किसी देश को नष्ट करना हो तो उसके इतिहास को नष्ट कर दो , हमारे देश के साथ भी यही हुआ और हो रहा है , हमारे इतिहास में इतनी मिलावट की गयी है कि सच क्या है और झूट क्या है, इसे समझना एक टेढ़ी खीर है , अब महाभारत को ही ले लीजिये , महाभारत कि रचना महर्षि व्यास जी ने 3 वर्ष में की थी , महाभारत के बारे में महर्षि दयानन्द अपने अमर ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के 11 वे समुल्लास में लिखते है –व्यास जी ने 4400 और उनके शिष्यों ने 5600 अर्थात सब 10000 श्लोकों के प्रमाण से महाभारत बनाया था | वह महाराजा विक्रमादित्य के समय में 20000 , महाराजा भोज कहते हैं की मेरे पिताजी के समय में 25000 और अब मेरी आधी उम्र में 30000 श्लोकयुक्त महाभारत का पुस्तक मिलता है | जो ऐसे ही बढ़ता चला तो महाभारत का पुस्तक एक ऊँट का बोझा हो जायेगा | – सत्यार्थप्रकाश – एकादश समुल्लास
यहाँ ऋषि ने राजा भोज और विक्रमादित्य के प्रमाणों से बता दिया की महाभारत में कितनी मिलावट हुयी है , और आज महाभारत में श्लोकों की संख्या बढ़कर एक लाख हो गयी है , तो सोचिये इस ग्रन्थ में कितनी मिलावट होगी ? यहाँ अनेक प्रमाणों से हमने जान लिया कि महाभारत में अनेकों बातें मिलावट भी है . महाभारत पर समय समय पर हुए प्रक्षेपों के बारे में काशीनाथ राजवाड़े लिखते हैं –
The present mahabharat is corrupt and enlarged edition of the ancient mahabharat , this anceint work has been diluted from time to time with all sorts of edition and has grown in praportion on that account. – Yaska’s Nirukta Volume -1 edited by V.K. Rajvade , M.A. , Introduction LIX
[poll id=”7″]
अर्थात वर्तमान महाभारत, प्राचीन महाभारत का विकृत और परिवर्धित संस्करण है | प्राचीन महाभारत के मूल स्वरूप में समय समय पर अतिरिक्त संयोजन होते रहने के कारण ही आकार कि दृष्टि से उसका इतना विस्तार हो गया है |
अर्थात वर्तमान महाभारत, प्राचीन महाभारत का विकृत और परिवर्धित संस्करण है | प्राचीन महाभारत के मूल स्वरूप में समय समय पर अतिरिक्त संयोजन होते रहने के कारण ही आकार कि दृष्टि से उसका इतना विस्तार हो गया है |
महाभारत में मिलावट है इसके लिए इतने प्रमाण काफी है –
पांचाल देश की राजकुमारी माता द्रौपदी के पांच पति होना भी एक मिलावट है , अब हम आपको बताएँगे कि महाभारत में द्रौपदी के पांच पति नहीं थे , ये एक महाझूठ है, पूरा लेख पढ़ने पर आपको इस पर विश्वास हो जायेगा , महाभारत में अनेकों ऐसे प्रमाण है जिनसे सिद्ध होता है कि माता द्रौपदी के एक ही पति रहा | सबसे पहले उस झूटी कहानी को बता दिया जाये जिसके द्वारा द्रौपदी के पांच पति बताये जाते है –
पांचाल देश की राजकुमारी माता द्रौपदी के पांच पति होना भी एक मिलावट है , अब हम आपको बताएँगे कि महाभारत में द्रौपदी के पांच पति नहीं थे , ये एक महाझूठ है, पूरा लेख पढ़ने पर आपको इस पर विश्वास हो जायेगा , महाभारत में अनेकों ऐसे प्रमाण है जिनसे सिद्ध होता है कि माता द्रौपदी के एक ही पति रहा | सबसे पहले उस झूटी कहानी को बता दिया जाये जिसके द्वारा द्रौपदी के पांच पति बताये जाते है –
पांच पति वाली कपोल कल्पित कहानी
महाभारत के बारे में ऐसा दिखाया और बताया जाता है कि द्रौपदी को लेकर जब पांडव माता के पास पहुँचते है और जब पांडव दरवाजा खटखटाते हैं तब माता कुंती समझती है कि उसके पुत्र भिक्षा लेकर आये हैं इसलिए वे कहती हैं जो भी लाये हो आपस में बाँट लो ऐसा सुनकर पांडव धर्मसंकट में पड़ जाते हैं , और इसी कारण पांचों पांडवों को द्रौपदी से शादी करनी पड़ती है | – सबसे पहले तो यह पूरा प्रकरण मिलावट है जो कि आगे स्पष्ट हो जायेगा जिसे हम महाभारत के प्रमाणों से देख लेंगे , तथा इसी कहानी की समीक्षा भी की जाएगी |
