পারে, পাশাপাশি একটি ছোট বিমানও ছিল, যার মধ্যে একটি যাত্রীর জন্য নকশাকৃত আনন্দ কারুকাজ রয়েছে; রথগুলিতে বিমানগুলি কেবল দেবতা দ্বারাই নয়, নশ্বর-রাজা এবং বীরাঙ্গনা দ্বারাও সম্পন্ন হত। এইভাবে, মহাভারতের মতে, সেনাপতি-সেনাপতি মহারাজা বলি, রাক্ষস রাজা ভিরোকানার পুত্র, বৈহায়াসু জাহাজে চড়েছিলেন।
"... এই আশ্চর্যজনকভাবে সজ্জিত জাহাজটি মায়া শয়তান দ্বারা তৈরি হয়েছিল এবং এটি সমস্ত ধরণের অস্ত্র সজ্জিত ছিল। এটি বোঝা এবং বর্ণনা করা অসম্ভব। এটি হয় দৃশ্যমান বা না দেখা যায়। এক মহৎ সুরক্ষিত ছাতার নিচে এই জাহাজে বসে মহারাজা বালি তার সেনাপতি এবং সেনাপতিদের দ্বারা বেষ্টিত বলে মনে হয়েছিল। সন্ধ্যায় আরোহণ করা চাঁদ দ্বারা বিশ্বের সমস্ত কোণ আলোকিত করে ... "
মহাভারতের আর একজন বীর - নশ্বর মহিলা অর্জুনের ইন্দ্রের পুত্র - তাঁর পিতার কাছ থেকে একটি যাদুবিজ্ঞান লাভ করেছিলেন, যিনি তাঁর সারথী গন্ধর্ব মাতালিকেও তাঁর নির্দেশে রেখেছিলেন।
"... রথটি প্রয়োজনীয় সমস্ত কিছুর সাথে সজ্জিত ছিল gods কোনও দেবতা বা রাক্ষসরা এটিকে পরাস্ত করতে পারেনি; এটি আলোক বিকিরণ করেছিল এবং কাঁপতে কাঁপতে কাঁপতে কাঁপছে। এটি তার সৌন্দর্যে, এটি যারা মনন করেছিল তাদের মনকে মুগ্ধ করেছিল Vish বিশ্বকর্মা - দেবতাদের স্থপতি এবং ডিজাইনার দ্বারা এটি সৃষ্টি হয়েছিল us "এর আকৃতি, সূর্যের আকারের মতো, যথাযথভাবে বিবেচনা করা যায়নি ..." অর্জুন কেবল পৃথিবীর বায়ুমণ্ডলে নয়, মহাশূন্যেও উড়ে গিয়েছিলেন, অসুরদের বিরুদ্ধে দেবতাদের যুদ্ধে অংশ নিয়েছিলেন ... "
... এবং এই সূর্যের মতো ঈশ্বরিক রথ যা বিস্ময়ের কাজ করে, কুরুর বুদ্ধিমান বংশধর উড়ে এসেছিলেন। পৃথিবীতে হাঁটা প্রাণীদের কাছে অদৃশ্য হয়ে ওঠেন, তিনি দেখলেন হাজার হাজার আশ্চর্য বায়ুর রথ। সেখানে সূর্য, চাঁদ বা আগুনের কোন আলো ছিল না, তবে তারা তাদের নিজস্ব আলো নিয়ে আলোকিত হয়েছিল, তাদের যোগ্যতা অর্জন করেছিল। দূরত্বের কারণে, তারার আলো একটি প্রদীপের ক্ষুদ্র শিখা হিসাবে দেখা যায়, তবে বাস্তবে এগুলি অনেক বড়। পাণ্ডব তাদের উজ্জ্বল এবং সুন্দর দেখলেন, তাদের নিজের আগুনের আলোতে জ্বলজ্বল করলেন ... "
মহাভারতের আর এক নায়ক, উপারিচরের রাজা ভাসুও ইন্দ্রের ভাইমানায় উড়ে এসেছিলেন। তার সাথে, তিনি পৃথিবীর সমস্ত ঘটনা, মহাবিশ্বে দেবতার উড়ান এবং অন্যান্য পৃথিবীও দেখতে পেতেন। রাজা তাঁর উড়ন্ত রথের দ্বারা এতটাই দূরে সরে গিয়েছিলেন যে তিনি সমস্ত বিষয় ত্যাগ করেন এবং তাঁর বেশিরভাগ সময় বাতাসে তাঁর সমস্ত আত্মীয়দের সাথে কাটাতেন।
রামায়ণে, নায়কদের মধ্যে অন্যতম, হনুমান, যিনি লঙ্কায় রাক্ষস রাবণের প্রাসাদে উড়েছিলেন, তাঁর বিশাল উড়ন্ত রথটি পুষ্পক (পুস্পাকা) দ্বারা আঘাত করেছিলেন।
"... তিনি মুক্তোর মতো উজ্জ্বল এবং উঁচু প্রাসাদের টাওয়ারগুলির ওপরে উঠে গিয়েছিলেন ... সোনার সাথে সজ্জিত এবং বিশ্বকর্মা নিজেই তৈরি করেছেন অতুলনীয় শিল্পকর্ম দ্বারা সজ্জিত, মহাকাশের বিস্তৃতিতে সূর্যের রশ্মির মতো উড়ে বেড়াচ্ছেন, পুষ্পকের রথটি চমকপ্রদভাবে ফুটিয়ে তুলেছিল। এতে প্রতিটি বিবরণ সর্বশ্রেষ্ঠ শিল্প দিয়ে তৈরি হয়েছিল পাশাপাশি বিরল রত্নগুলির সাথে রেখাযুক্ত একটি অলঙ্কার ...
বাতাসের মতো অপ্রতিরোধ্য এবং দ্রুত ... আকাশের মধ্যে দিয়ে ছুটে আসা, প্রশস্ত, অনেক কক্ষ সহ, শিল্পের দুর্দান্ত কাজের সাথে সজ্জিত, হৃদয়কে বিমোহিত করা, শরতের চাঁদের মতো অনবদ্য, এটি ঝলমলে চূড়ার সাথে একটি পাহাড়ের সাদৃশ্য ... "
এবং এখানে কীভাবে এই উড়ন্ত রথটিকে রামায়ণের কাব্যগ্রন্থে চিহ্নিত করা হয়েছে:"... পুষ্পাকিতে, যাদু রথ, সূঁচ বুনন একটি গরম ঝলমলে ouredালা। রাজধানীর দর্শনীয় প্রাসাদ তারা তার কাছে পৌঁছায়নি!এবং দেহটি পাইনাল প্যাটার্নে ছিল - প্রবাল, স্মাগড, পালকযুক্ত, ঘোড়াগুলি উদ্যোগী, লালন-পালন করা এবং জটিল সাপগুলির মোতলে বাজে ... "
"... হনুমান উড়ন্ত রথে দেখে অবাক হয়ে গেল
এবং বিশ্বকর্মণ divineশ্বরিক ডান হাত।
তিনি এটিকে তৈরি করেছেন, সহজেই উড়েছিলেন,
তিনি এটি মুক্তো দিয়ে সজ্জিত করেছেন এবং নিজেকে বলেছিলেন: "মহিমান্বিত!"
তার প্রচেষ্টা এবং সাফল্যের প্রমাণ
এই মাইলফলকটি রৌদ্রোজ্জ্বল পথে ছড়িয়েছে ... "
এখানে রাম ইন্দ্রকে উপস্থাপিত আকাশের রথের বর্ণনা রয়েছে:
"... সেই স্বর্গীয় রথটি বড় এবং সুন্দরভাবে সজ্জিত ছিল, অনেক কক্ষ এবং জানালা দিয়ে দ্বিতল ছিল It এটি আকাশের উচ্চতায় ওঠার আগে একটি সুরেলা শব্দ করেছে ..."।
এবং এখানেই রাম এই স্বর্গীয় রথটি পেয়েছিলেন এবং রাবণের সাথে লড়াই করেছিলেন (ভি। পোটাপোভা অনুবাদ করেছেন):
"... আমার মাতালি! - ইন্দ্র তখন রথটিকে ডাকেন, -
তুমি রঘু আমার রথটি আমার বংশের কাছে নিয়ে যাও! "
এবং মাতালি স্বর্গীয়, এক অপূর্ব দেহ নিয়ে বেরিয়ে এল,
আগুনের ঘোড়াগুলি সে ড্রাবার পান্নাতে লাগিয়েছিল ...
... তারপর বাম থেকে ডানদিকে থান্ডারবোল্টের রথ right
দুনিয়া তার খ্যাতির চারপাশে যেতে যেতে সাহসী মানুষটি ঘুরতে গেল।
সাসারভিচ এবং মাতালি, লাগামগুলি শক্তভাবে চেপে ধরে,
রথে চড়ে। রাবণও তাদের কাছে ছুটে গেল,
এবং যুদ্ধ ফুটতে শুরু করে, ত্বকে চুল বাড়িয়েছিল ... "
ভারতীয় সম্রাট অশোক (খ্রিস্টপূর্ব তৃতীয় শতাব্দী) সিক্রেট সোসাইটি অফ নাইন অজানাদের সংগঠিত করেছিলেন, যাতে ভারতের সেরা পণ্ডিতদের অন্তর্ভুক্ত ছিল। তারা বিমান সম্পর্কিত তথ্য সম্বলিত প্রাচীন উত্সগুলি অধ্যয়ন করেছিল। অশোক বিজ্ঞানীদের কাজকে একটি গোপন রেখেছিলেন, কারণ তিনি চান না যে তারা প্রাপ্ত তথ্য সামরিক উদ্দেশ্যে ব্যবহার করতে পারেন। সমাজের কাজের ফলাফলটি নয়টি বইতে পরিণত হয়েছিল, যার একটির নাম ছিল "গ্র্যাভিটির গোপনীয়তা"। কেবল শ্রবণশক্তি দ্বারা iansতিহাসিকদের কাছে পরিচিত এই বইটি মূলত মাধ্যাকর্ষণ নিয়ন্ত্রণ নিয়ে কাজ করেছে। আজ যেখানে বইটি রয়েছে তা জানা যায়নি, সম্ভবত এখনও এটি ভারত বা তিব্বতের কোনও গ্রন্থাগারে রাখা হয়েছে।
অশোক বিমান ও অন্যান্য মহাকাশ বিমানগুলি ব্যবহার করে বিধ্বংসী যুদ্ধ সম্পর্কেও অবহিত ছিলেন যা তাঁর আগে কয়েক হাজার বছর পূর্বে প্রাচীন ভারতীয় "রাম রাজ" (রামের রাজত্ব) ধ্বংস করেছিল।
উত্তর ভারত এবং পাকিস্তানের রামের রাজত্ব, কিছু উত্স অনুসারে, 15 হাজার বছর আগে তৈরি হয়েছিল, অন্যের মতে - এটি খ্রিস্টপূর্ব VI ষ্ঠ সহস্রাব্দে উত্থিত হয়েছিল। ঙ। এবং খ্রিস্টপূর্ব তৃতীয় সহস্রাব্দ অবধি বিদ্যমান ছিল। ঙ। রামের রাজ্যে এমন বিশাল ও বিলাসবহুল শহর ছিল যার ধ্বংসাবশেষ এখনও পাকিস্তান, উত্তর ও পশ্চিম ভারতের মরুভূমিতে পাওয়া যায়।
একটি মতামত আছে যে রামের রাজত্ব আটলান্টিকের ("আসভিনস" এর রাজ্য) এবং হাইপারবোরিয়ান ("আর্যদের রাজ্য") সভ্যতার সমান্তরালে বিদ্যমান ছিল এবং এটি "আলোকিত পুরোহিত-রাজা" দ্বারা শাসিত হয়েছিল যারা শহরগুলিকে নেতৃত্ব দিয়েছিল।
রামের সবচেয়ে বড় সাতটি মহানগর শহর "sevenষির সাত শহর" হিসাবে পরিচিত। প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থ অনুসারে এই শহরগুলির বাসিন্দাদের বিমান - বিমান ছিল।
বিমান সম্পর্কে - অন্যান্য পাঠ্যে
ভাগবত পুরাণে মায়া দানভা কর্তৃক নির্মিত সৌভের যুদ্ধ বিমানের ("আয়রন উড়ন্ত শহর") এর আকাশ আক্রমণ সম্পর্কে এবং দেবতা কৃষ্ণের বাসভবনে শালভের অধীনস্থ আধ্যাত্মিক আক্রমণ সম্পর্কে তথ্য দেওয়া হয়েছিল, যা এল জেনেটসের মতে, এটি একসময় ক্যাথিভার উপদ্বীপে অবস্থিত। এই ঘটনাটি এল জেনেটেসের বইটিতে "দেবতাদের বাস্তবতা: প্রাচীন ভারতে মহাকাশ উড়ন্ত" (১৯৯ the) সংস্কৃত মূলের কাছাকাছি একজন অজানা লেখকের অনুবাদে এইভাবে বর্ণনা করা হয়েছে:
"... শালভা তার শক্তিশালী বাহিনী নিয়ে শহরটি ঘেরাও করেছিল
হে ভরত মহিমান্বিত। দ্বারাকা, উদ্যান এবং পার্কে
তিনি নির্মমভাবে ধ্বংস, পোড়া এবং মাটিতে ছিন্নভিন্ন।
তিনি শহরের উপরে তাঁর সদর দফতর স্থাপন করেছিলেন, বাতাসে উড়ে যায়।
তিনি গৌরবময় শহর ধ্বংস করেছিলেন: এর দ্বার এবং মিনারগুলি,
এবং প্রাসাদ, গ্যালারী, এবং টেরেস এবং প্ল্যাটফর্মগুলি।
এবং ধ্বংসের অস্ত্রগুলি শহরে বৃষ্টি হয়েছিল
তার ভয়ানক, দুর্গম স্বর্গীয় রথ থেকে ... "
(দ্বারাকা শহরে বিমান আক্রমণ সম্পর্কিত একই তথ্য সম্পর্কেও মহাভারতে দেওয়া হয়েছে)
সৌভা এমন একটি অস্বাভাবিক জাহাজ ছিল যে মাঝে মাঝে মনে হত আকাশে অনেকগুলি জাহাজ ছিল, এবং কখনও কখনও একটিও দেখা যায় নি। তিনি একই সাথে দৃশ্যমান এবং অদৃশ্য ছিলেন এবং ইয়াদু বংশের যোদ্ধারা বিস্মিত হয়েছিলেন, এই অদ্ভুত জাহাজটি কোথায় ছিল তা জানেন না। তাঁকে পৃথিবীতে দেখা গিয়েছিল, এখন আকাশে, তারপরে পাহাড়ের চূড়ায় অবতরণ, তারপরে জলে ভাসছে। এই আশ্চর্যজনক জাহাজটি জ্বলন্ত ঘূর্ণিঝড়ের মতো আকাশ জুড়ে উড়েছিল, এক মুহুর্তও স্থির থাকে না।
এবং এখানে ভাগবত পুরাণের আর একটি পর্ব রয়েছে। দেবাহুতি রাজা স্বয়ম্ভু মনুর কন্যাকে বিয়ে করার পরে ardষি কর্দমা মুনি একদিন তাকে মহাবিশ্বের পথে যাত্রা করার সিদ্ধান্ত নিয়েছিলেন। এটি করার জন্য, তিনি একটি দুর্দান্ত "এয়ার প্রাসাদ" (ভাইমানা) তৈরি করেছিলেন, যা উড়তে পারে, তার ইচ্ছার আনুগত্যকারী। এই "আশ্চর্য উড়ন্ত প্রাসাদ" পেয়ে, তিনি এবং তাঁর স্ত্রী বিভিন্ন গ্রহ ব্যবস্থার মধ্য দিয়ে যাত্রা করেছিলেন: "... সুতরাং তিনি বাতাসের মতো একটি গ্রহ থেকে অন্য গ্রহে ভ্রমণ করেছিলেন, বাধার মুখোমুখি না হয়ে সর্বত্র প্রবাহিত হয় its "উড়ে যাওয়া বিমান দুর্গে, তাঁর ইচ্ছার আনুগত্যকারী, তিনি এমনকি ডেমিগডকেও ছাড়িয়ে গিয়েছিলেন ..."
মায়া দানভায়ের ইঞ্জিনিয়ারিং প্রতিভা দ্বারা নির্মিত তিনটি "উড়ন্ত শহর" এর আকর্ষণীয় বর্ণনা শিব পুরাণে দেওয়া হয়েছে:
"... এরিয়াল রথগুলি, একটি সান ডিস্কের মতো জ্বলজ্বল করে, মূল্যবান পাথরের সাথে আঁকা, সমস্ত দিকে এবং চাঁদের মতো শহরকে আলোকিত করেছিল ..."
