ब॒तो ब॑तासि यम॒ नैव ते॒ मनो॒ हृद॑यं चाविदाम ।
अ॒न्या किल॒ त्वां क॒क्ष्ये॑व यु॒क्तं परि॑ ष्वजाते॒ लिबु॑जेव वृ॒क्षम् ॥
ऋग्वेद 0 मण्डल:10 सूक्त:10 मन्त्र:13
अंग्रेज़ी लिप्यंतरण
bato batāsi yama naiva te mano hṛdayaṁ cāvidāma | anyā kila tvāṁ kakṣyeva yuktam pari ṣvajāte libujeva vṛkṣam ||
पद पाठ
ब॒तः । ब॒त॒ । अ॒सि॒ । य॒म॒ । न । ए॒व । ते॒ । मनः॑ । हृद॑यम् । च॒ । अ॒वि॒दा॒म॒ । अ॒न्या । किल॑ । त्वाम् । क॒क्ष्या॑ऽइव । यु॒क्तम् । परि॑ । स्व॒जा॒ते॒ । लिबु॑जाऽइव । वृ॒क्षम् ॥ १०.१०.१३
पदार्थान्वयभाषाः -(यम) हे दिवस ! (बत) हा ! दुःख है कि तू (बतः) विवश (असि) है, क्योंकि दैवकृत बाधा को सहसा कोई भी नहीं हटा सकता, इसलिए (ते) तेरे (मनः) मन (च) और (हदयम्) वक्षःस्थल को मैंने (न-एव) नहीं (अविदाम) प्राप्त किया (अन्या किल) मुझ से भिन्न कोई भी स्त्री (कक्ष्या-इव-युक्तम्) कक्ष-काँख में बंधी पेटी के समान सम्यक्प्रकार से (त्वाम्) तुझ को (परिष्वजाते) आलिङ्गन करे अथवा (लिबुजा इव वृक्षम्) जैसे लता वृक्ष को लिपटती है, वैसे तुझ से भी लिपटे ॥
{(yam) he divas ! (bat) ha ! duhkh hai ki too (batah) vivash (asi) hai, kyonki daivakrt baadha ko sahasa koee bhee nahin hata sakata, isalie (te) tere (manah) man (ch) aur (hadayam) vakshahsthal ko mainne (na-ev) nahin (avidaam) praapt kiya (anya kil) mujh se bhinn koee bhee stree (kakshya-iv-yuktam) kaksh-kaankh mein bandhee petee ke samaan samyakprakaar se (tvaam) tujh ko (parishvajaate) aalingan kare athava (libuja iv vrksham) jaise lata vrksh ko lipatatee hai, vaise tujh se bhee lipate .}
भावार्थभाषाः -यदि स्त्री में कोई दोष है, जिसके कारण वह सन्तानोत्पत्ति में असमर्थ है, तो उसे भी चाहिए कि वह पति को दूसरी स्त्री से सन्तानोत्पत्ति के लिये अनुमति दे देवे ॥
{yadi stree mein koee dosh hai, jisake kaaran vah santaanotpatti mein asamarth hai, to use bhee chaahie ki vah pati ko doosaree stree se santaanotpatti ke liye anumati de deve .}
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