भग॑ ए॒व भग॑वाँ अस्तु देवा॒स्तेन॑ व॒यं भग॑वन्तः स्याम।
तं त्वा॑ भग॒ सर्व॒ इज्जो॑हवीति॒ स नो॑ भग पुरए॒ता भ॑वे॒ह ॥५॥
पदार्थ
हे (भगः) सकल ऐश्वर्य्य के देनेवाले ! जो आप (भगः) अत्यन्त सेवा करने योग्य (भगवान्) सकलैश्वर्य्यसम्पन्न (अस्तु) होओ (तेनैव) उन्हीं भगवान् के साथ (वयम्) हम (देवाः) विद्वान् लोग (भगवन्तः) सकलैश्वर्य्य युक्त (स्याम) हों, हे सकलैश्वर्य्य देनेवाले ! जो (सर्वः) सर्व मनुष्य (तम्) उन (त्वा) आपको (जोहवीति) निरन्तर प्रशंसा करता है (सः) वह (इह) इस समय में (नः) हमारे (पुरएता) आगे जानेवाला हो और हे (भग) सेवा करने योग्य वस्तु देनेवाले ! आप ही हमारे अर्थ आगे जानेवाले (भव) हूजिये ॥५॥
भावार्थ
( भगः एवं ) सबको भजन करने योग्य सर्व कल्याणकारक प्रभु ही ( भगवान् अस्तु ) सब ऐश्वर्यों का स्वामी हो । हे ( देवाः ) विद्वान् लोगो ! ( तेन ) उस परम स्वामी से ही ( वयं ) हम सब (भगवन्तः स्याम ) ऐश्वर्यवान् हों । हे (भग ) सेवा करने योग्य ! (सर्व इत् ) सबही ( त्वां तं ) उस तुझको ( जोहवीती ) पुकारता है, ( सः भगः ) वह ऐश्वर्यवान् तू ही ( इह ) इस लोक में यहां ( पुरः-एता भव ) हमारा अग्रगामी हो ।- joydev sharma
भावार्थ
हे जगदीश्वर जो सकलैश्वर्य्यवान् आप सब को सब ऐश्वर्य्य देते हैं, उन के सहाय से सब मनुष्य धनाढ्य होवें ॥५॥
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ধন্যবাদ