বিখ্যাত সংস্কৃত উত্স "সমরঙ্গণ সূত্রধরা" বিমানকে দেওয়া হয়েছে ২৩০ টির মতো স্টাঞ্জ! তদ্ব্যতীত, ভাইমানসের পরিচালনার নকশা এবং নীতিটি পাশাপাশি তাদের নেওয়া এবং অবতরণের বিভিন্ন উপায় এবং পাখির সাথে সংঘর্ষের সম্ভাবনাও বর্ণনা করা হয়েছে।
বিভিন্ন ধরণের ভাইমানসের কথা বলা হয়েছে, উদাহরণস্বরূপ, একটি হালকা বিমান যা একটি বড় পাখির ("লাঘু-দারু") এর সদৃশ ছিল এবং একটি "হালকা কাঠের তৈরি বড় পাখির মতো যন্ত্রপাতি ছিল, যার অংশগুলি দৃly়ভাবে সংযুক্ত ছিল।"
"গাড়িটি ডানাগুলিকে উপরে এবং নীচে ফ্ল্যাপ করে উত্পাদিত বায়ু প্রবাহের সহায়তায় চালিত হয়েছিল the পারদ গরম করার ফলে প্রাপ্ত শক্তি প্রয়োগের কারণে তারা পাইলট দ্বারা চালিত হয়েছিল" " পারদটির জন্য ধন্যবাদ ছিল যে মেশিনটি "বজ্রপাতের শক্তি" অর্জন করেছিল এবং "আকাশের মুক্তায় পরিণত হয়েছিল"।
পাঠ্যটিতে ভাইমানার 25 টি উপাদানকে তালিকাভুক্ত করা হয়েছে এবং তাদের উত্পাদনের মূল নীতিগুলি বিবেচনা করা হয়েছে।
"হালকা উপাদানের তৈরি বিশাল পাখির মতো ভিমনার দেহটি শক্ত এবং টেকসই করা উচিত। এর ভিতরে আপনাকে একটি পারদ ইঞ্জিন [পারদ সহ উচ্চ তাপমাত্রার চেম্বার] তার লোহা গরম করার যন্ত্রটি [আগুন দিয়ে] নীচে স্থাপন করতে হবে। পারদটিতে লুকিয়ে থাকা শক্তি ব্যবহার করে যা নেতৃত্ব দেয়" টর্নেডো গতিতে, ভিতরে বসে থাকা ব্যক্তি দীর্ঘ আকাশের জন্য আকাশ জুড়ে ভ্রমণ করতে পারে the বিমানার চলন এমন যে এটি উল্লম্বভাবে উঠতে পারে, উল্লম্বভাবে পড়ে যায় এবং তির্যকভাবে সামনে এবং পিছনে সরে যেতে পারে। মানুষ বাতাসে আরোহণ করতে পারে এবং স্বর্গীয় প্রাণী পৃথিবীতে অবতরণ করতে পারে।
সমরঙ্গণ সূত্রধারা ভারী বীণাসমূহের বর্ণনা দিয়েছেন - আলাগু, দারু-বিমান, যা লোহার চুল্লির উপরে চারটি স্তর পারদ ধারণ করে।
"ফুটন্ত পারদারি চুলা ভয়াবহ শব্দ করে যা যুদ্ধের সময় হাতিদের ভয় দেখানোর জন্য ব্যবহৃত হয়। পারদ চেম্বারের সাহায্যে গর্জনকে আরও তীব্র করা যায় যাতে হাতিগুলি সম্পূর্ণ অনিয়ন্ত্রিত হয়ে যায় ..."
প্রাচীন পাঠ এবং traditionsতিহ্যের উপর ভিত্তি করে অষ্টম শতকের জৈন পাঠ মহাভীর ভাবভূতিতে আপনি পড়তে পারেন:
"বায়ু রথ, পুষ্পাকা বহু লোককে রাজধানী অযোধ্যা এনেছে। আকাশ বিশাল বিমান দিয়ে পূর্ণ, রাতের মতো কালো, তবে হলুদ রঙের আলোকসজ্জাযুক্ত ..."
বিমানের একই গুচ্ছ সম্পর্কে, মহাভারত এবং ভাগবত-পুরাণ এমন একটি দৃশ্যে বর্ণিত হয়েছে যেখানে দেবতার শিবের স্ত্রী সতী বলিদান অনুষ্ঠানে (তাঁর পিতা দক্ষিণ দ্বারা সাজানো) আত্মীয়স্বজনকে ভাইমানসে উড়তে দেখেন এবং তাঁর স্বামীকে তাকে সেখানে যেতে বলেন:
"... হে অনাগত, ওহ নীল চোখের, কেবল আমার আত্মীয়স্বজনই নয়, অন্যান্য মহিলারাও, সুন্দর পোশাক পরে এবং গহনা দিয়ে সজ্জিত, তাদের স্বামী এবং বন্ধুবান্ধবদের সাথে সেখানে পাঠানো হয়েছে the আকাশের দিকে তাকান, এটি এত সুন্দর হয়ে উঠেছে কারণ এতে ঘূর্ণি প্রবাহিত হয় রাজহাঁসের মতো সাদা, এয়ারশিপ ... "
"বিমানমান শাস্ত্র" - ফ্লাইটে একটি প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থ
বিমান সম্পর্কিত বিস্তৃত তথ্য বিমান শাস্ত্র বা বিমণিক প্রকরনাম (সংস্কৃত থেকে অনুবাদ করা হয়েছে “বায়ামানের বিজ্ঞান” বা “ফ্লাইটের উপর ট্রিটিস”) গ্রন্থে রয়েছে।
কিছু সূত্র মতে, "বিমানিকা শাস্ত্র" 1875 সালে ভারতের একটি মন্দিরে আবিষ্কার হয়েছিল। এটি খ্রিস্টপূর্ব চতুর্থ শতাব্দীতে সংকলিত হয়েছিল। Mahaষি মহর্ষা ভারতদ্বাজী, যিনি আরও প্রাচীন গ্রন্থগুলিকে উত্স হিসাবে ব্যবহার করেছিলেন।
অন্যান্য উত্স অনুসারে, তার পাঠ্যটি 1918-1923 সালে রেকর্ড করা হয়েছিল। Venষি-মাধ্যমের পুনর্বিবেচনায় ভেঙ্কটচাকোয় শর্মা, পন্ডিত সুব্রবায় শাস্ত্রী, যিনি সম্মোহনমূলক অবস্থার মধ্যে বিমানিকা শাস্ত্রের ২৩ টি গ্রন্থ রচনা করেছিলেন। সুবব্রীয় শাস্ত্রী নিজেই দাবি করেছিলেন যে কয়েক সহস্রাব্দের জন্য বইটির পাঠ্য তালের পাতায় লেখা ছিল এবং মৌখিকভাবে প্রজন্ম থেকে প্রজন্মান্তরে ন্যস্ত হয়েছিল।
তাঁর সাক্ষ্য অনুসারে, “বিমানিকা শাস্ত্র” Bhaষি ভরদ্বাজার একটি বিস্তৃত গ্রন্থের একটি অংশ, যার নাম “যান্ত্র-সরস্বত্ত্ব” (সংস্কৃত থেকে অনুবাদিত "যান্ত্রিক বিশ্বকোষ" বা "সমস্ত যন্ত্রের")। অন্যান্য বিশেষজ্ঞদের মতে এটি বিমান বিদ্যাণের (বিজ্ঞান বিজ্ঞান এবং বৈমানিকের) প্রায় 1/40 টি কাজ।
1943 সালে সংস্কৃত ভাষায় প্রথমবারের মতো বিমানিকা শাস্ত্র প্রকাশিত হয়েছিল। তিন দশক পরে, এটি মাইসুর (ভারত) এর আন্তর্জাতিক সংস্কৃতি একাডেমির পরিচালক জে। আর। জোসেয়ারের দ্বারা ইংরেজিতে অনুবাদ করা হয়েছিল এবং এটি 1979 সালে ভারতে প্রকাশিত হয়েছিল।
বিমানিকা শাস্ত্রে বিমান, উপকরণ বিজ্ঞান, আবহাওয়া সম্পর্কিত নির্মাণ ও পরিচালনার বিষয়ে ৯ 97 জন প্রাচীন বিজ্ঞানী এবং বিশেষজ্ঞদের কাজ সম্পর্কিত অসংখ্য উল্লেখ রয়েছে।
বইটিতে চার ধরণের বিমানের বর্ণনা দেওয়া হয়েছে (এমন ডিভাইসগুলি সহ যা আগুন বা ক্র্যাশ ধরতে পারে না) - "রুকমা বিমান", "সুন্দর বামানা", "ত্রিপুরা ভাইমানা" এবং "শকুনা বিমান"। তাদের মধ্যে প্রথমটি একটি শঙ্কুযুক্ত আকার ছিল, দ্বিতীয়টির কনফিগারেশনটি ছিল রকেটের মতো: "ত্রিপুরা বিমান" ছিল তিন-স্তরের (ত্রি-তলা), এবং এর দ্বিতীয় তলায় যাত্রীদের জন্য কেবিন ছিল, এই বহুমুখী সরঞ্জামটি বায়ু এবং তলদেশীয় ভ্রমণের জন্য উভয়ই ব্যবহার করা যেতে পারে; "শাকুনা ভাইমানা" বড় পাখির মতো ছিল।
সমস্ত বিমান ধাতু দিয়ে তৈরি ছিল। লেখায় তিন ধরণের উল্লেখ রয়েছে: "সোমাকা",
"সানডালিকা", "মুর্ত্বিকা", পাশাপাশি খুব উচ্চ তাপমাত্রা সহ্য করতে পারে এমন অ্যালোগুলি। এছাড়াও, বিমানিকা শাস্ত্র বিমানের 32 বড় অংশ এবং তাদের উত্পাদনতে ব্যবহৃত 16 টি উপকরণের তথ্য সরবরাহ করে যা আলো এবং তাপ শোষণ করে। ভাইমানায় আরোহণে বিভিন্ন যন্ত্র এবং যন্ত্রে যাকে বেশিরভাগ ক্ষেত্রেই "যন্ত্র" (গাড়ি) বা "দর্পণ" (আয়না) বলা হয়। এর মধ্যে কিছু আধুনিক টেলিভিশন পর্দার সাথে সাদৃশ্যপূর্ণ, অন্যরা - রাডার এবং অন্যেরা - ক্যামেরা; বৈদ্যুতিন কারেন্ট জেনারেটর, সৌর শক্তি শোষণকারী ইত্যাদির মতো সরঞ্জামগুলিও উল্লেখ করা হয়েছে mentioned
ভাইমানিকা শাস্ত্রের পুরো অধ্যায়টি গুহাগড়ভদ্র যন্তর যন্ত্রটির বর্ণনাতে উত্সর্গীকৃত। এর সাহায্যে, উড়ন্ত বিমানের সাহায্যে মাটির নিচে লুকিয়ে থাকা বস্তুর অবস্থান নির্ধারণ করা সম্ভব হয়েছিল!
বইটিতে দৃশ্যমান পর্যবেক্ষণের জন্য ভাইমানায় যে সাতটি আয়না এবং লেন্স লাগানো হয়েছিল সে সম্পর্কে বিস্তারিত বলা হয়েছে। সুতরাং, তাদের মধ্যে একটি, "পিংজুলা আয়না" নামে অভিহিত হয়েছিল বিমানের চালকদের চোখকে শত্রুর অন্ধ "শয়তানী রশ্মি" থেকে রক্ষা করার উদ্দেশ্যে।
"বিমানিকা শাস্ত্র" বিমানের চালকে সাতটি শক্তির সূত্রের নাম দিয়েছে: আগুন, পৃথিবী, বায়ু, সূর্য, চাঁদ, জল এবং স্থানের শক্তি। সেগুলি ব্যবহার করে, বিমানগুলি এমন ক্ষমতা অর্জন করেছিল যা এখন পৃথিবীর চারাগাছের কাছে অ্যাক্সেসযোগ্য। সুতরাং, "বাজ" এর শক্তি ভাইমানকে শত্রুর কাছে অদৃশ্য হতে দেয়, "পোকা" শক্তিটি অন্যান্য বিমানকে অক্ষম করতে পারে, এবং "প্রলয়" এর শক্তি বৈদ্যুতিক চার্জ নির্গত করতে এবং বাধাগুলি ধ্বংস করতে পারে। স্থানের শক্তি ব্যবহার করে, বিমানমানগুলি এটি বিকৃত করতে পারে এবং চাক্ষুষ বা বাস্তব প্রভাব তৈরি করতে পারে: তারার আকাশ, মেঘ ইত্যাদি create
বইটি বিমান নিয়ন্ত্রণ ও রক্ষণাবেক্ষণের নিয়ম সম্পর্কেও জানায়, বিমান প্রশিক্ষণকারীদের প্রশিক্ষণের পদ্ধতি, ডায়েট, তাদের জন্য বিশেষ সুরক্ষামূলক পোশাক তৈরির পদ্ধতি বর্ণনা করে। এতে হারিকেন এবং বজ্রপাত থেকে বিমানের সুরক্ষা এবং একটি মুক্ত শক্তির উত্স থেকে ইঞ্জিনটিকে "সৌরশক্তি" এ স্যুইচ করার বিষয়ে দিকনির্দেশ সম্পর্কিত তথ্য রয়েছে - "গ্র্যাভিটি বিরোধী" "
ভাইমানিকা শাস্ত্রে, 32 টি গোপন রহস্য প্রকাশিত হয়েছে যে একজন বেলুনিস্টকে জ্ঞানবান টিউটরদের কাছ থেকে জানা উচিত। তাদের মধ্যে বোধগম্য প্রয়োজনীয়তা এবং বিমানের নিয়ম রয়েছে, উদাহরণস্বরূপ, আবহাওয়া সংক্রান্ত পরিস্থিতি বিবেচনায় নেওয়া। তবে, আজও আমাদের কাছে জ্ঞান সম্পর্কিত বেশিরভাগ গোপনীয়তা অ্যাক্সেসযোগ্য নয়, উদাহরণস্বরূপ, যুদ্ধে বিরোধীদের কাছে ভাইমনাকে অদৃশ্য করার ক্ষমতা, এর আকার বাড়াতে বা হ্রাস করা ইত্যাদি etc. এগুলির কয়েকটি এখানে রয়েছে:
"... পৃথিবী viাকা বায়ুমণ্ডলের অষ্টম স্তরে জাসা, বায়াস, প্রজাসার শক্তি সংগ্রহ করে সূর্যের রশ্মির অন্ধকার উপাদানটি আঁকুন এবং শত্রু থেকে ভিমনকে আড়াল করার জন্য এটি ব্যবহার করুন ..."
