(ईसाई विद्वान् यीशु/ईसाई परमेश्वर को कलंकित होने से बचाएं)
पादरी और आर्य की बहस--
पादरी- यीशु परमेश्वर का अवतार था जो कि समाज की भलाई करने के लिए आया था।
आर्य- यह बताओ कि क्या परमेश्वर कभी मर सकता है? यदि नहीं तो यीशु कैसे मर गया? भलाई करने ही आया था तो क्या केवल उसी समय पृथ्वी पर भोले-भाले लोगों पर अत्याचार हो रहा था जो यीशु बचाने आया था, क्या अब नहीं हो रहा?
पादरी:- वह मरा नहीं "तीन दिन बाद लौट आया था"।
आर्य- चलो! एक क्षण के लिए यह मान भी लें कि यीशु लौट आया था तो यह बताओ कि लौटने के बाद यीशु अब कहां है? क्या वह अदृश्य हो गया? यदि हां तो क्यों? क्या वह डर रहा है कि कहीं फिर से सूली पर न चढ़ना पड़े?
पादरी- नहीं। वह हम सब के हृदय में है?
आर्य- यदि हृदय में है तो क्या उस समय वह हृदय के बाहर था जो सूली पर चढ़ा दिया गया?
पादरी- परमेश्वर के अवतार हम सब हैं क्योंकि बाइबिल उत्पत्ति १:२६ में लिखा है, "फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं अधिकार रखें।"
आर्य- अच्छा! यह बताओ जब परमेश्वर ने स्वयं कह दिया कि "हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार बनाएं" तो मनुष्य कुकर्म क्यों करते हैं? क्या ईसाइयों का परमेश्वर भी कुकर्म करता था जिसके अनुसार उसकी सन्तानें भी कुकर्म कर रही हैं? अथवा यदि कुकर्म से छुटकारा दिलाने के लिए यीशु को ही भेजा तो ईसाई परमेश्वर की यह बात झूठ सिद्ध होती है कि "हम उसके स्वरूप हैं" या फिर ईसाई परमेश्वर भुल्लकड़ है जो अपना गुण मनुष्यों में देना भूल गया?
पादरी- नहीं। परमेश्वर ने सबकुछ अच्छा बनाया है, इस बात की पुष्टि स्वयं परमेश्वर ने की है। देखो उत्पत्ति १:३१ में लिखा है, "तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है।"
आर्य- भाई! यह परमेश्वर अपनी बनाई सृष्टि को टुकुर-टुकुर झाक काहें रहा है? क्या यह सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ नहीं है?
पादरी- पता नहीं! लेकिन यीशु ईश्वर का ही अवतार था।
आर्य- अवतार का अर्थ है- उतरना या नीचे आना। नीचे उतरने के लिए सीढ़ी चाहिए और साथ में शरीर भी इससे तो यह सिद्ध हुआ कि ईसाई परमेश्वर शरीरवाला/साकार था फिर निराकार का ढिंढोरा क्यों पीटते हो?
पादरी- खुदा तुम्हें माफ करे!
आर्य- एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी। वाह भाई वाह! मानना पड़ेगा। ऊपर कहते हो कि परमेश्वर ने हमें अपने स्वरूप में बनाया (बाइबिल में भी लिखा है) लेकिन तुम्हारा खुदा कहता है "और यहोवा (ईसाई खुदा) पृथ्वी पर मनुष्यों को बनाने से पछताया और वह मन में अति खेदित हुआ। -उत्पत्ति ६:६"
अपने खुदा से पूछो कि क्षण-क्षण में रंग क्यों बदलता है? कहीं गिरगिट तो नहीं? और खुदा स्वयं उदास हो रहा है उससे कहो, "अब पछताए क्या हुआ जब चिड़िया चुग गयी खेत"। पहले उसे तो कह दो कि जो झूठ बोला है उसकी माफी हमसे मांगे.!
अपने खुदा से पूछो कि क्षण-क्षण में रंग क्यों बदलता है? कहीं गिरगिट तो नहीं? और खुदा स्वयं उदास हो रहा है उससे कहो, "अब पछताए क्या हुआ जब चिड़िया चुग गयी खेत"। पहले उसे तो कह दो कि जो झूठ बोला है उसकी माफी हमसे मांगे.!
आजतक बेचारे ने अपनी शकल नहीं दिखाई। बहुत समय से ईसाइयों द्वारा धर्म परिवर्तन करने हेतु यह झूठ का ढिंढोरा पीटा जा रहा था कि "यीशु परमेश्वर का अवतार था, तीन दिन बाद लौटा था आदि"। आज इनका ढिंढोरा/भांडा फोड़ दिया।
नोट:- ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निर्विकार, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, अजर, अमर, अभय, निराकार, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सर्वअन्तर्यामी, अनादि, सर्वव्यापी, सृष्टिकर्त्ता, नित्य और पवित्र है उसी की उपासना करनी योग्य है अन्य की नहीं।
प्रियांशु सेठ
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