যজুর্বেদ অধ্যায় ৪০মন্ত্র ৫ - ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম্মতত্ত্ব

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06 June, 2020

যজুর্বেদ অধ্যায় ৪০মন্ত্র ৫


তদেজতি তন্নৈজতি তদ্দুরে তদ্বন্তিকে।

তদন্তরস্য সর্ব্বস্য তদু সর্ব্বসাস্য বাহাতঃ।।
➢ “শুক্লযজুর্বেদ” এর ৪০ নং অধ্যায়ের ৫ নং মন্ত্র
বঙ্গানুবাদঃ- সেই পরমাত্মা পাপীর দৃষ্টি হইতে চলমান হন, কিন্তু স্বীয় স্বরুপ হইতে চলমান হন না। তিনি অধার্মিকের দৃষ্টি হইতে বহু দূরে এবং তিনিই ধার্মিকের দৃষ্টিতে অতি নিকটে। তিনি এই সব জীব ও জগতের মধ্যে এবং প্রত্যক্ষ ও অপ্রত্যক্ষ জগতের বাহিরে বর্তমান রহিয়াছেন।

पदार्थान्वयभाषाः -हे मनुष्यो ! (तत्) वह ब्रह्म (एजति) मूर्खों की दृष्टि से चलायमान होता (तत्) (न, एजति) अपने स्वरूप से न चलायमान और न चलाया जाता (तत्) वह (दूरे) अधर्मात्मा अविद्वान् अयोगियों से दूर अर्थात् क्रोड़ों वर्ष में भी नहीं प्राप्त होता (तत्) वह (उ) ही (अन्तिके) धर्मात्मा विद्वान् योगियों के समीप (तत्) वह (अस्य) इस (सर्वस्य) सब जगत् वा जीवों के (अन्तः) भीतर (उ) और (तत्) वह (अस्य, सर्वस्य) इस प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्षरूप के (बाह्यतः) बाहर भी वर्त्तमान है ॥

भावार्थभाषाः -हे मनुष्यो ! वह ब्रह्म मूढ़ की दृष्टि में कम्पता जैसा है, वह आप व्यापक होने से कभी नहीं चलायमान होता, जो जन उसकी आज्ञा से विरुद्ध हैं, वे इधर-उधर भागते हुए भी उसको नहीं जानते और जो ईश्वर की आज्ञा का अनुष्ठानवाले वे अपने आत्मा में स्थित अति निकट ब्रह्म को प्राप्त होते हैं, जो ब्रह्म सब प्रकृति आदि के बाहर-भीतर अवयवों में अभिव्याप्त हो के अन्तर्यामिरूप से सब जीवों के सब पाप पुण्यरूप कर्मों को जानता हुआ यथार्थ फल देता है, वही सबको ध्यान में रखना चाहिये और इसी से सबको डरना चाहिये ॥-स्वामी दयानन्द सरस्वती
{he manushyo ! vah brahm moodh kee drshti mein kampata jaisa hai, vah aap vyaapak hone se kabhee nahin chalaayamaan hota, jo jan usakee aagya se viruddh hain, ve idhar-udhar bhaagate hue bhee usako nahin jaanate aur jo eeshvar kee aagya ka anushthaanavaale ve apane aatma mein sthit ati nikat brahm ko praapt hote hain, jo brahm sab prakrti aadi ke baahar-bheetar avayavon mein abhivyaapt ho ke antaryaamiroop se sab jeevon ke sab paap punyaroop karmon ko jaanata hua yathaarth phal deta hai, vahee sabako dhyaan mein rakhana chaahiye aur isee se sabako darana chaahiye }

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