"... আকাশে ইথার স্রোতের শক্তি আকর্ষণ করতে এবং একটি বেলুনে বাল-বিকর্ণশক্তির সাথে মিশ্রিত করার জন্য, সৌর ভরর হৃদয়ের কেন্দ্রের বায়নাথ্য বিকরণ এবং অন্যান্য শক্তির মাধ্যমে, এটি একটি সাদা শেল গঠন করে যা ভাইমনকে অদৃশ্য করে তোলে ...";
"... আপনি যদি গ্রীষ্মের মেঘের দ্বিতীয় স্তরে প্রবেশ করেন, শক্তিদর্শন দর্শনের শক্তি সংগ্রহ করেন এবং এটি পরজীবীর (" হল-বিমান ") প্রয়োগ করেন, আপনি একটি পক্ষাঘাতগ্রস্ত শক্তি তৈরি করতে পারেন, এবং শত্রু ভাইমন পক্ষাঘাতগ্রস্ত এবং অক্ষম হয়ে যাবে ...";
"... আলোর রশ্মির প্রবর্তন করে রোহিনী ভাইমানার সামনে দৃশ্যমান বস্তু তৈরি করতে পারে ...";
"... ডামাভক্ত্র এবং অন্য সাতটি বায়ু শক্তি সংগ্রহ করে, সূর্যের রশ্মির সাথে সংযোগ স্থাপন করে, বিমোহনের কেন্দ্রবিন্দু দিয়ে বিমানাটি সরিয়ে নিয়ে সুইচটি ঘুরিয়ে দিলে" বিমানা একটি সাপের মতো জিগজ্যাগে চলে যাবে ""
"... শত্রুদের জাহাজের অভ্যন্তরে অবজেক্টগুলির একটি টেলিভিশন চিত্র পেতে ভাইমানায় ফটোগ্রাফিক যন্তর মাধ্যমে ...";
"... আপনি যদি ভাইমনার উত্তর-পূর্ব অংশে তিন ধরণের অ্যাসিড বিদ্যুতায়িত করেন, তাদের types ধরণের সূর্যের আলোতে প্রকাশ করুন এবং ফলস্বরূপ ত্রিশির আয়নার নলটিতে রাখুন, পৃথিবীতে যা কিছু ঘটেছিল তা পর্দার উপরে প্রক্ষেপণ করা হবে ..."।
ডাঃ আর.এল. অনুসারে আমেরিকা যুক্তরাষ্ট্রের ফ্লোরিডায় ভক্তটিভান্তা ইনস্টিটিউট থেকে প্রাপ্ত থম্পসন, এলিয়েন্সের লেখক: দ্য অ্যাজ অফ দ্য অ্যাজ, মানবতার অজানা ইতিহাস, এই নির্দেশাবলীতে ইউএফওগুলির আচরণ সম্পর্কে প্রত্যক্ষদর্শীর বিবরণগুলির সাথে অনেকগুলি সমান্তরাল রয়েছে।
সংস্কৃত গ্রন্থের বিভিন্ন পণ্ডিতের (ডি কে কঞ্জিলাল, কে। নাথান, ডি চাইল্ড্রেস, আরএল থম্পসন এবং অন্যান্য) মতে, "ভাইমানিকা শাস্ত্র" এর চিত্রগুলি XX শতাব্দীতে "দূষিত" হওয়া সত্ত্বেও শর্তাবলী এবং ধারণা যা আসল হতে পারে। এবং বেদের সত্যতা, মহাভারত, রামায়ণ এবং অন্যান্য প্রাচীন সংস্কৃত গ্রন্থে বিমানের বর্ণনা রয়েছে, কেউ সন্দেহ করেন না।
ভাইমানিকা-সাস্ত্র ট্র্যাক্ট
1875 সালে, ভারতবর্ষী দ্য ওয়াইস দ্বারা খ্রিস্টপূর্ব চতুর্থ শতাব্দীতে ভারদ্বাজী দ্য রচিত একটি "গ্রন্থ" শাস্ত্রটি ভারতের একটি মন্দিরে আবিষ্কার হয়েছিল। ঙ। এমনকি আগের পাঠ্য উপর ভিত্তি করে। বিস্মিত বিজ্ঞানীদের চোখের সামনে, প্রাচীনত্বের অদ্ভুত বিমানগুলির বিশদ বর্ণনা উপস্থিত হয়েছিল, তাদের প্রযুক্তিগত বৈশিষ্ট্যগুলিতে আধুনিক ইউএফওগুলির স্মরণ করিয়ে দেয়। ডিভাইসগুলিকে ভাইমানস বলা হত এবং বেশ কয়েকটি আশ্চর্য গুণাবলীর অধিকারী ছিল, যার মধ্যে ৩২ টি প্রধান গোপনীয়তা তালিকাভুক্ত করা হয়েছে, যা বিমানকেও একটি দুর্দান্ত অস্ত্র হিসাবে তৈরি করে।
এটি স্বীকৃত হওয়া উচিত যে ইউরাল ফেডারেল জেলার গোপন বিষয়গুলির অনেক গবেষক একটি অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ সত্যকে উপেক্ষা করেন। যদিও বেশিরভাগ উড়ন্ত সসাররা তাদের উত্স হিসাবে বহির্মুখী সভ্যতা এবং সরকারী সামরিক কর্মসূচি রয়েছে বলে মনে করা হয়, প্রাচীন ভারত এবং আটলান্টিস আরও একটি সম্ভাব্য উত্স হতে পারে। প্রাচীন ভারতের উড়ন্ত বিষয়গুলি সম্পর্কে আমরা যা জানি, আমরা রেকর্ডকৃত প্রাচীন ভারতীয় উত্সগুলি থেকে শিখেছি যা বহু শতাব্দী ধরে আমাদের কাছে এসেছিল। সন্দেহ নেই যে এই উত্সগুলির বেশিরভাগই আসল। এর মধ্যে রয়েছে ভারতের এপোস, যা বিশ্বের কাছে সুপরিচিত, শত শত মহাকাব্য রচনা নিয়ে গঠিত, যার বেশিরভাগ এখনও সংস্কৃত থেকে ইংরেজিতে অনুবাদ হয়নি।
ভারতীয় সম্রাট অশোক (খ্রিস্টপূর্ব ২3৩ বিসি -২৩২) নাইন অজানা জনগণের সিক্রেট সোসাইটি প্রতিষ্ঠা করেছিলেন, যার মধ্যে ভারতের মহান বিজ্ঞানীরা ছিলেন, যারা একটি ক্যাটালগ সংকলন করেছিলেন এবং মূল বিজ্ঞানগুলি বর্ণনা করতেন। অশোক তাদের কাজকে একটি গোপন রেখেছিলেন কারণ তিনি ভয় করেছিলেন যে প্রাচীন ভারতীয় উত্সগুলির ভিত্তিতে এই লোকদের দ্বারা বর্ণিত বিজ্ঞানের অর্জনগুলি যুদ্ধের ধ্বংসাত্মক উদ্দেশ্যে ব্যবহৃত হবে। রক্তাক্ত যুদ্ধে শত্রুদের সেনাবাহিনীকে পরাজিত করার পরে অশোক যুদ্ধের প্রবল প্রতিপক্ষ হয়েছিলেন এবং বৌদ্ধধর্ম গ্রহণ করেছিলেন।
নয়জন অজানা জনগোষ্ঠীর সদস্যরা মোট নয়টি বই লিখেছেন। এর মধ্যে একটি ছিল "গ্র্যাভিটির গোপনীয়তা" বই, এটি ইতিহাসবিদদের কাছে জানা ছিল, যদিও তাদের কেউই এটি কখনও দেখেনি, এবং এই বইটি মূলত "মাধ্যাকর্ষণ নিয়ন্ত্রণ" সম্পর্কে বলেছিল। সম্ভবত এই বইটি এখনও ভারতের গোপন গ্রন্থাগারে কোথাও তিব্বত বা অন্য কোথাও সঞ্চিত রয়েছে, এমনকি উত্তর আমেরিকাতেও। এই বইয়ের অস্তিত্বের সম্ভাবনা বিশ্বাস করে অবশ্যই অশোক কেন এই ধরনের জ্ঞান গোপন রাখতে চেয়েছিলেন তা বুঝতে পারে। দ্বিতীয় বিশ্বযুদ্ধের সময় নাৎসিরা যদি এই জ্ঞানটি ধারণ করে তবে কী ঘটতে পারে তা কল্পনা করুন। বহু হাজার বছর আগে প্রাচীন ভারতীয় “রামের সাম্রাজ্য” ধ্বংসকারী যুদ্ধের সময় এই জাতীয় উচ্চ প্রযুক্তির বিমান এবং অন্যান্য ধরণের "ভবিষ্যত অস্ত্র" ব্যবহারের ক্ষেত্রে অশোক যে ধ্বংসাত্মক প্রভাব সম্পর্কে জানতেন।
মাত্র কয়েক বছর আগে, চীনারা লাসা (তিব্বত) সংস্কৃত ভাষায় লিখিত নথিগুলি আবিষ্কার করেছিল এবং সেগুলি অনুবাদ করার জন্য চণ্ডীগড় (ভারত) বিশ্ববিদ্যালয়ে প্রেরণ করে। এই বিশ্ববিদ্যালয়ের চিকিত্সক, রুথ রেইনা সম্প্রতি বলেছিলেন যে এই নথিতে আন্তঃকেন্দ্রীয় স্পেসশিপ তৈরির জন্য নির্দেশাবলী রয়েছে।
তিনি বলেছিলেন যে মহাকাশে তাদের চলাচল "ল্যাজিমা" সিস্টেমের অনুরূপ একটি সিস্টেম ব্যবহার করে "মহাকর্ষ বিরোধী" নীতিটির ভিত্তিতে তৈরি হয়েছিল, কোনও ব্যক্তির শারীরবৃত্তীয় কাঠামোতে বিদ্যমান একটি অজানা অভ্যন্তরীণ শক্তি, কিছু "সেন্ট্রিফিউজ বল মহাকর্ষীয় আকর্ষণকে নিরপেক্ষ করার পক্ষে যথেষ্ট শক্তিশালী" । ভারতীয় যোগীদের মতে এটি "লেগিমা" যা একজন ব্যক্তিকে লিভিটেশনের সম্ভাবনা দেয়।
ডাঃ রেইনা বলেছিলেন যে প্রাপ্ত নথি অনুসারে, "অ্যাসটার্স" পাঠ্যটিতে উল্লিখিত যানবাহনে, প্রাচীন ভারতীয়রা কোনও গ্রহে লোকদের বিচ্ছিন্নতা পাঠাতে সক্ষম হয়েছিল। জানা গেছে যে পাণ্ডুলিপিগুলিতে "অ্যান্টিমা" বা "অদৃশ্যতার ক্যাপস" এর রহস্যও প্রকাশিত হয়েছিল, "গরিমা" বর্ণিত হয়েছিল, অর্থাৎ। তারপরে, "কীভাবে ভারী হয়ে উঠবেন, সীসা পর্বতের মতো" "
স্বাভাবিকভাবেই, আধুনিক পণ্ডিতরা এই গ্রন্থগুলিকে গুরুত্ব সহকারে নেন নি, তবে তবুও তাদের মূল্য সম্পর্কে আরও ইতিবাচক প্রতিক্রিয়া দেখিয়েছিলেন যখন চীনারা বলেছিল যে তারা তাদের স্পেস প্রোগ্রামে এই প্রাচীন পাণ্ডুলিপির একটি অংশের অধ্যয়নকে অন্তর্ভুক্ত করেছিল! বিরোধী মাধ্যাকর্ষণ অধ্যয়ন করার প্রয়োজনীয়তার সরকারী স্বীকৃতির প্রথম উদাহরণগুলির মধ্যে এটি ছিল।
পাণ্ডুলিপিগুলিতে স্পষ্টভাবে বলা যায় না যে আন্তঃপ্লবিক উড়ানগুলি কখনই শেষ হয়েছে, তবে তারা অন্যান্য বিষয়গুলির সাথে চাঁদের উদ্দেশ্যে পরিকল্পিত বিমানের কথা উল্লেখ করেছে, যদিও এই উড়ানটি করা হয়েছিল কিনা তা পাঠ্য থেকে পরিষ্কার নয়। তবে দুর্দান্ত ভারতীয় ইপোস "রামায়ণ" চাঁদে উয়মান বা "অ্যাস্ট্রায়" উড়ে যাওয়ার পাশাপাশি আটলান্টিসের আকাশপথে আকাশিনের সাথে চাঁদের লড়াইয়ের বিশদ বিবরণ প্রদান করে।
আমি এখনই অ্যান্টি-গ্র্যাভিটি এবং এ্যারোস্পেস প্রযুক্তি ব্যবহার সম্পর্কে সাম্প্রতিক কয়েকটি নিশ্চয়তার উদ্ধৃতি দিয়েছি, প্রাচীন ভারতে ব্যবহৃত। এই প্রযুক্তিটি পুরোপুরি বুঝতে, আমাদের কাছ থেকে আমাদের সবচেয়ে দূরবর্তী সময়ে ফিরে আসা দরকার।
উত্তর ভারত এবং পাকিস্তানের তথাকথিত "রাম সাম্রাজ্য" কমপক্ষে পনের হাজার বছর আগে ভারতীয় উপমহাদেশে বিকশিত হয়েছিল। এটি বহু বৃহত নগরীর বাসিন্দাদের সমন্বয়ে গঠিত একটি জাতি ছিল, যার অনেকগুলি এখনও পাকিস্তান এবং উত্তর ও পশ্চিম ভারতের মরুভূমিতে দেখা যায়। সভ্যতার রামা আসলেই বিদ্যমান ছিল, স্পষ্টতই, এটি আটলান্টিয়ান সভ্যতার সময় সমুদ্রের মাঝখানে কোথাও ছিল, যা আমাদের আটলান্টিক নামে পরিচিত। এটি "আলোকিত প্রিস্ট কিং" দ্বারা শাসিত হয়েছিল। রামের সাতটি বড় বড় শহর হিন্দুদের শাস্ত্রীয় গ্রন্থগুলিতে "Sevenষির সাত শহর" নামে পরিচিত ছিল
প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থ অনুসারে, লোকদের "বিমান" নামে উড়ন্ত মেশিন ছিল had ভারতীয় মহাকাব্যটি বলছে যে তারা গোল বিমান ছিল, তাদের দুটি ডেক এবং একটি টাওয়ার ছিল যার সাথে এমব্র্যাশস ছিল, সামগ্রিক চিত্রটি উড়ন্ত তুষারের উপস্থিতির অনুরূপ। তারা বাতাসের গতিতে উড়ে গেল, যখন একটি "সুরেলা শব্দ" শোনা গেল। মহাকাব্যটিতে কমপক্ষে চারটি ভিন্ন ধরণের বীমন বর্ণনা করা হয়েছে: কিছুগুলি সসার আকারের, অন্যগুলি দীর্ঘ সিলিন্ডার (সিগার-আকারের উড়ন্ত মেশিন) ছিল। বিমানের প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থগুলি অসংখ্য, সেগুলি কেবল বহু বিশাল আকারে বর্ণনা করা যায়। প্রাচীন ভারতীয়রা এ বিমানগুলি তৈরি করে বিভিন্ন প্রকারের মেশিনগুলি নিয়ন্ত্রণের জন্য নিজেরাই গাইড লিখেছিল এবং এ জাতীয় অনেক গাইড আজকাল বেঁচে আছে, যার কয়েকটি এমনকি ইংরেজী অনুবাদও হয়েছে।
তথাকথিত সমারা সূত্রধর বৈজ্ঞানিক গ্রন্থ ছাড়া আর কিছুই নয় যা উইম্যানের যাত্রা বিভিন্ন দিক দিয়ে পরীক্ষা করে। 230 সূত্র বিমানের নকশা, টেকঅফ, এক হাজার মাইলের জন্য বিমান, স্বাভাবিক এবং জোর করে অবতরণ এমনকি পাখির সাথে সম্ভাব্য সংঘর্ষের বর্ণনা দেয়। 1875 সালে, ভারতদ্বয় প্রজ্ঞাময় রচিত খ্রিস্টপূর্ব চতুর্থ শতাব্দীর পাঠ্য বৈমানিক শাস্ত্রটি ভারতের একটি মন্দিরে নতুন করে আবিষ্কার করা হয়েছিল। এতে আরও প্রাচীন গ্রন্থ ব্যবহার করে উইম্যানের যুদ্ধ মিশনের একটি বিবরণ দেওয়া হয়েছিল। পাঠ্যটিতে জাহাজটি নিয়ন্ত্রণের বিষয়ে তথ্য, দূর-দূরত্বের বিমানের সতর্কতা, ঝড় ও বজ্রপাত থেকে রক্ষা করার বিষয়ে এবং কীভাবে একটি মুক্ত শক্তির উত্স ব্যবহার করে জাহাজটিকে "সৌরশক্তি" এ পরিবর্তন করতে হবে, যার নাম "অ্যান্টি-গ্র্যাভিটি" বলে মনে হচ্ছে included
বৌমনিকা শাস্ত্রে (বা ভাইমানিকা-শাস্ত্র) আটটি অধ্যায় রয়েছে যার মধ্যে ডায়াগ্রামে তিন ধরণের বিমানের বর্ণনা রয়েছে, যার মধ্যে আগুনে জ্বলে না এবং ক্ষয় হয় না devices পাঠ্যে এই ডিভাইসের 31 টি প্রয়োজনীয় অংশ এবং তাদের নির্মাণে ব্যবহৃত 16 ধরণের পদার্থের উল্লেখ রয়েছে। এই উপকরণগুলি হালকা এবং তাপ শোষণ করে, এই কারণেই এগুলিকে ওমান তৈরির জন্য উপযুক্ত বলে মনে করা হয়েছিল। দস্তাবেজটি ইংরেজী অনুবাদ করা হয়েছে এবং মহর্ষি ভরদ্বাজা দ্বারা বৈমানিদশারস্তার বৈমানিকের মাধ্যমে অর্ডার করা যেতে পারে। ইংরেজিতে অনুবাদ, সম্পাদনা ও মুদ্রণ ১৯ 1979৯ সালে জোসেয়ার, মাইসোর, ভারত দ্বারা করা হয়েছিল (দুর্ভাগ্যক্রমে, কোনও পূর্ণ ঠিকানা নেই)। মিঃ জোসিয়ার আন্তর্জাতিক সংস্কৃত গবেষণা একাডেমির পরিচালক, যা মহীশূর রাজ্যে অবস্থিত (ভারত)।