वास्तविक कहानी
महाभारत में जब द्रौपदी के स्वयंवर कि शर्त को जब अर्जुन पूरी कर देते हैं तब युधिष्ठिर नकुल और सहदेव को साथ लेकर पुनः डेरे पर चले जाते हैं , और बाद में अनेकों राजा अर्जुन से युद्ध करने लगते हैं तब भीम और अर्जुन उन सब राजाओं से युद्ध करते है , इसके बाद जब श्रीकृष्ण उस राजाओं को समझा बुझाकर शांत कर देते हैं | इसके बाद महाभारत में ऐसा वर्णन है कि माता कुंती चिंता करती है कि कहीं उसके पुत्रों को पहचान कर धृतराष्ट्र के पुत्रों ने उन्हें मार तो नहीं डाला , यहाँ माता कुंती कि चिंता और नकुल सहदेव को साथ लेकर युधिष्ठिर द्वारा अर्जुन कि विजय की सूचना देने से साफ़ है कि माता कुंती जानती थी के वे स्वयंवर में गए हैं और इसके अतिरिक्त एकचक्रा नगरी में ब्राम्हण परिवार में ब्राम्हण के द्वारा द्रौपदी के स्वयंवर की बात सुनकर जब पांडव विचलित हो गए थे तब माता कुंती ने ही वहां जाने का प्रस्ताव रखा था – इन सब बातों से सिद्ध है कि माता कुंती पहले से ही जानती थी कि उनके पुत्र स्वयंवर में गए हैं , इसलिए ऊपर बताई गयी कहानी बिलकुल झूट प्रमाणित होती है |
आगे जब द्रौपदी को लेकर पांडव कुटिया में जाते हैं और वहां द्रुपद द्वारा दृष्टद्युम्न को पता करने के लिए भेजा जाता है कि ब्राम्हण वेशधारी लोग पांडव ही है या कोई और , अब यदि द्रौपदी को बाँटने कि बात हुयी होती तो उसके भाई जो गुप्त रूप से उन्हें देख रहे थे , क्या वे इस बात का विरोध नहीं करते ?
जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ , आगे जब द्रुपद ने अपने पुरोहित को भेजकर पांडवों को महल में बुलाया तब द्रुपद युधिष्ठिर से कहते हैं कि –
आगे जब द्रौपदी को लेकर पांडव कुटिया में जाते हैं और वहां द्रुपद द्वारा दृष्टद्युम्न को पता करने के लिए भेजा जाता है कि ब्राम्हण वेशधारी लोग पांडव ही है या कोई और , अब यदि द्रौपदी को बाँटने कि बात हुयी होती तो उसके भाई जो गुप्त रूप से उन्हें देख रहे थे , क्या वे इस बात का विरोध नहीं करते ?
जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ , आगे जब द्रुपद ने अपने पुरोहित को भेजकर पांडवों को महल में बुलाया तब द्रुपद युधिष्ठिर से कहते हैं कि –
कुरुकुल को आनंदित करने वाले ये महाबाहु अर्जुन आज के पुण्यमय दिवस में मेरी पुत्री का विधिपूर्वक पाणिग्रहण करें तथा मंगलाचार का पालन करना आरम्भ कर दें
यह सुनकर युधिष्ठिर कहते है कि –राजन ! विवाह तो मेरा भी करना होगा |
तब द्रुपद बोलते हैं कि
हे वीर ! तब आप ही मेरी पुत्री का पाणिग्रहण करें अथवा आप अपने भाइयों में से जिसके साथ चाहे , उसी के साथ कृष्णा को विवाह कि आज्ञा दे दें |
द्रुपद के ऐसा कहने पर पांडवों के पुरोहित धौम्य ने वेदी पर प्रज्वलित अग्नि कि स्थापना करके उसमे मन्त्रों द्वारा आहुति दी और युधिष्ठिर को बुलाकर कृष्णा के साथ उनका गठबंधन कर दिया |
द्रौपदी का एक ही पति होने का स्पष्ट प्रमाण
महाभारत के विराट पर्व में जब पाण्डं अज्ञातवास के समय विराट नगरी में रहते हैं तब राजा विराट का सेनापति कीचक द्रौपदी ( सैरंध्री ) पर आसक्त हो जाता है और उसे राजसभा में अपमानित करता है तथा उसका अपहरण करने का प्रयास करता इसके बाद भीमसेन जब कीचक को मारते है तब भीमसेन कहते है
अद्याहमनृणो भूत्वा भ्रातुर्भार्यापहारिणम्।
शांतिं लब्धास्मि परमां हत्वा सैरन्ध्रिकण्टकम्।।
अपने बड़े भाई की पत्नी का अपहरण करने वाले , सैरंध्री के लिए कंटकरूप दुष्ट कीचक को मारकर आज मैं उऋण हो जाऊँगा और मुझे अत्यधिक शान्ति प्राप्त होगी |
