ঋগ্বেদ ৮/৪৪/২৩ - ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম বিষয়ে জ্ঞান, ধর্ম গ্রন্থ কি , হিন্দু মুসলমান সম্প্রদায়, ইসলাম খ্রীষ্ট মত বিষয়ে তত্ত্ব ও সনাতন ধর্ম নিয়ে আলোচনা

धर्म मानव मात्र का एक है, मानवों के धर्म अलग अलग नहीं होते-Theology

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11 August, 2021

ঋগ্বেদ ৮/৪৪/২৩

 देवता: अग्निः ऋषि: विरूप आङ्गिरसः छन्द: पादनिचृद्गायत्री स्वर: षड्जः

यद॑ग्ने॒ स्याम॒हं त्वं त्वं वा॑ घा॒ स्या अ॒हम् । स्युष्टे॑ स॒त्या इ॒हाशिष॑: ॥[ऋग्वेद ८.४४.२३]

যদগ্নে স্যামহং ত্বং বা ঘাস্যা অহম্‌ ।

           স্যুষ্টে সত্যা ইহাশিষঃ ॥-ঋগ্বেদ ৮/৪৪/২৩ 

পদার্থ - ( অগ্নে ) হে প্রকাশ স্বরূপ ! ( যৎ অহং ত্বং স্যাম ) যখন আমি তুমি হইয়া যাই ( বা ঘ ) কিংবা ( ত্বং অহং স্যাঃ ) তুমি আমি হইয়া যাও ( তে ইহ আশিষঃ ) তোমার এ সংসারের সব আশীৰ্বাদ ( সত্যাঃ স্যুঃ ) সফল হইয়া যায় ।

ভাবার্থ - হে প্রকাশ স্বরূপ পরমাত্মন্ ! যখন আমি তুমি হইয়া যাই বা তুমি আমি হইয়া যাও , তখনই এ সংসারে তোমার সব করুণা সার্থক হয় ।

पदार्थान्वयभाषाः -हम उपासकगण (अग्नेः) उस परमात्मा की (सख्यम्) मित्रता को (सदा) सर्वदा (वृणीमहे) चाहते हैं, जो ईश्वर (अदब्धस्य) अविनश्वर और शाश्वत है (स्वधावतः) प्रकृतिधारक है (दूतस्य) निखिलदुःखनिवारक है और (रेभतः) जो महाकवीश्वर है ॥

भावार्थभाषाः -हे मनुष्यों ! उस परमात्मा के साथ मित्रता करो, जिससे तुम्हारा परम कल्याण होगा। जो सदा रहनेवाला है ॥-शिव शंकर शर्मा

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