দেখে মনে হয় যে এতে কোনও সন্দেহ নেই যে ভাইমানভের চালিকা শক্তি "মহাকর্ষবিরোধের" কাছাকাছি একটি নির্দিষ্ট শক্তি ছিল। বিমানগুলি উল্লম্বভাবে যাত্রা করেছিল এবং আধুনিক হেলিকপ্টার বা আকাশযানের মতো আকাশে ঘোরাতে সক্ষম ছিল। ভারভজয় দ্য ওয়াইজে সত্তরজন প্রামাণিক নাম এবং বিমান ভ্রমণ ক্ষেত্রে দশজন বিশেষজ্ঞের কথা উল্লেখ করেছেন। কিন্তু এই উত্সগুলি হারিয়ে গেছে।
বিমানকে একটি হ্যাঙ্গারের অনুরূপ প্রাঙ্গনে রাখা হয়েছিল, তাদের বলা হয় ভাইমানা গ্রিচ। জানা যায় যে উইম্যানরা একধরনের হলুদ-সাদা তরল নিয়ে কাজ করেছিল, এবং কখনও কখনও একটি মিশ্রণ ব্যবহৃত হত, এতে পারদ অন্তর্ভুক্ত ছিল, যা আমাদের সময়ে এই বিষয়টিতে লেখা লোকদের জন্য খুব বিভ্রান্তিকর। দেখে মনে হয় যে পরবর্তীকালের লেখকরা বিমানের বর্ণনা দিয়েছিলেন, পূর্বে রচিত গ্রন্থগুলির উপাদানগুলি নিয়েছিলেন এবং তাই এটি স্পষ্ট যে তারা বিমানের আন্দোলনের নীতি দ্বারা বিভ্রান্ত হয়েছিল। "হলুদ-সাদা তরল" হিসাবে, তারপরে বর্ণনা অনুসারে এটি পেট্রলের সাথে খুব মিল। সম্ভবত ওয়াইমানরা অভ্যন্তরীণ দহন ইঞ্জিন এবং এমনকি "পালসেট জেট ইঞ্জিন" মোটর সহ বিভিন্ন উপায়ে ব্যবহার করেছিল।
মজার বিষয় যে, নাৎসিরাই প্রথম ভি -8 ক্ষেপণাস্ত্রগুলির জন্য পালসেট জেট ইঞ্জিন তৈরি করেছিলেন, এটি "গুঞ্জন বোমা" নামে পরিচিত Hit প্রত্নতাত্ত্বিক উড়ন্ত যানবাহন এর নিদর্শন প্রমাণ সংগ্রহ করা। সম্ভবত, এই অভিযানের সময় নাৎসিরা কিছু বৈজ্ঞানিক তথ্য সংগ্রহ করেছিলেন।
দ্রোণপর্ব (মহাভারতের অংশ) এবং রামায়ণে বর্ণিত বিবরণ অনুসারে, বামনের পার্শ্বের মিথস্ক্রিয়া দ্বারা শক্তিশালী ঘূর্ণি ব্যবহার করে একটি গোলকের আকার ছিল এবং প্রচুর গতিতে উড়তে পারে। তিনি একটি ইউএফওর মতো সরে গিয়েছিলেন - পাইলটটির আকাঙ্ক্ষার উপর নির্ভর করে উপরে এবং নীচে, তারপরে এবং পিছনে। সমর নামে অপর একটি উত্স সূত্রে জানা গেছে যে উইম্যানাস ছিলেন "মসৃণ পৃষ্ঠের লোহার মেশিনগুলি; তাদের উপর পারদ মিশ্রণের অভিযোগ আনা হয়েছিল, যা যন্ত্রের লেজ থেকে গর্জনকারী শিখার আকারে শট নেয় ”" সমরংগন-সূত্রধর নামে আর একটি রচনায় এ জাতীয় উড়োজাহাজ নির্মাণের প্রক্রিয়া বর্ণনা করা হয়েছে। এটি সম্ভবত সম্ভব যে নিয়ন্ত্রণের সিস্টেমের সাথে পারদটি কোনওভাবেই যন্ত্রের গতিবিধির প্রক্রিয়ার সাথে যুক্ত ছিল। এটি কৌতূহলজনক যে সোভিয়েত বিজ্ঞানীরা তুর্কিস্তানের গুহায় এবং গোবি মরুভূমিতে যন্ত্রপাতি আবিষ্কার করেছিলেন, যাকে তারা "মহাকাশযানের নেভিগেশনে ব্যবহৃত প্রাচীন যন্ত্র" বলে অভিহিত করেছিলেন। এগুলি গ্লাস বা চীনামাটির বাসন দিয়ে তৈরি প্রযুক্তিগত ডিভাইস এবং একটি শঙ্কুতে শেষ হেমসিফেরিকাল আকার ধারণ করে এবং এই ডিভাইসের অভ্যন্তরে একটি ফোঁটা পারদ দৃশ্যমান।
স্পষ্টতই, প্রাচীন ভারতীয়রা আটলান্টিসে পৌঁছে পুরো এশিয়া জুড়ে এই ডিভাইসগুলিতে উড়েছিল। সম্ভবত তারা দক্ষিণ আমেরিকা উড়েছিল। পাকিস্তানের মহেঞ্জো দারোতে পাওয়া স্ক্রোলগুলি এখনও ডিক্রিপ্ট করা হয়নি। এই শহরটি "রাম সাম্রাজ্যের অন্তর্ভুক্ত sevenষিদের সাতটি শহর" এর একটি হতে পারে। অনুরূপ স্ক্রোলগুলি অন্য কোথাও পাওয়া গেল - ইস্টার দ্বীপে! এগুলিকে রঙ্গো-রঙ্গোর লেখা বলা হয় এবং এগুলি মহেঞ্জো-দারো লেখার সাথে খুব মিল; তারা এখনও ব্যাখ্যা করতে পারেনি।
ইস্টার দ্বীপটি কি রামা সাম্রাজ্যের বিমানের পথে বিমানবন্দর ছিল ?? (কল্পনা করুন যে যাত্রীরা মহেঞ্জোদারো ভাইমানাদ্রোমের মাঠের মধ্য দিয়ে যাচ্ছেন, তারা স্পিকারের কাছ থেকে একটি মৃদু স্বর শুনতে পেয়েছেন: "বালি, ইস্টার দ্বীপ, নাজকা এবং আটলান্টিসের উদ্দেশ্যে যাত্রা করা রমা এয়ারলাইনস, ফ্লাইট এন 7, বিমানটি প্রস্তুত রয়েছে। আমরা যাত্রীদের এন থেকে বেরিয়ে যেতে বলি ... ") তিব্বতে দীর্ঘ দূরত্বের একটি বিমান ঘোষণা করার মাধ্যমে একটি" আগুনের রথ "খবরে প্রকাশিত হয়। অনুরূপ একটি বিমানের বর্ণনা নিম্নরূপ বর্ণিত হয়েছিল: “ভীম উড়ে গেল, গর্জনের মতো গর্জনে রোদে ঝলমলে। উড়ন্ত রথটি গ্রীষ্মের রাতের আকাশে শিখার মতো জ্বলজ্বল করে ... তা ধূমকেতুর মতো ছুটে যায়। দেখে মনে হচ্ছিল আকাশে দুটি সূর্য জ্বলছে, এবং তারপরে রথ আরো উপরে উঠেছে, আকাশকে আলোকিত করছে।
পরবর্তী গ্রন্থ এবং traditionsতিহ্য থেকে ধার করা মহাবীর ভাবভূতির অষ্টম শতাব্দীর জৈন পাঠ্যে আমরা পড়ি: "পুষ্করের উড়ন্ত রথ, রাজধানী অযোধ্যাতে প্রচুর লোককে পরিবহন করে। "আকাশ বিশাল উড়ন্ত মেশিনে ভরা, রাতের আকাশে কালো, তবে আলোয় আলোকিত, তারা হলুদ আভা অর্জন করে।"
হিন্দুদের প্রাচীন কাব্য রচনা বেদকে প্রাচীন আকারের বিভিন্ন গ্রন্থ হিসাবে বিবেচনা করা হত যা বিভিন্ন আকার ও আকারের বিমানকে বর্ণনা করে: "অখোথোত্র-বমন" দুটি মোটর সহ "হাতি-বিমান", যার আরও বেশি মোটর ছিল। অন্যান্য প্রকারের বিমানগুলি পাখির নাম অনুসারে পরিচিত ছিল: কিংফিশার, আইবিস এবং কিছু প্রাণী।
দুর্ভাগ্যক্রমে, বেশিরভাগ বৈজ্ঞানিক কৃতিত্বের মতো বিমানও মূলত যুদ্ধের জন্য ব্যবহৃত হত। আটলান্টিয়ানরা বিশ্বকে জয় করতে ও পরাধীন করার জন্য ওয়াইমানির কাছাকাছি ওয়াইলিচি উড়ন্ত মেশিন ব্যবহার করেছিল used আমি মনে করি আপনি ভারতীয় গ্রন্থগুলিতে বিশ্বাস রাখতে পারেন। আটলান্টিয়ানরা, ভারতীয় গ্রন্থগুলিতে "আসভিনস" নামে পরিচিত, সম্ভবত প্রাচীন ভারতীয়দের চেয়ে প্রযুক্তিগত দিক থেকে আরও উন্নত ছিল, তদুপরি, তাদের যুদ্ধের মতো মেজাজ ছিল। আটলান্টিয়ানদের ওয়াইলিচি সম্পর্কে গ্রন্থের অস্তিত্ব সম্পর্কে নিশ্চিতভাবে জানা না গেলেও এ সম্পর্কে কিছু তথ্য তাদের উড়ন্ত মেশিনগুলিকে বর্ণনা করে ছদ্মবেশী, গুপ্ত উত্স থেকে এসেছে। ভারতীয়দের ভাইমানসের মতো, ওয়াইলিচগুলির একটি সিগার-আকৃতির আকৃতি ছিল এবং এটি আকাশে এমনকি উপরের স্থান এবং জলের নীচে উভয়ই সহজেই চালিত করতে পারে। তাদের অন্যান্য ডিভাইসগুলি সসার আকারের ছিল এবং স্পষ্টতই জলে ডুবে থাকতে পারে।
১৯ The66 সালে প্রকাশিত “দ্য লাস্ট ফ্যাসিট” প্রবন্ধটির লেখক ইয়াকলাল কিশানের মতে, বৈখিলি 20,000 বছর আগে প্রথমবারের মতো বেদনা দ্বারা নির্মিত হয়েছিল, এবং এর মধ্যে সর্বাধিক সাধারণ ছিল সসারের মতো যন্ত্রপাতি, যার ভিতরে ট্র্যাপিজয়েডাল ছেদ ছিল মোটরগুলির সাথে তিনটি হেমিসেফেরিয়াল বিভাগ। মেশিনের নীচে তারা 80,000 অশ্বশক্তি মোটর দ্বারা চালিত একটি যান্ত্রিক বিরোধী মাধ্যাকর্ষণ ডিভাইস ব্যবহার করেছে।
রামায়ণ, মহাভারত এবং অন্যান্য গ্রন্থগুলি আটলান্টিয়ান এবং রামের সভ্যতার মধ্যে ভয়ানক যুদ্ধের বর্ণনা দেয়, যা ১০-১২ হাজার বছর আগে ঘটেছিল। যুদ্ধে এ জাতীয় অস্ত্র ব্যবহার করা হয়েছিল যে এ শতাব্দীর মাঝামাঝি পর্যন্ত এগুলি পাঠকদের কাছে উপস্থাপন করাও অসম্ভব।
প্রাচীন মহাভারত, বিমানের বর্ণনা দেওয়ার অন্যতম উত্স, যুদ্ধটি নিয়ে আসা ভয়াবহ ধ্বংসের কাহিনী অব্যাহত রেখেছে: “অস্ত্রটি মহাবিশ্বের সমস্ত শক্তিতে ভরপুর ক্ষেপণাস্ত্রের মতো দেখাচ্ছিল। ধোঁয়াশা এবং শিখার এক ঝলকানি কলাম, এমন চমকপ্রদভাবে যেন এক হাজার সূর্য তার সমস্ত জাঁকজমকের মধ্যে জ্বলজ্বল করে ...
নীল গর্জন! মৃত্যুর সেই দৈত্য মেসেঞ্জার, যিনি বৃষ্ণিস ও অন্ধকাদের পুরো দৌড়ে ছাই হয়ে গেলেন ... মানুষের দেহ স্বীকৃতি ছাড়িয়ে পুড়িয়ে দেওয়া হয়েছিল। চুল এবং নখ পড়ে গেল, খাবারগুলি কোনও আঘাত ছাড়াই ভেঙে গেল এবং পাখিরা সাদা হয়ে গেল ... বেশ কয়েক ঘন্টা পরে সমস্ত খাবার অখাদ্য হয়ে গেল became আগুন এড়াতে এবং রেডিয়েশনের ধোঁয়া ধুয়ে ফেলার প্রচেষ্টায় সৈন্যরা নিজেদের জলে ফেলে দেয় ... "
মনে হতে পারে যে মহাভারতে পারমাণবিক যুদ্ধের বর্ণনা দেওয়া হচ্ছে! অন্যান্য প্রাচীন ভারতীয় পাণ্ডুলিপিগুলিতে অনুরূপ ভীতিজনক বর্ণনা পাওয়া যায়। বিভিন্ন চমত্কার অস্ত্র এবং উড়ন্ত মেশিনগুলির ব্যবহারের বিবরণগুলি প্রায়শই তাদের মধ্যে পাওয়া যায়। তার মধ্যে একটি দুটি উড়ন্ত মেশিনের মধ্যে চাঁদে একটি যুদ্ধের বর্ণনা দেয় - ভাইমান এবং ভিলিক্স! উপরোক্ত প্যাসেজটি খুব সঠিকভাবে বর্ণনা করেছে যে পারমাণবিক বিস্ফোরণটি দেখতে কেমন হতে পারে, পাশাপাশি সমস্ত প্রাণীর উপর তেজস্ক্রিয়তার ধ্বংসাত্মক প্রভাব। অস্থায়ী ত্রাণ পানিতে এক লাফ দেয়।
গত শতাব্দীতে যখন প্রত্নতাত্ত্বিকেরা মহিঞ্জো-দারো ishষি শহরটি আবিষ্কার করেছিলেন, তখন তারা রাস্তায় মানুষের কঙ্কালের সন্ধান পেয়েছিলেন, তাদের মধ্যে কারও কারও হাত মুছে গেছে যেন তারা মারাত্মক ঝুঁকির উপর ঝুলে পড়েছিল। এই কঙ্কালগুলি হিরোশিমা এবং নাগাসাকির রাস্তায় যেমন পাওয়া যায় তেমন তেজস্ক্রিয়। পাথরযুক্ত ইট এবং পাথরের দেয়াল দিয়ে কাঁচে পরিণত প্রাচীন শহরগুলি ভারত, আয়ারল্যান্ড, স্কটল্যান্ড, ফ্রান্স, তুরস্ক এবং অন্যান্য জায়গায় পাওয়া যায়। এটি একটি পারমাণবিক বিস্ফোরণের ফলাফল ছাড়া এ জাতীয় রূপান্তরের কোনও যৌক্তিক ব্যাখ্যা নেই।
সংঘটিত সর্বনাশা, আটলান্টিসের ডুবে যাওয়া এবং পারমাণবিক অস্ত্র দিয়ে রামের রাজত্বের ধ্বংসের ফলে বিশ্ব "পাথরের যুগে" চলে যায়।
গ্যালিনা এরমোলিনা অনুবাদ করেছেন।
নোভোসিবিরস্ক
প্রাচীন ভারতীয় উত্সগুলিতে বর্ণিত বিমান - বিমান
1875 সালে, ভারতবর্ষী দ্য ওয়াইস দ্বারা খ্রিস্টপূর্ব চতুর্থ শতাব্দীতে ভারদ্বাজী দ্য রচিত একটি "গ্রন্থ" শাস্ত্রটি ভারতের একটি মন্দিরে আবিষ্কার হয়েছিল। ঙ। এমনকি আগের পাঠ্য উপর ভিত্তি করে। বিস্মিত বিজ্ঞানীদের চোখের আগে প্রাচীন প্রযুক্তিগুলির অদ্ভুত বিমানগুলির বিশদ বিবরণ এসেছিল, তাদের প্রযুক্তিগত বৈশিষ্ট্যগুলির পরিপূর্ণতার দিকে লক্ষ্য রেখে। ডিভাইসগুলিকে ভাইমানস বলা হত এবং বেশ কয়েকটি আশ্চর্য গুণাবলীর অধিকারী ছিল, যার মধ্যে ৩২ টি প্রধান গোপনীয়তা তালিকাভুক্ত করা হয়েছে, যা বিমানকেও একটি দুর্দান্ত অস্ত্র হিসাবে তৈরি করে।
এছাড়াও মজার বিষয় হল যে 30-এর দশকে জার্মানরা "প্রাচীনদের জ্ঞান" এর উপর ভিত্তি করে একটি নতুন ধরণের বিমান তৈরি করার চেষ্টা করেছিল, এমন তথ্য রয়েছে যে ভ্রিল প্রকল্পের অংশ হিসাবে এটি করা হয়েছিল। জার্মান এজেন্টরা ভাইমানিকা শাস্ত্র এবং সমরঙ্গান সুত্রাধরান পান্ডুলিপিগুলিকে জার্মানিতে সন্ধান ও জাহাজ পরিচালনা করতে সক্ষম হয়েছিল। ব্রিটিশ ম্যাগাজিন ফোকাসের মতে, ১৯৩০ এর দশকের শেষদিকে তিব্বতের এক জার্মান অভিযানের নেতৃত্বে ছিলেন আর্নস্ট শ্যাফার। এই অভিযানের সমস্ত সদস্য ছিলেন এসএস সদস্য।
আপনি এই দস্তাবেজটি পড়া শুরু করেন এবং বিশ্বাস করেন না যে এটি এমন প্রযুক্তিগত ডিভাইসগুলির বিষয়ে যা তাদের নিজস্ব শক্তির কারণে চলাচল করতে পারে। কোনওভাবে অনিচ্ছাকৃতভাবে আপনি সাধারন রূপকথার উপমাগুলি সন্ধান করছেন: কার্পেট কার্পেট, অগ্নি-শ্বাসের ড্রাগন, divineশিক রথ ইত্যাদি। তবে পাণ্ডুলিপিতে এর সদৃশ কিছুই নেই। আপনি যেমন পাঠের আরও গভীরভাবে গভীরতার সাথে আত্মবিশ্বাস বাড়ছে যে ভাইমানা মানুষ তৈরি করেছে এবং তাদের উদ্দেশ্যগুলি সরবরাহ করে।
প্রথম বিভাগে (এটি "পাইলট" বলা হয়) 32 "সিক্রেটস" বা পদ্ধতিগুলি বা কোনও পদ্ধতি ব্যবহার করে যা কোনও পাইলটকে কোনও জটিল ডিভাইস পরিচালনা করতে বসার আগে পুরোপুরি দক্ষ হতে হবে। তাকে অবশ্যই ভাইমনার ডিভাইসটি জানতে হবে, বাতাসে জটিল কৌশলগুলি চালাতে সক্ষম হবে, দুর্ঘটনা ও ক্ষতি ছাড়াই কার্যকর যুদ্ধযুদ্ধ পরিচালনা করতে সক্ষম হবে।