इस श्लोक से सिद्ध है कि द्रौपदी केवल युधिष्ठिर की पत्नी थी यदि वह सब की पत्नी होती तो भीम उसे “भ्रातुर्भार्या” न कहकर “आत्मभार्या” कहते , इसके अलावा हम डंके की चोट पर कहते हैं कि सारे संस्कृत साहित्य में “भ्रातुर्भार्या” शब्द का प्रयोग छोटे भाई कि पत्नी के लिए कहीं भी नहीं हुआ ,भीम से बड़ा युधिष्ठिर था , अतः द्रौपदी अर्जुन की पत्नी नहीं हो सकती , बल्कि बड़े भाई युधिष्ठिर की पत्नी थी |
इस श्लोक से सिद्ध है कि द्रौपदी केवल युधिष्ठिर की पत्नी थी यदि वह सब की पत्नी होती तो भीम उसे “भ्रातुर्भार्या” न कहकर “आत्मभार्या” कहते , इसके अलावा हम डंके की चोट पर कहते हैं कि सारे संस्कृत साहित्य में “भ्रातुर्भार्या” शब्द का प्रयोग छोटे भाई कि पत्नी के लिए कहीं भी नहीं हुआ ,भीम से बड़ा युधिष्ठिर था , अतः द्रौपदी अर्जुन की पत्नी नहीं हो सकती , बल्कि बड़े भाई युधिष्ठिर की पत्नी थी |
इन सब प्रमाणों से सिद्ध है कि द्रौपदी का एक ही पति युधिष्ठिर था , स्वयंवर कि शर्त अर्जुन ने पूरी की थी किन्तु युधिष्ठिर आयु में बड़े होने के कारण उनका विवाह पहले होना था , इसलिए द्रौपदी का विवाह युधिष्ठिर से हुआ , द्रौपदी को पाँचों पांडवों की पत्नी बताना एक महाझूठ है |
पांच पति वाली कहानी की समीक्षा
अब हम ऊपर बताई गयी पांच पति वाली कपोल कल्पित कहानी कि समीक्षा करते है जो कहानी द्रौपदी के पांच पति होना बताती है – इस कहानी पर हमारे प्रश्न है
- जब द्रौपदी को अर्जुन द्वारा जीता गया तो द्रौपदी भिक्षा कैसे हुयी ? क्या द्रौपदी पांडवों को भिक्षा में मिली थी या जीती गयी थी ? यह प्रश्न हम डंके की चोट पूछना चाहेंगे , जीती हुयी वस्तु कभी भिक्षा नहीं हो सकती , अगर पहली कहानी के अनुसार माता कुंती ने यदि भिक्षा बांटने को कहा भी तो द्रौपदी भिक्षा न होने से बाँटने की बात गलत सिद्ध होती है , जिसे संसार में कोई सिद्ध नहीं कर सकता |
- इसके अतिरिक्त मूर्ख व्यक्ति भी जानता है कि इस तरह किसी को यदि गलती से बोल दिया जाये कि भिक्षा बाँट लो तब क्या कोई ऐसे बाँट लेगा ?
- जब पांडव द्रौपदी को लेकर कुटिया में माता कुंती के पास जाते हैं तब द्रुपद उनके पीछे अपने पुत्र धृष्टद्युम्न और गुप्तचरों को भेजते हैं कि वे पता लगाए कि ये ब्राम्हण वेशधारी लोग क्या पांडव ही हैं ? जब धृष्टद्युम्न पुनः आकर अपने पिता को सारी सूचना देता है – तब उस सूचना में पांच पति वाली कपोल कल्पित बात नहीं बताता , यदि भिक्षा वाली बात सत्य होती तब धृष्टद्युम्न द्रुपद को इस बात से अवगत जरूर करवाते , जबकि वे इस बारे में कुछ नहीं कहते |
- क्या पांडव मूर्ख थे , क्या कुंती मूर्ख थी जो इस तरह की बात कहकर द्रौपदी को पांचों की पत्नी बनाएगी ? माता कुंती एक विदुषी महिला थी वे ऐसा कभी नहीं कर सकती और द्रौपदी भिक्षा भी नहीं थी , इस तरह यह सूर्यप्रकाशवत सिद्ध है कि द्रौपदी के एक ही पति था और वह था युधिष्ठिर |
हमने महाभारत के प्रामाणों और तर्क से यह सिद्ध कर दिया की द्रौपदी का एक ही पति था – वो थे युधिष्ठिर ! अर्जुन ने स्वयंवर की शर्त पूरी की थी , चूँकि युधिष्ठिर बड़े थे इसलिए विवाह युधिष्ठिर से हुआ था |
अगर आपको अपने स्वर्णिम इतिहास से प्रेम है इसे ज्यादा से ज्यादा Share करें ताकि इतिहास प्रदूषण को मिटाया जा सके |
अगर आपको अपने स्वर्णिम इतिहास से प्रेम है इसे ज्यादा से ज्यादा Share करें ताकि इतिहास प्रदूषण को मिटाया जा सके |
निवेदन
इस लेख को Short लिंक Copy करके ज्यादा से ज्यादा Whats-app पर शेयर करें ताकि ये महाझूठ का पर्दाफाश जल्द से जल्द हो |
No comments:
Post a Comment
ধন্যবাদ