यजुर्वेद अध्याय 25 मन्त्र 10 - ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম বিষয়ে জ্ঞান, ধর্ম গ্রন্থ কি , হিন্দু মুসলমান সম্প্রদায়, ইসলাম খ্রীষ্ট মত বিষয়ে তত্ত্ব ও সনাতন ধর্ম নিয়ে আলোচনা

धर्म मानव मात्र का एक है, मानवों के धर्म अलग अलग नहीं होते-Theology

সাম্প্রতিক প্রবন্ধ

Post Top Ad

স্বাগতম

25 August, 2020

यजुर्वेद अध्याय 25 मन्त्र 10

हि॒र॒ण्य॒ग॒र्भः सम॑वर्त्त॒ताग्रे॑ भू॒तस्य॑ जा॒तः पति॒रेक॑ऽआसीत्।
स दा॑धार पृथि॒वीं द्यामु॒तेमां कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥१० ॥-यजुर्वेद अध्याय 25 मन्त्र 10

पदार्थान्वयभाषाः -हे मनुष्यो ! जैसे हम लोग जो (हिरण्यगर्भः) सूर्यादि तेजवाले पदार्थ जिसके भीतर हैं, वह परमात्मा (जातः) प्रादुर्भूत और (भूतस्य) उत्पन्न हुए जगत् का (एकः) असहाय एक (अग्रे) भूमि आदि सृष्टि से पहिले भी (पतिः) पालन करने हारा (आसीत्) है और सब का प्रकाश करनेवाला (अवर्त्तत) वर्त्तमान हुआ (सः) वह (पृथिवीम्) अपनी आकर्षण शक्ति से पृथिवी (उत) और (द्याम्) प्रकाश को (सम् दाधार) अच्छे प्रकार धारण करता है तथा जो (इमाम्) इस सृष्टि को बनाता हुआ अर्थात् जिसने सृष्टि की उस (कस्मै) सुख करने हारे (देवाय) प्रकाशमान परमात्मा के लिये (हविषा) होम करने योग्य पदार्थ से (विधेम) सेवन का विधान करें, वैसे तुम लोग भी सेवन का विधान करो ॥१० ॥

भावार्थभाषाः -इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जिस परमात्मा ने अपने सामर्थ्य से सूर्य आदि समस्त जगत् को बनाया और धारण किया है, उसी की उपासना किया करो ॥१० ॥

No comments:

Post a Comment

ধন্যবাদ

বৈশিষ্ট্যযুক্ত পোস্ট

ব্রহ্মচর্য ও য়জ্ঞোপবীত

একাদশ অধ্যায় মেখলা প্রাচীনকালে গুরুকুলগুলোতে বেদের বিদ্বান বেদসংজ্ঞক আচার্য য়জ্ঞোপবীত সংস্কার করাতেন আর তারপর তারা বেদারম্ভসংস্কারের সময়...

Post Top Ad

ধন্যবাদ