কথাসাহিত্য। ভাইমানার পৃথক বিভাগে অংশে স্থানের অভিমুখীকরণের জন্য বিভিন্ন ডিভাইসগুলি বিস্তারিতভাবে বর্ণনা করা হয়েছে।
বীমন কি দিয়ে তৈরি? কোরবানির পশু এবং পাখির পালকের চামড়া থেকে নয়? একদম নয়! এগুলি ধাতব বিমান। অধিকন্তু, ভারভাজা যেমন উল্লেখ করেছেন, অন্যান্য উত্সগুলির উল্লেখ করে, বিমান তৈরির জন্য, বিশেষ শক্তিশালী এবং হালকা খাদের প্রয়োজন রয়েছে যা "আকাশের ধ্বংসাত্মক শক্তিকে সহ্য করতে পারে।" "বিমানিকা শাস্ত্র" বলতে তিনটি প্রধান ধাতু - সোমাকা, কফিন এবং মুর্ত্বিকা বোঝায়। তাদের সংমিশ্রণ থেকে, ভিমন নির্মাণের জন্য 16 টি বিভিন্ন অ্যালোয় প্রাপ্ত হয়। এসব কিছুই দেবতাদের দ্বারা নয়, কারিগররা করেছেন। একটি পৃথক বিভাগে - "ধাতব", গলিত চুল্লি এবং তাপ-প্রতিরোধী ক্রুশিবল, খাদ উপাদানগুলি বর্ণনা করা হয়। অন্যান্য প্রাচীন ভারতীয় উত্সগুলির সাথে তুলনা করার পরে, আপনি বুঝতে পারেন যে আমরা লোহা, সীসা, সোডিয়াম, পারদ, অ্যামোনিয়া, সল্টপেটর, মিকা ইত্যাদি নিয়ে কথা বলছি
এটি divineশিক শক্তি নয় যে বিমানটিতে বিমান চালায়। ডিভাইসটি জ্বালানীযুক্ত, এটির নিজস্ব বিদ্যুত কেন্দ্র রয়েছে। জ্বালানী রেসিপি সম্পর্কে কিছুই জানা যায় না, যদিও মাঝে মাঝে পারদ উল্লেখ করা হয়। তবে এর জন্য ট্যাঙ্কগুলি বিশদভাবে বর্ণিত। তাদের ক্ষমতা 3-5 গ্যালন, বা প্রায় 20 লিটার। এর মধ্যে তিন বা চারটি ট্যাঙ্ক আগুন এবং উত্তাপ থেকে দূরে ভিমানায় রাখা হয়।
একটি প্রাচীন বিমানের সহায়ক সরঞ্জাম এবং নেভিগেশন ডিভাইসের বর্ণনা খুব অবাক করে। পরবর্তী জমে থাকা পার্শ্ববর্তী স্থান থেকে শক্তি সংগ্রহ এবং শোষণের জন্য "শক্তি দর্শনের" একটি আয়না রয়েছে। "প্রাণচুন্ডালা" ভাইমনার সর্বাধিক গুরুত্বপূর্ণ অঙ্গ, তবে দুর্ভাগ্যক্রমে, এর বর্ণনাটি অত্যন্ত অস্পষ্ট এবং এতে তাত্পর্য বিজ্ঞানের অনেকগুলি পদ রয়েছে। "পুস্পিনা" এবং "পিংজুলা" বজ্রপাতের জন্য ব্যবহৃত হয়। "বিশ্বকায়ত্রতর্পন" বাহ্যিক দৃষ্টিভঙ্গির একটি আয়না, যা বাইমান থেকে যা ঘটছে তা বিমানা থেকে অনুসরণ করা সম্ভব করে তোলে। ফ্লাইটে ভাইমানার আকার এবং আকার পরিবর্তন করার জন্য, কৃত্রিম ম্লানকরণের জন্য, ভাঙ্গন এবং ত্রুটি সনাক্তকরণের জন্য ডিভাইস রয়েছে।
পান্ডুলিপিটি এমনকি পাইলটদের জন্য পোশাক এবং খাবারের বর্ণনা দেয়। এখানে, উদাহরণস্বরূপ, কিছু আকর্ষণীয় বিশদ: "... পরিবারের লোকেরা দিনে একবার বা দু'বার খাবার খেতে পারেন, তপস্বী - দিনে একবার Others অন্যরা দিনে চারবার খেতে পারেন A একজন পাইলটকে দিনে পাঁচবার খাওয়া উচিত।" পাইলটদের জন্য একটি বিশেষ ফ্যাব্রিক প্রস্তুত করা হয়, যার থেকে "কাপড়ের ধরণ অনুসারে এবং ক্রুদের ইচ্ছা অনুযায়ী" তারা কাপড় সেলাই করে ", যা শরীরের সতর্কতা বাড়ায়, চিন্তার স্পষ্টতা দেয়, শক্তি, শক্তি এবং সুস্থতা বৃদ্ধি করে।" সুতরাং, কাপড়ের উদ্দেশ্যটি আচার নয়, পুরোপুরি কার্যকরী; ক্রুদের কার্যকর কাজের জন্য এটি প্রয়োজন needed
ভাইমানের অভ্যন্তরীণ বিবরণ: "জাহাজের মাঝখানে একটি ধাতব বাক্স, যা" বলের উত্স "box এই বাক্সটি থেকে," ফোর্স "দুটি বড় পাইপকে স্ট্রিং এবং জাহাজের তীরের উপরে অবস্থিত addition এছাড়াও," ফোর্স "আটটি পাইপের দিকে তাকাতে ছুটে যায় যাত্রার শুরুতে, ল্যাচগুলি তাদের উপর খোলা হয়েছিল, এবং উপরের ল্যাচগুলি বন্ধ ছিল current "কারেন্ট" জোর দিয়ে টেনে নামিয়ে জাহাজটিকে উপরে তুলে মাটিতে আঘাত করেছিল it যখন এটি যথেষ্ট উঁচুতে নেমেছিল, নীচের দিকে তাকানো পাইপগুলি অর্ধেক coveredেকে গেছে যাতে এটি ঝুলতে পারে বাতাসে বো বেশিরভাগ "কারেন্ট" স্ট্রাইক পাইপকে নির্দেশিত করা হয়েছিল যাতে এটি উড়ে যায়, যার ফলে জাহাজটিকে এগিয়ে নিয়ে যায়। "
বিমানের সাধারণ কাঠামোর বর্ণনা: "হালকা পদার্থ দিয়ে তৈরি এর দেহটি শক্তিশালী এবং শক্ত হওয়া উচিত the ডিভাইসটির ভিতরে পারদ এবং নীচের দিকে লোহার হিটার স্থাপন করা উচিত merc পারদটিতে লুকিয়ে থাকা শক্তি দ্বারা, এই রথের কোনও ব্যক্তি উড়তে পারে আকাশ জুড়ে দীর্ঘ দূরত্ব যখন লোহার উত্তাপ থেকে পরিচালিত আগুনের সাহায্যে পারদ উত্তপ্ত হয়, রথটি ত্বরান্বিত হবে এবং তত্ক্ষণাত "আকাশের মুক্তোতে পরিণত হবে"।
প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থগুলির নীচে এটি দেখা যায় যে বিমানগুলি একটি শক্তিশালী অস্ত্র ছিল:
প্রাচীন ভারতীয় মহাকাব্য রামায়ণে এভাবেই একটি মহাকাশীয় জাহাজে শ্বেত বীর দেবতার শুরু বর্ণনা করা হয়েছিল। "যখন ভোর হল, রাম আকাশের রথে বসে বিমানের জন্য প্রস্তুতি নিলেন। রথটি বড় এবং সুন্দরভাবে আঁকা ছিল, দুটি কক্ষ এবং জানালা দিয়ে দুটি তল ছিল it এটি যখন বাতাসে বিমান চালাচ্ছিল, তখন এটি একঘেয়ে শব্দ করেছিল" " একটি প্রাচীন সংস্কৃত বই বলে যে যাত্রা করার সময় রথটি "সিংহের মতো গর্জন করে।"
সেখানে সেখানে বর্ণিত হয়েছে যে, মন্দ শয়তান রাবণ (রাব্বি), যিনি রামের স্ত্রী সীতাকে অপহরণ করেছিলেন, তাকে তাঁর জাহাজে রেখে পালিয়ে গিয়েছিলেন। তবে তিনি আর যেতে পারলেন না: "রমা তার" জ্বলন্ত "জাহাজে অপহরণকারীকে ধরে ফেলল এবং তার জাহাজটি ছুঁড়ে মেরে সীতাকে ফিরিয়ে দিয়েছিল ..."
বিশেষত বৌদ্ধ ব্যবহারের সাথে ব্যবহৃত ভয়ঙ্কর ও ধ্বংসাত্মক অস্ত্রের অনেকগুলি উল্লেখ মহাভারতে রয়েছে। এবং এটি আশ্চর্যজনক নয়, কারণ এই পর্বগুলির খণ্ড - 18 টি বই, দুটি জেনার - পাণ্ডব এবং কৌরব - এবং তাদের বিশ্বজগতের জন্য মিত্রদের যুদ্ধের কথা বলে:
"ভাইমানা অবিশ্বাস্য গতিতে পৃথিবীতে পৌঁছেছিল এবং প্রচুর তীর ছুঁড়েছিল, সোনার মতো ঝকঝক করে, হাজার হাজার বজ্রপাত ... তাদের দ্বারা নির্গত গর্জন এক হাজার ড্রাম থেকে বজ্রপাতের মতো ছিল ... সহিংস বিস্ফোরণ এবং কয়েকশো জ্বলন্ত ঘূর্ণিঝড় অনুসরণ করেছিল ...";
"অস্ত্রের উত্তাপে দগ্ধ হয়ে পৃথিবী ছড়িয়ে পড়েছিল, যেন জ্বর ছিল। হাতিরা উত্তাপ থেকে জ্বলে উঠে ভয়ঙ্কর শক্তি থেকে সুরক্ষার সন্ধানে ছুটে এসেছিল Water জল উত্তপ্ত হয়ে উঠল, প্রাণীরা মারা গিয়েছিল, শত্রুটি নিরস্ত হয়েছিল, এবং আগুনের ক্রোধ সারি সারি গাছ পড়েছিল ... হাজার হাজার রথ!" ধ্বংস হয়ে গিয়েছিল, অতঃপর গভীর নীরবতা সমুদ্রের উপরে পড়েছিল s বাতাস বইতে শুরু করে এবং পৃথিবী জ্বলে ওঠে terrible মৃতদেহের দেহগুলি ভয়াবহ উত্তাপে বিকৃত করা হয়েছিল যাতে তারা আর মানুষের মতো দেখতে পায় না। "
মহাভারতে বর্ণিত অস্ত্রটি আশ্চর্যজনকভাবে একটি পারমাণবিক অস্ত্রের সাথে সাদৃশ্যপূর্ণ। একে বলা হয় "ব্রহ্মার মাথা (কাঠি)" বা "ইন্দ্রের শিখা": "প্রচণ্ড এবং শিখা প্রবাহিত স্রোতে", "একটি উগ্র গতিবেগে ছুটে এসে বাজ পড়ল," "" এটি থেকে বিস্ফোরণটি তার জেনিথে 10 হাজার সূর্যের মতো উজ্জ্বল ছিল "," শিখা " ধোঁয়াবিহীন সমস্ত দিক থেকে দূরে সরে গেছে। "
"গোটা জাতিকে হত্যা করার উদ্দেশ্যে," এটি মানুষকে ধুলায় পরিণত করেছিল, এবং বেঁচে থাকা লোকেরা তাদের নখ এবং চুল হারিয়েছিল। এমনকি খাবারও অকেজো হয়ে গেল। এই অস্ত্রটি বেশ কয়েক প্রজন্ম ধরে সমগ্র দেশ এবং মানুষকে আঘাত করেছে:
"মৃত্যুর দৈত্য মেসেঞ্জারের মতো একটি বজ্রপাত, মানুষকে জ্বালিয়ে দিয়েছে। যারা নদীতে ছুটে এসেছিল তারা বেঁচে থাকতে পেরেছিল, কিন্তু চুল এবং নখ হারিয়েছিল ..."; "... এর বেশ কয়েক বছর পরে, সূর্য, তারা এবং আকাশ মেঘ এবং খারাপ আবহাওয়ার দ্বারা লুকিয়ে রয়েছে।"
উড়ন্ত গাড়িগুলি, যেমন প্রাচীন যুগে বিদ্যমান ছিল, অনেক জাতির মিথগুলিতে উল্লেখ করা হয়েছে। অনেক প্রত্নতাত্ত্বিক নিদর্শনও এই সত্যটির সত্যতা নিশ্চিত করে:
ইন্টারনেট থেকে ভিডিও:
"বিমানমান শাস্ত্র" - ফ্লাইটে একটি প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থ
"বইটিতে ভাইমানের বিবরণ রয়েছে" বৌমনিকা শাস্ত্র", বা" বিমানিক প্রকরণম "(সংস্কৃত থেকে অনুবাদ -" বিমানের বিজ্ঞান "বা" ফ্লাইটের উপরে ট্রিটিস ")।
কিছু সূত্র মতে, "বিমানিকা শাস্ত্র" 1875 সালে ভারতের একটি মন্দিরে আবিষ্কার হয়েছিল। এটি খ্রিস্টপূর্ব চতুর্থ শতাব্দীতে সংকলিত হয়েছিল। Mahaষি মহর্ষা ভারতদ্বাজী, যিনি আরও প্রাচীন গ্রন্থগুলিকে উত্স হিসাবে ব্যবহার করেছিলেন। অন্যান্য উত্স অনুসারে, তার পাঠ্যটি 1918-1923 সালে রেকর্ড করা হয়েছিল। Venষি-মাধ্যমের পুনর্বিবেচনায় ভেঙ্কটচাকোয় শর্মা, পন্ডিত সুব্রবায় শাস্ত্রী, যিনি সম্মোহনমূলক অবস্থার মধ্যে বিমানিকা শাস্ত্রের ২৩ টি গ্রন্থ রচনা করেছিলেন। সুবব্রীয় শাস্ত্রী নিজেই দাবি করেছিলেন যে কয়েক সহস্রাব্দের জন্য বইটির পাঠ্য তালের পাতায় লেখা ছিল এবং মৌখিকভাবে প্রজন্ম থেকে প্রজন্মান্তরে ন্যস্ত হয়েছিল। তাঁর সাক্ষ্য অনুসারে, “বিমানিকা শাস্ত্র” Bhaষি ভরদ্বাজার একটি বিস্তৃত গ্রন্থের একটি অংশ, যার নাম “যান্ত্র-সরস্বত্ত্ব” (সংস্কৃত থেকে অনুবাদ করা হয়েছে "যান্ত্রিক বিশ্বকোষ" বা "সমস্ত যন্ত্রের")। অন্যান্য বিশেষজ্ঞদের মতে এটি বিমান বিদ্যাণের (বিজ্ঞান বিজ্ঞান এবং বৈমানিকের) প্রায় 1/40 টি কাজ।
1943 সালে সংস্কৃত ভাষায় প্রথমবারের মতো বিমানিকা শাস্ত্র প্রকাশিত হয়েছিল। তিন দশক পরে, এটি মাইসুর (ভারত) এর আন্তর্জাতিক সংস্কৃতি একাডেমির পরিচালক জে। আর। জোসেয়ারের দ্বারা ইংরেজিতে অনুবাদ করা হয়েছিল এবং এটি 1979 সালে ভারতে প্রকাশিত হয়েছিল।
বিমানিকা শাস্ত্রে বিমান, উপকরণ বিজ্ঞান, আবহাওয়া সম্পর্কিত নির্মাণ ও পরিচালনার বিষয়ে ৯ 97 জন প্রাচীন বিজ্ঞানী এবং বিশেষজ্ঞদের কাজ সম্পর্কিত অসংখ্য উল্লেখ রয়েছে।
বইটি চার ধরণের বিমানের বর্ণনা দিয়েছে (এমন ডিভাইসগুলি সহ যা আগুন বা ক্রাশ ধরতে পারে না) - " রুকমা উইমন", "সুন্দ্রা উইমন", "ত্রিপুরার বীমন"এবং" শাকুনা বীমন"। তাদের মধ্যে প্রথমটি একটি শঙ্কুযুক্ত আকৃতি ছিল, দ্বিতীয়টির কনফিগারেশনটি ছিল রকেটের মতো: " ত্রিপুরা ওয়াইম্যান "একটি ত্রি-স্তর (তিনতলা) ছিল এবং এর দ্বিতীয় তলায় যাত্রীদের জন্য কেবিন ছিল, এই বহু-উদ্দেশ্যমূলক ডিভাইসটি বায়ু এবং পানির নীচে উভয় ভ্রমণের জন্য ব্যবহার করা যেতে পারে;" শাকুনা উইম্যান "একটি বড় পাখির মতো দেখতে লাগছিল।
সমস্ত বিমান ধাতু দিয়ে তৈরি ছিল। লেখায় তিন ধরণের উল্লেখ রয়েছে: "সোমাকা",
"সানডালিকা", "মুর্ত্বিকা", পাশাপাশি খুব উচ্চ তাপমাত্রা সহ্য করতে পারে এমন অ্যালোগুলি। এছাড়াও, বিমানিকা শাস্ত্র বিমানের 32 বড় অংশ এবং তাদের উত্পাদনতে ব্যবহৃত 16 টি উপকরণের তথ্য সরবরাহ করে যা আলো এবং তাপ শোষণ করে। ভাইমানায় আরোহণে বিভিন্ন যন্ত্র এবং যন্ত্রে যাকে বেশিরভাগ ক্ষেত্রেই "যন্ত্র" (গাড়ি) বা "দর্পণ" (আয়না) বলা হয়। এর মধ্যে কিছু আধুনিক টেলিভিশন পর্দার সাথে সাদৃশ্যপূর্ণ, অন্যরা - রাডার এবং অন্যেরা - ক্যামেরা; বৈদ্যুতিন কারেন্ট জেনারেটর, সৌর শক্তি শোষণকারী ইত্যাদির মতো সরঞ্জামগুলিও উল্লেখ করা হয়েছে mentioned
বৌমনিকা শাস্ত্রের পুরো অধ্যায়টি উপকরণের বর্ণনায় উত্সর্গীকৃত " গুহাগড়ভদ্রেশ যন্তরক "।এর সাহায্যে, উড়ন্ত বিমানের সাহায্যে মাটির নিচে লুকিয়ে থাকা বস্তুর অবস্থান নির্ধারণ করা সম্ভব হয়েছিল!
