ঋগ্বেদ ১০/১৫১/৪ - ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম বিষয়ে জ্ঞান, ধর্ম গ্রন্থ কি , হিন্দু মুসলমান সম্প্রদায়, ইসলাম খ্রীষ্ট মত বিষয়ে তত্ত্ব ও সনাতন ধর্ম নিয়ে আলোচনা

धर्म मानव मात्र का एक है, मानवों के धर्म अलग अलग नहीं होते-Theology

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স্বাগতম

13 May, 2021

ঋগ্বেদ ১০/১৫১/৪

                                          देवता: श्रद्धा ऋषि: श्रद्धा कामायनी छन्द: अनुष्टुप् स्वर: गान्धारः                                                                                        শ্রদ্ধাং দেবা য়জমানা বায়ুগোপা উপাসতে।

শ্রদ্ধাং হৃদয়্য১য়াকূত্যা শ্রদ্ধয়া বিন্দতে বসু।।

श्र॒द्धां दे॒वा यज॑माना वा॒युगो॑पा॒ उपा॑सते । श्र॒द्धां हृ॑द॒य्य१॒॑याकू॑त्या श्र॒द्धया॑ विन्दते॒ वसु॑ ॥
পদার্থঃ (দেবাঃ) মুমুক্ষু বিদ্বান (হৃদয়্যয়া-আকূত্যা) হৃদয়স্থ অহংকৃত-সঙ্কল্পবৃত্তি দ্বারা (শ্রদ্ধাম্) সদিচ্ছার পূরণ করেন (য়জমানাঃ) যজনশীল (বায়ুগোপাঃ) প্রাণায়মের দ্বারা হোম থেকে সুগন্ধিত বায়ু যাহাদের রক্ষক হয় এরূপ লোক সদিচ্ছার পূরণ করেন (শ্রদ্ধয়া বসু বিন্দতে) সদিচ্ছা থেকে সংগ্রহকারী ধনকে প্রাপ্ত করেন।।

ভাবার্থঃ মুমুক্ষু জন হৃদয়স্থ সঙ্কল্পবৃত্তি থেকে নিজের সদিচ্ছার পূরণ করেন, যজ্ঞ করার সুগন্ধিত বায়ুকে নিয়ে স্বাস্থ্য সম্বন্ধী ইচ্ছাকে পূরণ করেন আর সদিচ্ছা থেকে আবশ্যক সংগ্রহকারী ধনকেও প্রাপ্ত করে যান।।
ঋগ্বেদ ১০/১৫১/৪


पदार्थान्वयभाषाः -(देवाः) मुमुक्षु विद्वान् (हृदय्यया-आकूत्या) हृदयस्थ अहंकृति-संकल्पवृत्ति से (श्रद्धाम्) सदिच्छा को पूरा करते हैं (यजमानाः) यजनशील (वायुगोपाः) प्राणायामों के द्वारा होम से सुगन्धित वायु जिनका रक्षक है, ऐसे लोग सदिच्छा को पूरा करते हैं (श्रद्धया वसु विन्दते) सदिच्छा से बसानेवाले धन को प्राप्त करते हैं ॥ भावार्थभाषाः -मुमुक्षु जन हृदयस्थ संकल्पवृत्ति से अपनी सदिच्छा को पूरा कर सकते हैं, यज्ञ करनेवाले सुगन्धित वायु को लेते हुए स्वास्थ्यसम्बन्धी इच्छा को पूरा करते हैं और सदिच्छा से आवश्यक वसानेवाले धन को भी प्राप्त किया जा सकता है ॥-ब्रह्ममुनि

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