एषोऽखिलेनाभिहितो दण्डपारुष्यनिर्णयः ।स्तेनस्यातः प्रवक्ष्यामि विधिं दण्डविनिर्णये ।।
এষোঽখিলেনাভিহিতো দণ্ডপারুষ্যনির্ণযঃ |
স্তেনস্যাতঃ প্রবক্ষ্যামি বিধিং দণ্ডবিনির্ণযে।।
यह दण्डे से कठोर मारपीट का निर्णय पूर्णरूप से कहा । इसके पश्चात् अब चोर के दण्ड का निर्णय करने की विधि कहूँगा ।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
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