বইটিতে দৃশ্যমান পর্যবেক্ষণের জন্য ভাইমানায় যে সাতটি আয়না এবং লেন্স লাগানো হয়েছিল সে সম্পর্কে বিস্তারিত বলা হয়েছে। সুতরাং, তাদের মধ্যে একটি, " পিংজুলার আয়না"এর লক্ষ্য ছিল শত্রুদের অন্ধ" শয়তানী রশ্মি "থেকে পাইলটদের চোখ রক্ষা করা।
"বিমানিকা শাস্ত্র" বিমানের চালকে সাতটি শক্তির সূত্রের নাম দিয়েছে: আগুন, পৃথিবী, বায়ু, সূর্য, চাঁদ, জল এবং স্থানের শক্তি। সেগুলি ব্যবহার করে, বিমানগুলি এমন ক্ষমতা অর্জন করেছিল যা এখন পৃথিবীর চারাগাছের কাছে অ্যাক্সেসযোগ্য। উদাহরণস্বরূপ,"গুজ" এর শক্তি ভাইমানকে শত্রুর কাছে অদৃশ্য হতে দেয়, "পোকা" শক্তিটি অন্যান্য বিমানকে অক্ষম করতে পারে, এবং "প্রলয়" এর শক্তি বৈদ্যুতিক চার্জ নির্গত করতে এবং বাধাগুলি ধ্বংস করতে পারে। স্থানের শক্তি ব্যবহার করে, বিমানমানগুলি এটি বিকৃত করতে পারে এবং চাক্ষুষ বা বাস্তব প্রভাব তৈরি করতে পারে: তারার আকাশ, মেঘ ইত্যাদি create
বইটি বিমান নিয়ন্ত্রণ ও রক্ষণাবেক্ষণের নিয়ম সম্পর্কেও জানায়, বিমান প্রশিক্ষণকারীদের প্রশিক্ষণের পদ্ধতি, ডায়েট, তাদের জন্য বিশেষ সুরক্ষামূলক পোশাক তৈরির পদ্ধতি বর্ণনা করে। এতে হারিকেন এবং বজ্রপাত থেকে বিমানের সুরক্ষা এবং একটি মুক্ত শক্তির উত্স থেকে ইঞ্জিনটিকে "সৌরশক্তি" এ স্যুইচ করার বিষয়ে দিকনির্দেশ সম্পর্কিত তথ্য রয়েছে - "গ্র্যাভিটি বিরোধী" "
ভাইমানিকা শাস্ত্রে, 32 টি গোপন রহস্য প্রকাশিত হয়েছে যে একজন বেলুনিস্টকে জ্ঞানবান টিউটরদের কাছ থেকে জানা উচিত। তাদের মধ্যে বোধগম্য প্রয়োজনীয়তা এবং বিমানের নিয়ম রয়েছে, উদাহরণস্বরূপ, আবহাওয়া সংক্রান্ত পরিস্থিতি বিবেচনায় নেওয়া। তবে, আজও আমাদের কাছে জ্ঞান সম্পর্কিত বেশিরভাগ গোপনীয়তা অ্যাক্সেসযোগ্য নয়, উদাহরণস্বরূপ, যুদ্ধে বিরোধীদের কাছে ভাইমনাকে অদৃশ্য করার ক্ষমতা, এর আকার বাড়াতে বা হ্রাস করা ইত্যাদি etc. এগুলির কয়েকটি এখানে রয়েছে:
"... পৃথিবী viাকা বায়ুমণ্ডলের অষ্টম স্তরে জাসা, বায়াস, প্রজাসার শক্তি সংগ্রহ করে সূর্যের রশ্মির অন্ধকার উপাদানটি আঁকুন এবং শত্রু থেকে ভিমনকে আড়াল করার জন্য এটি ব্যবহার করুন ..."
"... আকাশে ইথার স্রোতের শক্তি আকর্ষণ করতে এবং একটি বেলুনে বাল-বিকর্ণশক্তির সাথে মিশ্রিত করার জন্য, সৌর ভরর হৃদয়ের কেন্দ্রের বায়নাথ্য বিকরণ এবং অন্যান্য শক্তির মাধ্যমে, এটি একটি সাদা শেল গঠন করে যা ভাইমনকে অদৃশ্য করে তোলে ...";
"... আপনি যদি গ্রীষ্মের মেঘের দ্বিতীয় স্তরে প্রবেশ করেন, শক্তিদর্শন দর্শনের শক্তি সংগ্রহ করেন এবং এটি পরজীবীর (" হল-বিমান ") প্রয়োগ করেন, আপনি একটি পক্ষাঘাতগ্রস্ত শক্তি তৈরি করতে পারেন, এবং শত্রু ভাইমন পক্ষাঘাতগ্রস্ত এবং অক্ষম হয়ে যাবে ...";
"... আলোর রশ্মির প্রবর্তন করে রোহিনী ভাইমানার সামনে দৃশ্যমান বস্তু তৈরি করতে পারে ...";
"... ডামাভক্ত্র এবং অন্য সাতটি বায়ু শক্তি সংগ্রহ করে, সূর্যের রশ্মির সাথে সংযোগ স্থাপন করে, বিমোহনের কেন্দ্রবিন্দু দিয়ে বিমানাটি সরিয়ে নিয়ে সুইচটি ঘুরিয়ে দিলে" বিমানা একটি সাপের মতো জিগজ্যাগে চলে যাবে ""
"... শত্রুদের জাহাজের অভ্যন্তরে অবজেক্টগুলির একটি টেলিভিশন চিত্র পেতে ভাইমানায় ফটোগ্রাফিক যন্তর মাধ্যমে ...";
"... আপনি যদি ভাইমনার উত্তর-পূর্ব অংশে তিন ধরণের অ্যাসিড বিদ্যুতায়িত করেন, তাদের types ধরণের সূর্যের আলোতে প্রকাশ করুন এবং ফলস্বরূপ ত্রিশির আয়নার নলটিতে রাখুন, পৃথিবীতে যা কিছু ঘটেছিল তা পর্দার উপরে প্রক্ষেপণ করা হবে ..."।
ডাঃ আর.এল. অনুসারে আমেরিকা যুক্তরাষ্ট্রের ফ্লোরিডায় ভক্তটিভান্তা ইনস্টিটিউট থেকে প্রাপ্ত থম্পসন, এলিয়েন্সের লেখক: দ্য অ্যাজ অফ দ্য অ্যাজ, মানবতার অজানা ইতিহাস, এই নির্দেশাবলীতে ইউএফওগুলির আচরণ সম্পর্কে প্রত্যক্ষদর্শীর বিবরণগুলির সাথে অনেকগুলি সমান্তরাল রয়েছে।
সংস্কৃত গ্রন্থের বিভিন্ন পণ্ডিতের (ডি কে কঞ্জিলাল, কে। নাথান, ডি চাইল্ড্রেস, আরএল থম্পসন এবং অন্যান্য) মতে, "ভাইমানিকা শাস্ত্র" এর চিত্রগুলি XX শতাব্দীতে "দূষিত" হওয়া সত্ত্বেও শর্তাবলী এবং ধারণা যা আসল হতে পারে। এবং বেদের সত্যতা, মহাভারত, রামায়ণ এবং অন্যান্য প্রাচীন সংস্কৃত গ্রন্থে বিমানের বর্ণনা রয়েছে, কেউ সন্দেহ করেন না।
আমি প্রত্যেককে এই পৃষ্ঠাগুলিতে আরও আলোচনার জন্য আমন্ত্রণ জানাই
© এ.ভি. কোল্টিপিন, ২০১০
আকাশে দেবতারা কীভাবে লড়াই করেছিলেন, আমাদের আরও আলোকিত সময়ে যেমন ব্যবহার করা হত তত মারাত্মক অস্ত্র সহ সজ্জিত বিমান ব্যবহার করে সংস্কৃত গ্রন্থগুলিতে উল্লেখ রয়েছে।
উদাহরণস্বরূপ, এখানে রামায়ণের একটি অংশ আমরা পড়েছি:
পুস্পকের যন্ত্রটি, যা সূর্যের সাথে সাদৃশ্যপূর্ণ এবং আমার ভাইয়ের অন্তর্গত, শক্তিশালী রাবণ নিয়ে এসেছিল; এই সুন্দর এয়ার গাড়িটি ইচ্ছামতো যে কোনও জায়গায় চলে যায়, ... এই গাড়িটি আকাশের এক উজ্জ্বল মেঘের মতো ... এবং রাজা [রাম] এতে প্রবেশ করলেন এবং রাঘিরার আদেশে এই সুন্দর জাহাজটি উপরের পরিবেশে উঠল ”"
একটি অসাধারণ খণ্ডের একটি প্রাচীন ভারতীয় কবিতা মহাভারত থেকে আমরা শিখেছি যে অসুর মায়া নামে কারও চারপাশে শক্তিশালী ডানা দ্বারা সজ্জিত প্রায় 6 মিটার পরিধি পরিবেশন ছিল ima
……..
