যজুর্বেদ ৪০/৩ - ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম বিষয়ে জ্ঞান, ধর্ম গ্রন্থ কি , হিন্দু মুসলমান সম্প্রদায়, ইসলাম খ্রীষ্ট মত বিষয়ে তত্ত্ব ও সনাতন ধর্ম নিয়ে আলোচনা

धर्म मानव मात्र का एक है, मानवों के धर्म अलग अलग नहीं होते-Theology

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05 November, 2020

যজুর্বেদ ৪০/৩

যজুর্বেদ ৪০/৩
যজুর্বেদ অধ্যায় ৪০ মন্ত্র ৩

 अ॒सु॒र्य्या नाम॒ लो॒काऽअ॒न्धेन॒ तम॒सावृ॑ताः। 

ताँस्ते प्रेत्यापि॑ गच्छन्ति॒ ये के चा॑त्म॒हनो॒ जनाः॑ ॥३ ॥

पद पाठ

अ॒सु॒र्य्याः᳕। नाम॑। ते। लो॒काः। अ॒न्धेन॑। तम॑सा। आवृ॑ता॒ इत्याऽवृ॑ताः ॥ तान्। ते। प्रेत्येति॒ प्रऽइ॑त्य। अपि॑। ग॒च्छ॒न्ति॒। ये। के। च॒। आ॒त्म॒हन॒ इत्या॑त्म॒ऽहनः॑। जनाः॑ ॥३ ॥

यजुर्वेद  अध्याय:40 मन्त्र:3 उपलब्ध भाष्य

पदार्थान्वयभाषाः -जो (लोकाः) देखनेवाले लोग (अन्धेन) अन्धकाररूप (तमसा) ज्ञान का आवरण करनेहारे अज्ञान से (आवृताः) सब ओर से ढँपे हुए (च) और (ये) जो (के) कोई (आत्महनः) आत्मा के विरुद्व आचरण करनेहारे (जनाः) मनुष्य हैं (ते) वे (असुर्य्याः) अपने प्राणपोषण में तत्पर अविद्यादि दोषयुक्त लोगों के सम्बन्धी उनके पापकर्म करनेवाले (नाम) प्रसिद्ध में होते हैं (ते) वे (प्रेत्य) मरने के पीछे (अपि) और जीते हुए भी (तान्) उन दुःख और अज्ञानरूप अन्धकार से युक्त भोगों को (गच्छन्ति) प्राप्त होते हैं ॥३ ॥

{jo (lokaah) dekhanevaale log (andhen) andhakaararoop (tamasa) gyaan ka aavaran karanehaare agyaan se (aavrtaah) sab or se dhanpe hue (ch) aur (ye) jo (ke) koee (aatmahanah) aatma ke virudv aacharan karanehaare (janaah) manushy hain (te) ve (asuryyaah) apane praanaposhan mein tatpar avidyaadi doshayukt logon ke sambandhee unake paapakarm karanevaale (naam) prasiddh mein hote hain (te) ve (prety) marane ke peechhe (api) aur jeete hue bhee (taan) un duhkh aur agyaanaroop andhakaar se yukt bhogon ko (gachchhanti) praapt hote hain .}

भावार्थभाषाः -वे ही मनुष्य असुर, दैत्य, राक्षस तथा पिशाच आदि हैं, जो आत्मा में और जानते वाणी से और बोलते और करते कुछ ही हैं, वे कभी अविद्यारूप दुःखसागर से पार हो आनन्द को नहीं प्राप्त हो सकते, और जो आत्मा, मन, वाणी और कर्म से निष्कपट एकसा आचरण करते हैं, वे ही देव, आर्य्य, सौभाग्यवान् सब जगत् को पवित्र करते हुए इस लोक और परलोक में अतुल सुख भोगते हैं ॥३ ॥- स्वामी दयानन्द सरस्वती

[ve hee manushy asur, daity, raakshas tatha pishaach aadi hain, jo aatma mein aur jaanate vaanee se aur bolate aur karate kuchh hee hain, ve kabhee avidyaaroop duhkhasaagar se paar ho aanand ko nahin praapt ho sakate, aur jo aatma, man, vaanee aur karm se nishkapat ekasa aacharan karate hain, ve hee dev, aaryy, saubhaagyavaan sab jagat ko pavitr karate hue is lok aur paralok mein atul sukh bhogate hain .]

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