ঋগ্বেদ ৭/৪১/৫ - ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম্মতত্ত্ব

ধর্ম বিষয়ে জ্ঞান, ধর্ম গ্রন্থ কি , হিন্দু মুসলমান সম্প্রদায়, ইসলাম খ্রীষ্ট মত বিষয়ে তত্ত্ব ও সনাতন ধর্ম নিয়ে আলোচনা

धर्म मानव मात्र का एक है, मानवों के धर्म अलग अलग नहीं होते-Theology

সাম্প্রতিক প্রবন্ধ

Post Top Ad

স্বাগতম

01 February, 2025

ঋগ্বেদ ৭/৪১/৫

 

भग॑ ए॒व भग॑वाँ अस्तु देवा॒स्तेन॑ व॒यं भग॑वन्तः स्याम। 

तं त्वा॑ भग॒ सर्व॒ इज्जो॑हवीति॒ स नो॑ भग पुरए॒ता भ॑वे॒ह ॥५॥

पदार्थ

हे (भगः) सकल ऐश्वर्य्य के देनेवाले ! जो आप (भगः) अत्यन्त सेवा करने योग्य (भगवान्) सकलैश्वर्य्यसम्पन्न (अस्तु) होओ (तेनैव) उन्हीं भगवान् के साथ (वयम्) हम (देवाः) विद्वान् लोग (भगवन्तः) सकलैश्वर्य्य युक्त (स्याम) हों, हे सकलैश्वर्य्य देनेवाले ! जो (सर्वः) सर्व मनुष्य (तम्) उन (त्वा) आपको (जोहवीति) निरन्तर प्रशंसा करता है (सः) वह (इह) इस समय में (नः) हमारे (पुरएता) आगे जानेवाला हो और हे (भग) सेवा करने योग्य वस्तु देनेवाले ! आप ही हमारे अर्थ आगे जानेवाले (भव) हूजिये ॥५॥


भावार्थ

( भगः एवं ) सबको भजन करने योग्य सर्व कल्याणकारक प्रभु ही ( भगवान् अस्तु ) सब ऐश्वर्यों का स्वामी हो । हे ( देवाः ) विद्वान् लोगो ! ( तेन ) उस परम स्वामी से ही ( वयं ) हम सब (भगवन्तः स्याम ) ऐश्वर्यवान् हों । हे (भग ) सेवा करने योग्य ! (सर्व इत् ) सबही ( त्वां तं ) उस तुझको ( जोहवीती ) पुकारता है, ( सः भगः ) वह ऐश्वर्यवान् तू ही ( इह ) इस लोक में यहां ( पुरः-एता भव ) हमारा अग्रगामी हो ।- joydev sharma


भावार्थ

हे जगदीश्वर जो सकलैश्वर्य्यवान् आप सब को सब ऐश्वर्य्य देते हैं, उन के सहाय से सब मनुष्य धनाढ्य होवें ॥५॥

No comments:

Post a Comment

ধন্যবাদ

বৈশিষ্ট্যযুক্ত পোস্ট

গৌতম বুদ্ধের বিবাহ

রাজা শুদ্ধোদন পুত্রের মনের কথা জানতে পেরে সঙ্গে সঙ্গে পুরোহিত-ব্রাহ্মণকে ডেকে বলিলেন-"হে মহাব্রাহ্মণ, যাও কপিলবস্তু মহানগরে। ব্রাহ্মণী ...

Post Top Ad

ধন্যবাদ