সম্ভবত সবচেয়ে চিত্তাকর্ষক এবং চ্যালেঞ্জিং তথ্য হ'ল এই কথিত পৌরাণিক বিমানগুলির কিছু প্রাচীন রেকর্ডগুলি এগুলি কীভাবে তৈরি করতে হয় তা বলে। নির্দেশাবলী তাদের নিজস্ব পদ্ধতিতে বেশ বিস্তারিত are সংস্কৃত সমরঙ্গণ সূত্রধারায় এটি লিখিত আছে:
“বিমানের দেহটি হালকা উপাদানের তৈরি বিশাল পাখির মতো শক্ত এবং টেকসই করা উচিত। একটি পারদ ইঞ্জিনটি অবশ্যই তার নীচে লোহার হিটার দিয়ে ভিতরে রাখতে হবে the পারদটিতে লুকানো শক্তির সাহায্যে, যা টর্নেডোকে গতিবেগে স্থির করে, ভিতরে বসে থাকা কোনও ব্যক্তি আকাশে দীর্ঘ দূরত্বে ভ্রমণ করতে পারে। বিমানার চলন এমন যে এটি উল্লম্বভাবে উঠতে পারে, উল্লম্বভাবে পড়ে যায় এবং তির্যকভাবে এগিয়ে এবং পিছনে যেতে পারে। এই মেশিনগুলির সাহায্যে, মানুষ বাতাসে আরোহণ করতে পারে এবং স্বর্গীয় মূলগুলি পৃথিবীতে অবতরণ করতে পারে ”"
হাকফা (ব্যাবিলনীয়দের আইন) পুরোপুরি স্পষ্টভাবে বলেছে: “একটি বিমান উড়ানোর সুযোগটি দুর্দান্ত। আমাদের heritageতিহ্যের মধ্যে প্রাচীনতমগুলির মধ্যে ফ্লাইট জ্ঞান। "উপরের যারা" থেকে একটি উপহার। অনেক জীবন বাঁচানোর উপায় হিসাবে আমরা তাদের কাছ থেকে পেয়েছি। '
এমনকি আরও চমত্কার হ'ল প্রাচীন ক্যালডিয়ান রচনা সিফ্রাল-এ দেওয়া তথ্য, যাতে একটি উড়ন্ত মেশিন নির্মাণ সম্পর্কে প্রায় শতাধিক পৃষ্ঠার প্রযুক্তিগত বিবরণ রয়েছে। এটিতে এমন শব্দ রয়েছে যা গ্রাফাইট রড, কপার কয়েল, একটি স্ফটিকের সূচক, স্পন্দিত গোলক, স্থিতিশীল কোণার কাঠামো হিসাবে অনুবাদ করে।
অনেক ইউএফও রহস্য গবেষক একটি খুব গুরুত্বপূর্ণ সত্যকে উপেক্ষা করতে পারেন। বহিরাগত উত্সের সর্বাধিক উড়ন্ত সসার বা সম্ভবত, সরকারের সামরিক প্রকল্প, এই অনুমানগুলি ছাড়াও, তাদের অন্যান্য সম্ভাব্য উত্স প্রাচীন ভারত এবং আটলান্টিস হতে পারে।
প্রাচীন ভারতীয় বিমান সম্পর্কে আমরা যা জানি সেগুলি প্রাচীন ভারতীয় লিখিত উত্স থেকে আসে যা শতাব্দীর পর শতাব্দীতে আমাদের কাছে এসেছিল। এতে কোনও সন্দেহ নেই যে এই গ্রন্থগুলির বেশিরভাগই খাঁটি, আক্ষরিক অর্থে এগুলির শত শত রয়েছে, তাদের অনেকগুলিই বিখ্যাত ভারতীয় মহাকাব্য, তবে তাদের বেশিরভাগই প্রাচীন সংস্কৃত থেকে ইংরেজিতে অনুবাদ করা যায় নি।
ভারতীয় রাজা অশোক "নয়জন অজানা লোকের গোপন সমাজ" প্রতিষ্ঠা করেছিলেন - সেই মহান ভারতীয় পণ্ডিতদের যারা বহুবিজ্ঞানের তালিকা তৈরি করার কথা বলেছিলেন। অশোক তাদের কাজকে গোপন রেখেছিলেন কারণ তিনি ভয় করেছিলেন যে প্রাচীন ভারতীয় উত্স থেকে এই লোকদের দ্বারা সংগৃহীত উন্নত বিজ্ঞানের তথ্য যুদ্ধের দুষ্ট উদ্দেশ্যগুলির জন্য ব্যবহার করা যেতে পারে, যার বিরুদ্ধে অশোক নির্ধারিত ছিল, রক্তাক্ত হয়ে শত্রু সেনাবাহিনীকে পরাজিত করার পরে বৌদ্ধধর্মে রূপান্তরিত হয়েছিল যুদ্ধ। “নন অজানা” মোট নয়টি বই লিখেছিল, সম্ভবত প্রতিটি একটি করে। একটি বইয়ের নাম ছিল গ্র্যাভিটির সিক্রেটস। এই গ্রন্থটি historতিহাসিকদের কাছে পরিচিত, কিন্তু এগুলি কখনও দেখা যায়নি, এটি প্রধানত মহাকর্ষের নিয়ন্ত্রণে ছিল। সম্ভবত এই বইটি এখনও কোথাও গোপনীয়তার মধ্যে রয়েছে
ভারতের গ্রন্থাগার, তিব্বত বা অন্য কোথাও (সম্ভবত উত্তর আমেরিকাতেও)। অবশ্যই, এই জ্ঞানটি বিদ্যমান বলে ধরে নেওয়া, অশোক কেন এটি গোপন রেখেছিলেন তা সহজেই বোঝা যায়।
অশোক এই যন্ত্রগুলি এবং অন্যান্য "ভবিষ্যত অস্ত্র" ব্যবহার করে ধ্বংসাত্মক যুদ্ধ সম্পর্কেও অবহিত ছিলেন যা তাঁর আগে কয়েক হাজার বছর আগে প্রাচীন ভারতীয় "রাম রাজ" (রামের রাজত্ব) ধ্বংস করেছিল। মাত্র কয়েক বছর আগে, চীনারা লাসা (তিব্বত) তে কিছু সংস্কৃত দলিল আবিষ্কার করেছিল এবং সেগুলি চন্দ্রীগড় বিশ্ববিদ্যালয়ে স্থানান্তর করার জন্য প্রেরণ করেছিল। এই বিশ্ববিদ্যালয় থেকে ডাঃ রুফ রেইনা সম্প্রতি বলেছিলেন যে এই নথিতে আন্তঃকেন্দ্রীয় স্পেসশিপ তৈরির জন্য নির্দেশনা রয়েছে! তাদের পরিবহণের পদ্ধতিটি "মহাকর্ষবিরোধী" ছিল এবং "লেগিম" ব্যবহার করা "আই" বিদ্যমান একটি অজানা শক্তির মতো ব্যবস্থার উপর ভিত্তি করে তৈরি ছিল। মানুষের মানসিক কাঠামোতে, "সমস্ত মহাকর্ষীয় আকর্ষণ কাটিয়ে উঠতে পর্যাপ্ত কেন্দ্রীক শক্তি"। ভারতীয় যোগীদের মতে এটি "লাঘিমা" যা কোনও ব্যক্তিকে লিভিট করতে দেয়।
ডাঃ রেইনা বলেছিলেন যে এই মেশিনগুলিতে "অ্যাস্ট্রা" পাঠ্য বলা হয়েছিল, প্রাচীন ভারতীয়রা কোনও গ্রহে লোকের বিচ্ছিন্নতা পাঠাতে পারত যা দলিল অনুসারে কয়েক হাজার বছর বয়সে পৌঁছে যেত। পান্ডুলিপিও বলে
"অ্যান্টিমা" বা অদৃশ্যতা টুপি এবং "গরিমা" গোপনীয়তার সন্ধানের বিষয়ে, যা পাহাড় বা সীসার মতো ভারী হয়ে ওঠা সম্ভব করে তোলে। স্বাভাবিকভাবেই, ভারতীয় বিদ্বানরা গ্রন্থগুলিকে খুব গুরুত্ব সহকারে নেননি, তবে চীনারা যখন তাদের ঘোষণা দিয়েছিল যে তারা তাদের মানকে আরও ইতিবাচকভাবে গ্রহণ করতে শুরু করেছিল তাদের কিছু অংশ মহাকাশ প্রোগ্রামে পড়াশোনা করার জন্য! বৈষম্যমূলক গবেষণার অনুমতি দেওয়ার কোনও সরকারের সিদ্ধান্তের প্রথম উদাহরণগুলির মধ্যে এটি একটি।
পাণ্ডুলিপিগুলিতে কোনও আন্তঃপ্লবিক বিমান চালানো হয়েছিল কিনা তা সুনির্দিষ্টভাবে বলা যায় না, তবে এটি অন্যান্য বিষয়ের মধ্যে চাঁদের উদ্দেশ্যে পরিকল্পিত বিমানের উল্লেখ করেছে, যদিও এই উড়ানটি আসলে চালিত হয়েছিল কিনা তা স্পষ্ট নয়। কোনও একরকম বা মহৎ ভারতীয় মহাকাব্যগুলির মধ্যে একটি, রামায়ণে "ভাইমানা" (বা "অ্যাসিটার") -এ চাঁদের যাত্রার খুব বিশদ বিবরণ রয়েছে এবং "আশ্বিন" (বা আটলান্টিয়ান) জাহাজের সাথে চাঁদের যুদ্ধের বিশদ বর্ণনা দিয়েছেন।
এটি ভারতীয়দের অ্যান্টিগ্রাভিটি এবং এয়ারস্পেস প্রযুক্তি ব্যবহারের প্রমাণের একটি সামান্য অংশ মাত্র।
সত্যই এই প্রযুক্তিটি বুঝতে, আমাদের আরও প্রাচীন সময়ে ফিরে যেতে হবে। উত্তর ভারত এবং পাকিস্তানের রামের তথাকথিত রাজ্যটি কমপক্ষে 15 হাজার বছর আগে তৈরি হয়েছিল এবং এটি একটি বৃহত এবং পরিশীলিত শহরগুলির একটি জাতি ছিল, যার অনেকগুলি এখনও পাকিস্তান, উত্তর ও পশ্চিম ভারতের মরুভূমিতে পাওয়া যায়। রামের রাজ্য আটলান্টিক মহাসাগরের কেন্দ্রে আটলান্টিক সভ্যতার সমান্তরালভাবে উপস্থিত ছিল এবং শহরগুলির প্রধান স্থানে দাঁড়িয়ে থাকা "আলোকিত পুরোহিত-রাজা" দ্বারা পরিচালিত ছিল।
রামের সবচেয়ে বড় সাতটি মহানগর শহর ধ্রুপদী ভারতীয় গ্রন্থগুলিতে "ishষিদের সাতটি শহর" নামে পরিচিত ancient প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থ অনুসারে, লোকদের "বিমান" নামে বিমান ছিল। মহাকাব্যটি বিমানটিকে একটি গর্ত এবং একটি গম্বুজযুক্ত একটি ডাবল ডেকেরযুক্ত বিজ্ঞপ্তিযুক্ত বিমান হিসাবে বর্ণনা করে, যা আমরা কীভাবে একটি উড়ন্ত সসারকে কল্পনা করি তার সাথে খুব মিল। তিনি "বাতাসের গতিতে" উড়ে এসে একটি "সুরেলা শব্দ" করলেন।
কমপক্ষে চারটি বিভিন্ন ধরণের ভাইমান ছিল; কিছু সসারদের মতো, আবার লম্বা সিলিন্ডারগুলির মতো - সিগার-আকৃতির বিমান। ভিমনাসের প্রাচীন ভারতীয় গ্রন্থগুলিতে এতগুলি সংখ্যা রয়েছে যে পুনর্বিবেচনা করা পুরো খণ্ডে লাগে। প্রাচীন ভারতীয় যারা এই জাহাজগুলি তৈরি করেছিলেন তারা বিভিন্ন ধরণের বিমান পরিচালনার জন্য পুরো বিমানের ম্যানুয়াল লিখেছিলেন, যার অনেকগুলি এখনও রয়েছে, এবং তাদের মধ্যে কয়েকটি ইংরেজী অনুবাদও হয়েছে।
সামারা সূত্রধর হ'ল একটি বৈজ্ঞানিক গ্রন্থ যা সমস্ত সম্ভাব্য কোণ থেকে বিমানে বিমান ভ্রমণ পরীক্ষা করে। এতে তাদের নকশা, টেক-অফ, কয়েক হাজার কিলোমিটারের বেশি বিমান, সাধারণ এবং জরুরি অবতরণ এবং এমনকি পাখির সাথে সংঘর্ষের বিষয়ে বলা 230 টি অধ্যায় রয়েছে।
1875 সালে, চতুর্থ শতাব্দীর পাঠ্য ভারতে মন্দিরগুলির একটিতে বৌমনিকা শাস্ত্র আবিষ্কার হয়েছিল বিসি ভারদ্বাজী বুদ্ধিমানের লেখা, যিনি আরও প্রাচীন গ্রন্থগুলিকে উত্স হিসাবে ব্যবহার করেছিলেন; তিনি বিমান পরিচালনার বিষয়ে কথা বলেছেন এবং তাদের চালনা সম্পর্কিত তথ্য, দীর্ঘ উড়ানের বিষয়ে সতর্কতা, হারিকেন ও বজ্রপাত থেকে বিমান রক্ষা সম্পর্কিত তথ্য এবং ইঞ্জিন পরিবর্তন করার জন্য একটি গাইড অন্তর্ভুক্ত করেছিলেন মুক্ত শক্তির উত্স থেকে "সৌরশক্তি" সম্পর্কে, যাকে "অ্যান্টি-গ্র্যাভিটি" বলা হত। ওয়েমনিকা শাস্ত্রে আটটি অধ্যায় রয়েছে ডায়াগ্রামে সজ্জিত, এবং যানবাহন সহ তিন ধরণের বিমানের বর্ণনা রয়েছে, torye প্রজ্বলিত বা ভাঙতে পারে। তিনি এই যন্ত্রগুলির 31 টি প্রধান অংশ এবং তাদের উত্পাদনতে ব্যবহৃত 16 টি উপকরণের উল্লেখ করেছেন যা আলোক এবং তাপ শোষণ করে, এজন্য এগুলি বিমান নির্মাণের জন্য উপযুক্ত বলে বিবেচিত হয়।
এই ডকুমেন্টটি ইংরেজিতে অনুবাদ করেছেন জে। আর। জোসেয়ার এবং ১৯৯ in সালে ভারতের মহীশূরে প্রকাশিত। মিঃ জোসেয়ার মহীশূরে অবস্থিত আন্তর্জাতিক সংস্কৃতি স্টাডিজের পরিচালক is দেখে মনে হয় যে নিঃসন্দেহে বিমানটি কোনওরকম মহাকর্ষবিরোধী দ্বারা গতিবেষ্ট করেছিল। তারা উল্লম্বভাবে যাত্রা করেছিল এবং আধুনিক হেলিকপ্টার বা আকাশযানের মতো বাতাসে ঘোরাফেরা করতে পারে। ভরদ্বাজী 70০ টিরও কম কর্তৃপক্ষ এবং প্রাচীনত্বের অ্যারোনটিক্সের ক্ষেত্রে 10 বিশেষজ্ঞকে বোঝায় না।
এই উত্সগুলি এখন হারিয়ে গেছে। এক ধরণের হ্যাঙ্গারে ভিড়নাস "ভিড়ের ভাইমানা" তে অন্তর্ভুক্ত ছিল এবং কখনও কখনও বলা হয় যে এগুলি একটি হলুদ-সাদা তরল এবং কখনও কখনও একরকম পারদ মিশ্রণ দ্বারা চালিত হয়েছিল, যদিও মনে হয় যে লেখকরা এই বিষয়ে অনিশ্চিত ছিলেন। সম্ভবত, পরবর্তীকালে লেখকরা কেবল পর্যবেক্ষক ছিলেন এবং প্রাথমিক পাঠগুলি ব্যবহার করেছিলেন এবং এটি স্পষ্ট যে তারা তাদের আন্দোলনের নীতি সম্পর্কে বিভ্রান্ত হয়েছিল। "হলুদ বর্ণের সাদা তরল" সন্দেহজনকভাবে পেট্রলের স্মরণ করিয়ে দেয় এবং সম্ভবত অভ্যন্তরীণ জ্বলন ইঞ্জিন এবং এমনকি জেট ইঞ্জিন সহ চলাচলের বিভিন্ন উত্স ভিমন হয়।
দ্রোণপর্বের মতে, মহাভারতের কিছু অংশ এবং রামায়ণ অনুসারে, বিমানগুলির মধ্যে একটিকে একটি গোলকের উপস্থিতি এবং পারদ দ্বারা সৃষ্ট শক্তিশালী বাতাস দ্বারা প্রচুর গতিতে ছুটে যাওয়া হিসাবে বর্ণনা করা হয়েছে। তিনি ইউএফওর মতো সরে গিয়েছিলেন, উঠছেন, পড়ছেন, পাইলটদের ইচ্ছানুসারে পিছনে পিছনে চলছেন। সমরার আর একটি ভারতীয় উত্সে, ভিমনাসকে "লোহার মেশিনগুলি, ভালভাবে সমবেত এবং মসৃণ হিসাবে চিহ্নিত করা হয়েছে, পারদটির চার্জটি এটির গর্জন শিখার আকারে ফেটেছিল।" সমরঙ্গনসূত্রধারা নামে আরেকটি রচনায় কীভাবে যন্ত্রপাতিটি সাজানো হয়েছিল তা বর্ণনা করা হয়েছে। এটি সম্ভব যে নিয়ন্ত্রণের ব্যবস্থার সাথে পারদটির কিছুটা চলাচল, বা সম্ভবত আরও কিছু ছিল। কৌতূহলজনকভাবে, সোভিয়েত বিজ্ঞানীরা আবিষ্কার করেছিলেন তারা "নেভিগেশনে ব্যবহৃত প্রাচীন যন্ত্রগুলি" বলে
তুর্কিস্তান এবং গোবি মরুভূমির গুহায় মহাকাশযান ”। এই "ডিভাইসগুলি" গ্লাস বা চীনামাটির বাসন দিয়ে তৈরি হেমসিফেরিকাল অবজেক্টস, ভিতরে একটি পার্কের ড্রপ দিয়ে শঙ্কুতে শেষ হয়।
স্পষ্টতই, প্রাচীন ভারতবর্ষগুলি এশিয়া জুড়ে সম্ভবত সম্ভবত আটলান্টিসে উড়েছিল; এমনকি, স্পষ্টতই, দক্ষিণ আমেরিকাতে। পাকিস্তানের মহেঞ্জো দারোতে পাওয়া একটি চিঠি ("রাম সাম্রাজ্যের iষির সাতটি শহর হিসাবে একটি" বলে অভিহিত করা হয়েছে) এবং এখনও অনিবন্ধিত, বিশ্বের অন্য কোথাও পাওয়া গেছে - ইস্টার দ্বীপ! ইস্টার দ্বীপের লেখা, যাকে বলা হয় রঙ্গো-রঙ্গো, তাও এনক্রিপ্টড এবং অনেকটা মহেঞ্জো-দারো লেখার সাথে সাদৃশ্যপূর্ণ। ...
আরও প্রাচীন গ্রন্থ এবং traditionsতিহ্য থেকে সংকলিত অষ্টম শতাব্দীর জৈন পাঠ মহাভীর ভাবভূতিতে আমরা পড়েছি: “বায়ু রথ, পুষ্পাকা বহু লোককে অযোধ্যার রাজধানীতে নিয়ে আসে। আকাশ বিশাল বিমানের সাথে পূর্ণ, রাতের মতো কালো, তবে হলুদ বর্ণের আলোর মতো বিন্দুযুক্ত। "সমস্ত হিন্দু গ্রন্থের মধ্যে প্রাচীনতম হিসাবে বিবেচিত প্রাচীন হিন্দু কবিতা, বিভিন্ন ধরণের এবং আকারের ভাইমান বর্ণনা করে:" অগ্নিওত্রভিমান "দুটি ইঞ্জিন সহ" হাতি-বিমান " আরও বেশি ইঞ্জিন সহ এবং "কিংফিশার", "আইবিস" এবং অন্যান্য প্রাণী হিসাবে পরিচিত অন্যদের সাথে।
দুর্ভাগ্যক্রমে, বেশিরভাগ বৈজ্ঞানিক আবিষ্কারের মতো বিমানও শেষ পর্যন্ত সামরিক উদ্দেশ্যে ব্যবহৃত হয়েছিল। ভারতীয় গ্রন্থ অনুসারে আটলান্টিয়ানরা তাদের বিজয়ী মেশিনগুলি, ভেলিক্সি, অনুরূপ ধরণের যন্ত্রপাতি ব্যবহার করেছিল, যা ভারতবর্ষের গ্রন্থ অনুসারে। আটলান্টিয়ানরা, ভারতীয় ধর্মগ্রন্থগুলিতে "আসওয়ানস" নামে পরিচিত, সম্ভবত ভারতীয়দের চেয়ে প্রযুক্তিগত দিক থেকে আরও উন্নত ছিল এবং অবশ্যই স্বভাবের ক্ষেত্রে আরও ঝগড়া ছিল। যদিও আটলান্টিস ভাইলিক্সি সম্পর্কে কোনও প্রাচীন গ্রন্থ রয়েছে তা জানা যায়নি, তবে কিছু তথ্য তাদের বিমানের বর্ণনা দেহক, তাত্পর্যপূর্ণ উত্স থেকে আসে।
ভাইমানাসের মতো, তবে তাদের মতো নয়, ভাইলিক্সি সাধারণত সিগার আকৃতির ছিল এবং বায়ুমণ্ডলে এবং এমনকি বাইরের স্থানের মতো একইভাবে জলের নিচে চলাচল করতে সক্ষম হয়েছিল। ভাইমানসের মতো অন্যান্য ডিভাইসগুলি সসার হিসাবে তৈরি ছিল এবং সম্ভবত এটি ডুবে যেতে পারে। দ্য লিমিট বাউন্ডারি লেখক একলাল কূশানের মতে, উইলিক্সী, ১৯66। সালের একটি নিবন্ধে লিখেছেন, এটি ২০০০ বছর আগে আটলান্টিসে প্রথম বিকশিত হয়েছিল এবং সর্বাধিক প্রচলিত ছিল "তুষারের আকারের এবং সাধারণত নীচের ইঞ্জিনগুলির জন্য তিনটি গোলার্ধ ঘেরযুক্ত ক্রস বিভাগে ট্র্যাপিজয়েডাল ছিল। "তারা প্রায় 80,000 অশ্বশক্তি বিকাশকারী ইঞ্জিনগুলি দ্বারা চালিত একটি মেকানিকাল অ্যান্টি-গ্র্যাভিটি ইউনিট ব্যবহার করেছিল।"
পূর্ব ভারতে কসমোনটস?
... যখন ভোর হল, রমা, আকাশের জাহাজটি নিয়ে, শুরু করার জন্য প্রস্তুত। সেই জাহাজটি বড় এবং সুন্দরভাবে সজ্জিত ছিল, বহু কক্ষ এবং উইন্ডো সহ দ্বিতল। আকাশের উচ্চতম উঁচুতে ওঠার আগে জাহাজটি সুরেলা শব্দ করেছিল ... এটি প্রাচীন ভারতীয় মহাকাব্য "রামায়ণ" এ স্বর্গীয় জাহাজে godশ্বর-নায়কের শুরুতে বর্ণিত হয়েছে।
সেখানে, মন্দ শয়তান রাবণ তাকে রামের স্ত্রী সীতাকে অপহরণ করে পালিয়ে যায়, তবে সে আর যেতে পারেনি: রাম তার অগ্নি যন্ত্রের সাহায্যে অপহরণকারীকে ধরে ফেলেন, রাবণের জাহাজটি ছুঁড়ে মেরেছিলেন এবং সীতাকে ফিরিয়ে দেন। এবং রাম একটি রহস্যময় অস্ত্র ব্যবহার করেছিলেন - "ইন্দ্রের তীর" ...
"বিমান" - বিভিন্ন উড়ন্ত বস্তুর বর্ণনা কেবল রামায়ণেই নয়, butগ্বেদ (দ্বিতীয় সহস্রাব্দ খ্রিস্টপূর্ব) এবং প্রাচীন কাল থেকে আমাদের কাছে নেমে আসা অন্যান্য রচনায়ও পাওয়া যায়। Rগ্বেদে, শক্তিশালী Indশ্বর ইন্দ্র বিমানের মাধ্যমে মহাশূন্যে চড়ে দানবদের বিরুদ্ধে যুদ্ধ চালিয়েছিলেন এবং তাঁর ভয়ঙ্কর অস্ত্রের সাহায্যে শহর ধ্বংস করেছিলেন।
প্রাচীনদের বিমানটিকে "উল্কার শক্তিশালী মেঘ দ্বারা ঘেরা" হিসাবে "গ্রীষ্মের রাতে শিখা" হিসাবে আকাশে ধূমকেতু হিসাবে বর্ণনা করা হয়েছিল।
এই বর্ণনাগুলি মূল্যায়ন কিভাবে? সবচেয়ে সহজ উপায় কল্পনা ব্যয় করে বিমান সম্পর্কে বার্তা লিখতে হয়। তবে কী কোনও সংশয়ীর দ্বারাও এই জাতীয় বিবরণ রক্ষা করা যায় না: ভারতীয় দেবতা এবং বীরাঙ্গনরা ড্রাগনে বা পাখির উপরে নয়, "ভয়ঙ্কর অস্ত্র" চালিয়ে বিমানের সাথে যুদ্ধ করছে? বর্ণনায় একটি খুব বাস্তব প্রযুক্তিগত ভিত্তি রয়েছে।
সুতরাং, "বিমান প্রকারণম" বইটি (সংস্কৃত থেকে "ফ্লাইট অন ট্রিটিস" হিসাবে অনুবাদ করা হয়নি) বিশেষজ্ঞদের কাছে উপস্থাপন করা চমত্কার নয়। তাঁর লেখকত্ব মহান ageষি ভরদ্বাজের জন্য দায়ী। তিনি বেশ কয়েকটি igগ্বেদ স্তবকের রচয়িতা হিসাবেও বিবেচিত হন। ইন্ডিয়ানোলজিস্টরা এই সম্ভাবনা বাদ দেন না যে তিনি ছিলেন আর্য মিশনারিদের একজন যিনি খ্রিস্টপূর্ব তৃতীয় সহস্রাব্দে সম্ভবত ভারতে আগত আর্যদের বৃহত দল নিয়ে যোগ দিয়েছিলেন। কালো এবং ক্যাস্পিয়ান সমুদ্রের উত্তরে অবস্থিত অঞ্চল থেকে।
প্রথমবারের মতো এই বইটি মৃত সংস্কৃত ভাষায় প্রকাশিত হয়েছিল, যা কিছু বিশেষজ্ঞের মতে 1943 সালে প্রকাশিত বিমান বিদ্যাণের রচনার (অ্যারোনটিক্সের বিজ্ঞান) একমাত্র চল্লিশতম (!) অংশ ছিল। এটির লেখাটি আমাদের শতাব্দীর বিশের দশকে ভেঙ্কটচাকোয় শর্মা Subষি সুব্রাইয়া শাস্ত্রীর পুনর্বারে রেকর্ড করেছিলেন। সুব্রয়া শাস্ত্রী নিজেই দাবি করেছিলেন যে কয়েক সহস্রাব্দের সময়কালে বইটির পাঠ্য মৌখিকভাবে প্রজন্ম থেকে প্রজন্মান্তরে চলে গিয়েছিল।
এই কাজের বিভিন্ন বর্ণনার একটি সতর্ক বিশ্লেষণ আধুনিক বিদ্বানদের গুরুতরভাবে জিজ্ঞাসা করেছিল: প্রাচীন ভারতীয়রা কি বায়ুবিদ্যার রহস্যগুলি জানতেন? বইয়ের কিছু অংশগুলি হুরি পুরাকীর্তিতে বসবাসকারী ব্যক্তিদের উচ্চ প্রযুক্তিগত জ্ঞান নির্দেশ করে।
গ্রন্থে নির্ধারিত সূত্র অনুসারে পরীক্ষাগারে প্রাপ্ত দুটি শক্ত এবং একটি তরল - তিনটি পদার্থ সম্প্রতি হায়দরাবাদে (অন্ধ্র প্রদেশ) আয়োজিত দেশব্যাপী সিম্পোজিয়াম "প্রাচীন ভারতে বিজ্ঞান ও প্রযুক্তি" তে প্রদর্শিত হয়েছিল।
তিনি যুক্তি দিয়েছিলেন যে বইটিতে অ্যারোনটিকস, বিমান এবং তাদের কয়েকটি সিস্টেম, সূর্যের বিজ্ঞান এবং বিমানটিতে সৌরশক্তি ব্যবহার সম্পর্কে প্রাচীন চিন্তাবিদদের ধারণা বিস্তারিতভাবে প্রতিফলিত হয়েছে।
বিমান প্রকারণমের পুরো অধ্যায়টি, নারিন শেঠ জানিয়েছেন, বিমানটিতে ইনস্টল করা গুহাগারভদ্রেশ যন্ত্রের অনন্য যন্ত্রের বিবরণে উত্সর্গীকৃত। বইটিতে যেমন বলা হয়েছে, এর সাহায্যে একটি উড়ন্ত "বিমান" দিয়ে মাটির নীচে লুকানো বস্তুর অবস্থান নির্ধারণ করা সম্ভব হয়েছিল।
কিছু বিশেষজ্ঞদের মতে, আমরা ভূগর্ভস্থ মোতায়েন শত্রুদের বিমান বিরোধী অস্ত্র সম্পর্কে কথা বলছি।
গুহাগড়ভদ্র যন্ত্র যন্ত্রটি 12 টি উপাদান নিয়ে গঠিত, যার মধ্যে রয়েছে একধরনের অর্ধপরিবাহী "চাম্বক মণি" (চৌম্বকীয় বৈশিষ্ট্যযুক্ত একটি মিশ্রণ), যা "শক্তি" - "শক্তি" এর উত্স, এই ক্ষেত্রে, নারিন শেঠের মতে আমরা কথা বলছি "শক্তি বিকিরণের উত্স", মাটির নীচে লুকানো জিনিসগুলি সনাক্ত করতে সক্ষম, মাইক্রোওয়েভ সংকেত পাঠিয়ে সেগুলি গ্রহণ করতে সক্ষম।
সূত্র অনুসারে, চাম্বক মণি মিশ্রিত 14 টি উপকরণ নির্ধারণ করতে নরিন শেঠকে তিন বছর সময় লেগেছে। তারপরে, বোম্বের ইন্ডিয়ান ইনস্টিটিউট অফ টেকনোলজির সহায়তায় বিজ্ঞানী এটি তৈরি করতে সক্ষম হন। মিশ্রণটিকে "চৌম্বকীয় বৈশিষ্ট্যযুক্ত একটি শক্ত কালো উপাদান, অ্যাসিডে দ্রবণীয়" হিসাবে বর্ণনা করা হয়। বিশেষত, সিলিকন, সোডিয়াম, আয়রন এবং তামা এতে উপস্থিত রয়েছে।
গুহাগড়ভদ্র যন্ত্র হ'ল 32 টি যন্ত্র বা সরঞ্জামগুলির মধ্যে একটি যা বর্ণনা অনুসারে, একটি বিমানে ইনস্টল করা যেতে পারে এবং শত্রুর গোপন লক্ষ্যগুলি পর্যবেক্ষণ করতে ব্যবহার করা হয়।
বইটিতে পারফর্ম করা বিভিন্ন ডিভাইসের বর্ণনা রয়েছে
ধারণা, একটি রাডার এর কার্যকারিতা, একটি ক্যামেরা, একটি সন্ধানের আলো এবং ব্যবহার করে, বিশেষত, সূর্যের শক্তি, পাশাপাশি ধ্বংসাত্মক অস্ত্রের বিবরণ। এটি পাইলটদের ডায়েট, তাদের পোশাকের প্রশ্ন। বিমান প্রকারণাম অনুসারে বিমানটি ধাতু দিয়ে তৈরি ছিল। এর মধ্যে তিন ধরণের উল্লেখ করা হয়েছে: "সোমাকা", "সৌন্দর্লিকা", "মুর্ত্বিকা", পাশাপাশি খুব উচ্চ তাপমাত্রা সহ্য করতে পারে এমন অ্যালোগুলি।
তারপরে আমরা সাতটি আয়না এবং লেন্সগুলির বিষয়ে কথা বলছি যা ভিজ্যুলে দর্শনের জন্য পর্যবেক্ষণের জন্য মাউন্ট করা যেতে পারে। সুতরাং, তাদের মধ্যে একটি, "পিংজুলা মিরর" নামে অভিহিত হয়েছিল বিমানের চালকদের চোখকে শত্রুর অন্ধ "শয়তানী রশ্মি" থেকে রক্ষা করার উদ্দেশ্যে।
নিম্নলিখিতটি শক্তির উত্সগুলি বর্ণনা করে যা বিমান চালিত করে। এর মধ্যে আরও সাতজন রয়েছেন। চার ধরণের বিমানকে বলা হয় - "রুকমা বিমান", "সুন্দর বিমান", "ত্রিপুরা বিমান" এবং "শকুনা বিমান"। সুতরাং, "রুকমা বিমান" এবং "সুন্দর বমন" এর একটি শঙ্কু আকৃতি রয়েছে। রুকমা উইমনাকে বেসের একটি প্রপালশন ইউনিট সহ একটি তিন-স্তরের বিমান হিসাবে বর্ণনা করা হয়। দ্বিতীয় "তলায়" - যাত্রীদের জন্য কেবিনগুলি। সুন্দ্রা ওয়াইম্যান বিভিন্নভাবে রুকমা উইম্যানের সাথে সমান, তবে শেষের আরও সুবিন্যস্ত ফর্মের মতো নয়। "ত্রিপুরা ওয়াইম্যান" - একটি বৃহত্তর জাহাজ। তদুপরি, এই ইউনিটটি বহুমুখী এবং এয়ার এবং ডুবো উভয় ভ্রমণের জন্যই এটি ব্যবহার করা যেতে পারে।
পুনরায় ব্যবহারযোগ্য জাহাজের এক ধরণের প্রোটোটাইপকে "শাকুনা ভাইমানা" বলা যেতে পারে। বইয়ের বিবরণ অনুসারে, এটি প্রযুক্তিগত ও গঠনমূলকভাবে সবচেয়ে কঠিন, সবচেয়ে চর্চাযোগ্য।
“ধ্বংসাত্মক অস্ত্র” বইতে বর্ণিত ভাইমানিক প্রকরনামের বিশ্লেষণের ফলে ইংরেজ গবেষক ডেভিড ডেভেনপোর্টকে পাকিস্তানের সিন্ধু নদীর অববাহিকার প্রাচীনতম আর্য সভ্যতার অন্তর্গত মোহেনজো-দারো শহরের আকস্মিক মৃত্যুর কারণ সম্পর্কে অনুমান করতে বাধ্য করেছিলেন। ডেভেনপোর্টের মতে, শহরটি অসাধারণ ধ্বংসাত্মক শক্তির অস্ত্র দ্বারা ধ্বংস করা হয়েছিল।
রামায়ণ প্রায় একই অঞ্চলে বেশ কয়েকটি শহর ধ্বংস করার কথা উল্লেখ করেছে। ডেভিড ডেভেনপোর্টও তার অনুমানের পক্ষে যুক্তি দিয়েছিলেন। মহেঞ্জো-দারোর ধ্বংসাবশেষে, খুব উচ্চ তাপমাত্রার প্রভাব এবং একটি শক্তিশালী শক ওয়েভ পরিষ্কারভাবে দৃশ্যমান। হতে পারে এটি কি পারমাণবিক বিস্ফোরণের ফলাফল? কথিত বিস্ফোরণের কেন্দ্রস্থলে পাওয়া সিরামিকের টুকরোগুলি সংযুক্ত হয়ে গেছে। রাসায়নিক বিশ্লেষণ বাদ দেয় না যে তারা 1500 ডিগ্রি সেলসিয়াস তাপমাত্রার ক্রমবর্ধমান ছিল।
ভারতীয় এবং পাশ্চাত্য পণ্ডিতদের মতে এটি কোনও কাকতালীয় ঘটনা নয় যে, বৈমানিক প্রকারণামের ধারণাগুলি এবং ধারণাগুলি এই কাজের সৃষ্টি যে সময়ের সাথে সামঞ্জস্য করে না, তারা তার চারপাশের বিশ্ব সম্পর্কে কোনও ব্যক্তির প্রচলিত ধারণা থেকে সম্পূর্ণ পৃথক।
আরও আশ্চর্যের বিষয়, বইটিতে উল্লিখিত প্রযুক্তিটি আধুনিক মহাকাশ প্রযুক্তি থেকে মৌলিকভাবে পৃথক।
বিমানগুলি জ্বালানী ব্যবহার না করে কিছু অভ্যন্তরীণ শক্তি দ্বারা চালিত হয়। মহাকাশে চলাচল অত্যন্ত দ্রুত।
ইউএফওগুলির সাথে কি এই শতাব্দীতে অনেক আর্থলিংসের দ্বারা সংযোগ রয়েছে?
প্রাচীন কার্যগুলিতে উল্লিখিত প্রযুক্তিগত সমাধান এবং বিমানগুলি কেবলমাত্র একটি উন্নত সভ্যতার দ্বারা ব্যাখ্যা করা যায় যা পৃথিবীর চেহারা থেকে অদৃশ্য হয়ে যায়। "ভাইমানিক প্রকারণাম" কি সেই এলিয়েনদের সাথে যোগাযোগের ফল যাঁরা অনাদিকাল থেকেই পার্থিব সভ্যতা পরিদর্শন করেছেন? সম্ভবত ageষি এবং ধর্মপ্রচারক ভদ্ররাজ একজন দক্ষ শিক্ষার্থী ছিলেন যার সাথে অন্য সভ্যতার প্রতিনিধিরা তাদের জ্ঞান ভাগ করে নিলেন?
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